जानिए क्यों जम्मू का खादी ग्रामोद्योग भवन युवाओं के लिए बना पहली पसंद, इस चीज की करते हैं मांग
खादी के कपड़ों पर हर साल दो अक्टूबर से लेकर 31 दिसंबर तक विशेष छूट रहती है जिससे खादी के कपड़ों की बिक्री को कुछ बल मिलता है। पहले हर साल दो अक्टूबर से लेकर तीस जनवरी तक खादी के कपड़ों पर 30 फीसद तक छूट मिलती थी।
जम्मू, ललित कुमार। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के सिद्धांतों को बल मिलता रहे और युवा पीढ़ी भी उनके सिद्धांतों से जुड़ी रहे, इसके लिए खादी ग्रामोद्योग ने कुछ साल पूर्व अपने सौंदर्य प्रसाधन बाजार में उतारे थे और आज यह सौंदर्य प्रसाधन खादी ग्रामोद्योग की आमदनी का मुख्य जरिया बन गए है। खादी के कपड़ों के मुकाबले में इन उत्पादों की मांग कई गुणा बढ़ी है और आज खादी ग्रामोद्योग के ये उत्पाद जम्मू के युवाओं की पहली पसंद बन चुके हैं। आज आलम यह है कि जम्मू शहर के रेजीडेंसी रोड स्थित खादी ग्रामोद्योग भवन इनकी मांग को पूरा नहीं कर पा रहा है।
ग्रामोद्योग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से खादी एंड विलेज इंडस्ट्रीज कमीशन की ओर से दिल्ली व कुछ अन्य राज्यों में इन सौंदर्य प्रसाधनों का व्यवसायिक स्तर पर उत्पादन शुरू किया गया। आज बाजार में खादी नैच्युरल ब्रांड से असंख्य उत्पाद बाजार में उपलब्ध है। इनमें सबसे अधिक मांग मेहंदी, बॉडी लोशन, मॉइस्चराइजर, शैम्पू, तेल, फेस पैक व साबुन के अलावा एलोवेरा के कई प्रोडक्ट्स उपलब्ध हैं। रेजीडेंसी रोड स्थित खादी ग्रामोद्योग भवन के कर्मचारियों के अनुसार इन सौंदर्य प्रसाधनों की काफी अधिक मांग है। वे आर्डर पर बुकिंग कराते हैं और कुछ ही दिनों में प्रोडक्ट्स समाप्त हो जाते हैं। कर्मचारी मानते है कि जितनी मांग है, उतनी वे नहीं मंगवा पाते लेकिन धीरे-धीरे आमद को बढ़ाया जा रहा है। इसके अलावा स्थानीय स्तर पर ग्रामोद्योग के तहत कई सेल्फ हेल्प ग्रुप भी बने है जो कई तरह का आचार, शहद व अन्य खाने-पीने का सामान व पूजा सामग्री तैयार करते हैं। इनकी मांग भी काफी अधिक रहती है।
खादी पर तीन महीने रहती है छूट
खादी के कपड़ों पर हर साल दो अक्टूबर से लेकर 31 दिसंबर तक विशेष छूट रहती है जिससे खादी के कपड़ों की बिक्री को कुछ बल मिलता है। पहले हर साल दो अक्टूबर से लेकर तीस जनवरी तक खादी के कपड़ों पर 30 फीसद तक छूट मिलती थी लेकिन पिछले तीन सालों से सरकार ने सब्सिडी बंद कर दी है। अब खादी एंड विलेज इंडस्ट्रीज बोर्ड की ओर से अपनी तरफ से इन कपड़ों पर केवल दस फीसद की छूट दी जाती है। यह छूट अवधि भी एक महीना कम कर दी गई है। इससे भी बिक्री कुछ प्रभावित हो रही है। रेजीडेंसी रोड स्थित खादी ग्रामोद्योग भवन के कर्मचारियों की माने तो आज खादी के कपड़ों की मांग नाममात्र ही रह गई है। अब केवल सौंदर्य प्रसाधन व आचार की बिक्री से ही खर्च निकलते हैं।
सालों से बंद पड़ा है गांधी भवन का रास्ता
जम्मू में गांधी भवन नागरिक सचिवालय के साथ वाली इमारत में स्थित है। सुरक्षा कारणों से हर साल सचिवालय मार्ग को सर्दियों के दिनों में बंद कर दिया जाता है। बीते साल तो सचिवालय श्रीनगर में होने के बावजूद यह मार्ग नहीं खोला गया। ऐसे में यह गांधी भवन लोगों की पहुंच से लगातार दूर होता जा रहा है। गांधी भवन तक पहुंचना लोगों के लिए मुश्किल हो चुका है क्योंकि इस तरफ किसी वाहन को जाने की अनुमति नहीं होती। लोग चाह कर भी यहां खरीदारी करने नहीं पहुंच पाते। इस मार्ग को खोलने की कई संगठन लगातार मांग कर रहे हैं लेकिन अब जैसा कि सरकार साल भर श्रीनगर व जम्मू, दोनों जगह सचिवालय चलाने की दिशा में काम कर रही हैं, इस मार्ग के खुलने के आसार नजर नहीं आ रहे।