Jammu Kashmir: जानिए कौन हैं तारिक हमीद कारा, प्रथम गृहमंत्री सरदार पटेल को लेकर दिया यह आपत्तिजनक बयान
उन्होंने कहा कि अगर स. पटेल का बस चलता तो आज जम्मू कश्मीर भारत में नहीं पाकिस्तान में होता। उनके इस बयान के बाद से जहां भाजपा पूरी तरह हमलावर नजर आ रही है वही कांग्रेस बचाव की मुद्रा में है लेकिन कारा को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता।
श्रीनगर, नवीन नवाज। जम्मू-कश्मीर में भारत-पाकिस्तान की करंसी को मान्यता दिए जाने के समर्थक रहे तारिक हमीद कारा ने देश के प्रथम गृहमंत्री स. वल्लभ भाई पटेल को लेकर एक आपत्तिजनक बयान जारी कर नया विवाद पैदा कर दिया है। कट्टर इस्लामिक मानसिकता वाले तारिक हमीद कारा ने बीते दिनों कांग्रेस की केंद्रीय कार्यकारी समिति की बैठक में दावा किया कि स. पटेल ने मोहम्मद अली जिन्ना के साथ सांठ-गांठ कर, जम्मू-कश्मीर को भारत से अलग रखने का पूरा प्रयास किया था। उन्होंने कहा कि भारत के पहले प्रधानमंत्री स्वर्गीय पंडित जवाहर लाल नेहरु ने ही जम्मू-कश्मीर को भारत को साथ जोड़ा है।
तारिक हमीद कारा ने यह बयान सोनिया गांधी और राहुल गांधी की मौजूदगी में दिया है। उन्होंने कहा कि अगर स. पटेल का बस चलता तो आज जम्मू कश्मीर, भारत में नहीं पाकिस्तान में होता। उनके इस बयान के बाद से जहां भाजपा पूरी तरह हमलावर नजर आ रही है, वही कांग्रेस बचाव की मुद्रा में है, लेकिन तारिक हमीद कारा को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। वह कहते हैं कि मैने जो कहा है तथ्यों के आधार पर कहा है।
कश्मीर के लिए वृहत्तर स्वायत्तता और सेल्फ रुल के समर्थक तारिक हमीद कारा अपने सियासी जीवन में शुरू से ही विवादों से घिरे रहे हैं। उनकी सियासी बोल-चाल तथाकथित पंथ निरपेक्ष है, लेकिन जब वह जम्मू कश्मीर की सत्ता में प्रभाव रखते थे तो सिर्फ एक वर्ग विशेष पर विशेष रुप से मेहरबान रहते थे। फरवरी 2017 में कांग्रेस में शामिल होने से पूर्व वह पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के शीर्ष नेताओं में एक थे। वह उन चंद गिने चुने लोगों में शामिल थे, जिन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय मुफ्ती मोहम्मद सईद के साथ मिलकर पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी का गठन किया था। वह पीडीपी के संस्थापक महासचिव रहे हैं। पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी से पहले वह कुछ समय तक नेशनल कांफ्रेंस में भी सक्रिय रहे।
कांग्रेस की कार्यकारी समिति के सदस्य तारिक हमीद कारा को वर्ष 2002 में तत्कालीन मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद ने पहले जम्मू कश्मीर विधानपरिषद का सदस्य बनवाया और उसके बाद बटमालू विधानसभा क्षेत्र के विधायक गुलाम मोहियुद्दीन शाह के निधन पर हुए उपचुनाव में उन्हें पीडीपी का उम्मीदवार बनाया था। कारा ने चुनाव जीता और विधानसभा के सदस्य बने। इसके बाद उन्हें जम्मू कश्मीर राज्य में बतौर वित्त मंत्री, आवास एवं शहरी विकास विभाग और वनमंत्री भी सरकार में अपनी जिम्मेदारी निभाने का मौका खूब मिला।
तारिक हमीद कारा ने जम्मू कश्मीर के बतौर वित्तमंत्री एक बार नहीं कईं बार जम्मू कश्मीर में दोहरी मुद्रा के इस्तेमाल पर जोर दिया। वह कहते रहे हैं कि जम्मू कश्मीर में न सिर्फ भारतीय मुद्रा बल्कि पाकिस्तानी मुद्रा में भी लेन देन होना चाहिए। अप्रैल 2008 में भी उसने इस तरह का एक बयान जम्मू में दिया और इससे कुछ समय पूर्व श्रीनगर में जम्मू कश्मीर बैंक के एक समारोह में भी उन्होंने अपने इस सुझाव को लागू किए जाने पर जोर दिया था। उन्होंने कहा कि इससे कश्मीर के लोगों की भावनाओं को शांत करने में मदद मिलेगी। कश्मीर में शांति बहाल होगी। यह कश्मीर को सेल्फ रूल की तरफ ले जाएगा और भारत-पाकिस्तान दोनों के हित जम्मू कश्मीर में सुरक्षित रहेंगे। वर्ष 2014 में उन्होंने श्रीनगर संसदीय सीट के लिए अपना नामांकन जमा कराने के बाद भी कहा था अगर नेपाल और यूरोपीय संघ में सांझी मुद्रा हो सकती है, तो जम्मू कश्मीर में क्यों नहीं। उन्होंने 2014 के संसदीय चुनावों में श्रीनगर सीट पर पर डा फारुक अब्दुल्ला को हराया था।