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भ्रष्टाचार पर वार, खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड में पिछले दरवाजे से हुई 101 नियुक्तियां रद Jammu News

राज्यपाल प्रशासन ने भाजपा-पीडीपी गठबंधन सरकार के कार्यकाल में वर्ष 2016 के दौरान खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड में पिछले दरवाजे से हुई 101 नियुक्तियों को तत्काल प्रभाव से रद कर दिया।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Sun, 07 Jul 2019 10:40 AM (IST)Updated: Sun, 07 Jul 2019 10:40 AM (IST)
भ्रष्टाचार पर वार, खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड में पिछले दरवाजे से हुई 101 नियुक्तियां रद Jammu News
भ्रष्टाचार पर वार, खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड में पिछले दरवाजे से हुई 101 नियुक्तियां रद Jammu News

श्रीनगर, राज्य ब्यूरो I राज्यपाल प्रशासन ने भाजपा-पीडीपी गठबंधन सरकार के कार्यकाल में वर्ष 2016 के दौरान खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड (केवीआइबी) में पिछले दरवाजे से हुई 101 नियुक्तियों को तत्काल प्रभाव से रद कर दिया है। राज्यपाल प्रशासन ने यह कदम इन नियुक्तियों की जांच कर रही समिति की रिपोर्ट और सिफारिशों के आधार पर उठाया है।

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उद्योग एवं वाणिज्य विभाग के प्रमुख सचिव नवीन चौधरी ने शनिवार को एक आदेश जारी कर कहा कि आठ अक्टूबर को केवीआइबी द्वारा जारी विज्ञापन नोटिस के आधार पर हुई सभी नियुक्तियों को रद व खारिज किया जाता है। इसके साथ ही उन्होंने लिखा है कि केवीआइबी इस नोटिस के आधार पर विभिन्न वर्गों और पदों पर नियुक्त होने वाले सभी अभ्यार्थियों को उनकी सेवाओं को समाप्त करने से पूर्व अपना पक्ष रखने के लिए कानून के मुताबिक पूरा अवसर देगी।

भाजपा-पीडीपी गठबंधन सरकार के कार्यकाल में हुई थी नियुक्तियां

केवीआइबी में हुई इन नियुक्यिों के लिए लिखित परीक्षा अगस्त 2017 और साक्षात्कार की प्रक्रिया जनवरी 2018 में पूरी हुई थी। इसके चंद दिनों बाद ही चयन सूची जारी की गई थी। इसमें तत्कालीन मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती के ममेरे भाई अरूट मदनी को एग्जीक्यूटिव आफिसर नियुक्त किया गया था। सिर्फ वही नहीं, पीडीपी के कई अन्य वरिष्ठ नेताओं के निकट संबंधी चयन सूची में शामिल थे। इस सूची पर विवाद पैदा होने पर केवीआइबी के तत्कालीन उपाध्यक्ष व पीडीपी के वरिष्ठ नेता पीर मंसूर ने इस्तीफा दे दिया था। भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व विधायक चंद्र प्रकाश गंगा उस समय उद्योग एवं वाणिज्य मंत्री थे और केवीआइबी उनके अधीन ही था।

महबूबा मुफ्ती ने मामले को तूल पकड़ते देख  इस मामले की उच्चस्तरीय जांच का आदेश दिया था। जांच के लिए समिति मार्च 2018 में बनी और उसे जांच पूरी कर रिपोर्ट दाखिल करने के लिए एक माह का समय दिया गया था। जांच समिति का अध्यक्ष तत्कालीन गृह सचिव आरके गोयल को बनाया गया था। जांच समिति ने करीब दो माह पहले अपनी रिपोर्ट दाखिल की। जांच समिति ने पाया कि पूरी चयन प्रक्रिया में कई तरह की विसंगतियां हैं, कई जगह नियमों का उल्लंघन हुआ है। इसलिए पूरी चयन प्रक्रिय व संबंधित नियुक्तियों को रद करने की सिफारिश की जाती है।

जांच में में ये पाई गई गड़बड़ियां

-जूनियर सुपरवाइजर, लेखा सहायक, जूनियर आडिटर, एग्जीक्यूटिव आफिसर, असिस्टेंट एग्जीक्यूटिव आफिसर और पब्लिीसिटी आफिसर पद के इच्छुक जम्मू संभाग के अभ्यार्थियों को साक्षात्कार के लिए पेश होने की सूचना और साक्षात्कार के समय में बहुत कम अंतर था।

- चयन प्रक्रिया के लिए योग्यता और पात्रता तय करने का एजेंडा बोर्ड मीङ्क्षटग में तब पेश किया गया, जब लिखित परीक्षा हो चुकी थी।

-लिखित परीक्षा के बाद चयन के लिए अनुभव के 10 अंक शामिल किए गए, जबकि अनुभव के आधार पर 10 अंक विज्ञापन के समय ही सार्वजनिक किए जाने चाहिए थे।

-पब्लिक सर्विस कमिशन (पीएससी) और सर्विस सिलेक्शन बोर्ड (एसएसबी) जैसी भर्ती संस्थाओं द्वारा साक्षात्कार के लिए अभ्यार्थियों को, अगर दस से कम उम्मीदवार हों तो 1:5 के अनुपात में और अगर 10 से ज्यादा उम्मीदवार हों तो 1:3 के अनुपात में बुलाए जाने का नियम अपनाया जाता है, लेकिन केवीआइबी ने ऐसी कोई प्रक्रिया नहीं अपनाई।

-चयन प्रकिया के लिए तय मानदंडो में और बदलाव करते हुए मौखिक साक्षात्कार में अंक भी अपनी मर्जी से 30 कर दिए गए।

-चयन समिति ने जूनियर असिस्टेंट, रिकार्ड कीपर के पदों के लिए साक्षात्कार प्रक्रिया जोकि 19 फरवरी 2018 को पूरी हुई, से पहले ही पांच अन्य वर्गों के लिए 14 फरवरी 2018 को चयन सूची जारी कर दी गई। इससे पूरी चयन प्रक्रिया संदेह के घेरे में आ गई।

-केवीआइबी में भर्ती के लिए अपनाए गए मानदंडों को किसी भी विशेषज्ञ समिति द्वारा तय नहीं किया गया था, बल्कि बोर्ड के तत्कालीन उपाध्यक्ष पीरजादा मंसूर अहमद ने उनका प्रस्ताव रखा और तत्कालीन मंत्री ने उसे स्वीकार कर लिया।

-चयन प्रक्रिया में अपनाए गए मानदंड वर्ष 2012 में गठित समित की सिफारिशों से मेल नहीं खाते थे और न यह किसी अन्य भर्ती संस्था द्वारा अपनाए जाने वाले मानदंडों के अनुरूप थे।


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