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Terror Funding: क्‍यों टेरर फंडिंग में हर बार सामने आता है एक ही नाम, जानिए कौन है जुहूर वटाली-क्‍या है इसका तंत्र

Terror Funding in Kashmir छापाें के दौरान मिले सबूतों के आधार पर वटाली की श्रीनगर दिल्ली हरियाणा में करोड़ों रुपये की संपत्ति का खुलासा हुआ है। अगस्त 2019 में ईडी ने सबसे पहले वटाली की करीब 1.73 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की गई।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Thu, 03 Dec 2020 08:38 AM (IST)Updated: Thu, 03 Dec 2020 12:21 PM (IST)
Terror Funding: क्‍यों टेरर फंडिंग में हर बार सामने आता है एक ही नाम, जानिए कौन है जुहूर वटाली-क्‍या है इसका तंत्र
वटाली कश्‍मीर के बड़े व्‍यापारिक घराने से जुड़े हैं और उनका कई देशों में काराेबार भी रहा है।

जम्मू, राहुल शर्मा। जहूर अहमद शाह वटाली। कहने को बड़ा कारोबारी पर वास्‍तव में जम्‍मू कश्‍मीर में आतंक की फंडिंग का प्रमुख ध्रुव। राष्‍ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) जब भी आतंकवाद की वित्‍तीय आक्‍सीजन बंद करने के लिए कोई कदम उठाती है, हर बार जहूर वटाली का नाम उससे कहीं न कहीं से जुड़ जाता है। लंबे समय में एनआइए की हिरासत में होने के बावजूद वह फिर चर्चा में है। जेएनयू की पूर्व छात्र नेता शेहला रशीद के पिता अब्दुल रशीद शोरा के डीजीपी को लिखे गए पत्र ने एक बार फिर कश्मीरी कारोबारी जहूर अहमद शाह वटाली का नाम सुर्खियाें में ला दिया है। पत्र में इस बात का खुलासा भी किया कि कश्मीर में राष्ट्र विरोधी गतिविधियों को तेज करने के लिए उसे विदेशों से पैसा दिया गया और इसका सूत्रधार और कोई नहीं जहूर अमहद शाह वटाली ही था।

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आतंक की फंडिंग से लेकर उस पर प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने फेमा और अन्‍य मामलों में भी शिकंजा कसा है। उस पर आतंकियों और अलगाववादियों के वित्‍त पोषण के अलावा अलग-अलग पासपोर्ट रखने का भी आरोप है। उनके आवास की जांच के दौरान मिले दस्‍तावेजों में सामने आया कि हाफिज सईद, पाकिस्‍तानी उच्‍चायोग और अन्‍य संगठनों से उनके खातों में सीधी राशि आती थी और उसे वडाली को कश्‍मीरी अलगाववादियों और पत्‍थरबाजों तक पहुंचाया करता था। एनआइए के अलावा ईडी भी कई बार उनके ठिकानों पर छापे मार चुकी है और इस फंडिंग के माध्‍यम से बनाई करोड़ों की संपत्तियों को अटैच किया गया है। जेल में बंद अलगाववादी नेता को शबीर शाह को भी वटाली ने पैसा पहुंचाया था। इसके अलावा कई अन्‍य अलगाववादी नेताओं को फंडिंग का खुलासा हो चुका है।

ईडी की जांच में सामने आया था कि नई दिल्‍ली में HSBC Bank में उन्‍होंने अप्रवासी भारतीय का बैंक खाता खोला हुआ था और उन्‍होंने यह खाता खोलने के लिए वाशिंगटन का पासपोर्ट और पता दिया था। हालांकि जांच में सामने आया कि वह कभी 182 दिन या इससे अधिक विदेश में कभी नहीं रहा। इस खाते में अलग-अलग स्रोतों से 62 लाख रुपये आए। यही पैसा अलगावाादियों तक पहुंचा। इस तार को जोड़कर ही राष्‍ट्रीय जांच एजेंसी कई अलगावाादियों पर शिकंजा कसने में सफल रही।

लश्कर-ए-तैयबा सरगना हाफिज सईद का खास हैं वटाली: वटाली कश्‍मीर के बड़े व्‍यापारिक घराने से जुड़े हैं और उनका कई देशों में काराेबार भी रहा है। इसके अलावा पाकिस्‍तानी नेताओं और पाकिस्‍तानी एजेंसियों से संबंध रखने के उन पर आरोप लगे हैं। कश्मीर में टेरर फंडिंग की जांच कर रही एनआइए ने 2017 के कश्मीर टेरर फंडिंग केस में 12 लोगों को नामजद किया था। इनमें हिज्बुल मुजाहीद्दीन प्रमुख सैयद सलाहुद्दीन और 26/11 का मास्टरमाइंड हाफिज सईद भी शामिल था। सलाहुद्दीन और हाफिज को छोड़ उस दौरान दस अभियुक्तों को गिरफ्तार किया गया जिनमें कश्मीर का यह मशहूर कारोबारी जहूर वटाली भी शामिल था। इसका सीधा संपर्क हाफिज सईद से था।

विदेशी स्रोतों से मिले धन की मिली रसीदें: वटाली की गिरफ्तारी के बाद एनआइए की टीम ने जून 2017 में उसके घर समेत अन्य ठिकानों पर छापामारी की। इस दौरान एजेंसी को कईं संदिग्ध चीजें मिली। इनमें वटाली को विदेशी स्रोतों से मिले धन की रसीद भी शामिल थी। यही नहीं उसने यह राशि कुछ ऐसे दस्तावेज भी मिले जिसे यह पता चला कि उसने ये राशि आतंकवादी संगठनों तथा अलगाववादियों में वितरित किए हैं। इसके अलावा वित्तीय लेनदेन तथा जमीन की खरीद-फरोख्त के दस्तावेज भी मिले। जिससे यह पता चला कि हवाला के जरिए भेजी गई यह नकदी काफी हद तक प्रापर्टी खरीदने में खर्च की गई है।

वटाली की याचिका को मंजूर करते हुए सितंबर 2018 में दिल्ली हाई कोर्ट ने वटाली को दो लाख के निजी मुचलके पर जमानत दे दी थी परंतु मार्च 2019 को एनआइए ने ज़मानत के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाने की मांग की। अप्रैल 2019 में एनआइए द्वारा कोर्ट के समक्ष पेश किए गए सबूतों के आधार पर जमानत को रद कर दिया।

धोखाधड़ी-पासपोर्ट अधिनियम के तहत भी हैं मामले दर्ज: वटाली पर खारिज हो चुके पासपोर्ट के आधार पर विदेश यात्रा करने का मामला भी दर्ज है। उसने पासपोर्ट को प्रशासन को सौंपने के बजाय 21 मार्च 2016 को उसके आधार पर विदेश यात्रा की थी। इसके बाद वह दोबारा इसी पासपोर्ट पर विदेश जाते समय नई दिल्ली में पकड़ा गया था। श्रीनगर के राममुंशी बाग में पुलिस स्टेशन में सहायक पासपोर्ट अधिकारी की शिकायत पर उस पर धोखाधड़ी और पासपोर्ट अधिनियम के तहत मामले दर्ज किए गए थे।

श्रीनगर, दिल्ली, गुरुग्राम में करोड़ों की संपत्ति: आतंकी गतिविधियों के लिए धन मुहैया कराने के एक मामले में गिरफ्तार जहूर अहमद वटाली पर एनआइए के बाद प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने भी अपना शिकंजा कसना शुरू कर दिया। छापाें के दौरान मिले सबूतों के आधार पर वटाली की श्रीनगर, दिल्ली, हरियाणा में करोड़ों रुपये की संपत्ति का खुलासा हुआ है। अगस्त 2019 में ईडी ने सबसे पहले वटाली की करीब 1.73 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की गई। इनमें 1.48 करोड़ की अचल संपत्ति और दिल्ली स्थित जम्मू ऐंड कश्मीर की ब्रांच में जमा 25 लाख रुपये शामिल थे। इसके बाद नवंबर 2019 में ईडी ने एक बार फिर कश्मीर में छापामारी की और इस बार बडगाम जिले के सोजेथ गांव में वटाली व उसके परिवार की जमीनों को अपने कब्जे में ले लिया। इसके अलावा उसकी करीब 8.94 करोड़ रुपये की संपत्ति पहले से ही विभिन्न मामलों में अटैच थी।

गुरुग्राम में भी है सं‍पत्ति : वटाली के आतंकवादियों से संबंध की जांच कर रही ईडी को पता चला कि वटाली की काफी संपत्ति हरियाणा के गुरुग्राम में भी मौजूद है। विदेशों से हवाला के जरिए मिलने वाली राशि को वह संपत्ति पर खर्च करता था ताकि किसी को शक न पड़े। गत वर्ष नवंबर में ही प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गुरुग्राम में लश्कर प्रमुख हाफिज सईद से जुड़ा एक विला जब्त किया था। जांच करने पर पता चला कि इस विला की कीमत 1.03 करोड़ रुपये है। यह विला भी श्रीनगर के मशहूर कारोबारी जहूर अहमद शाह वटाली का था। इसके लिए पैसा हाफिज सईद ने मुहैया कराया था। 


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