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कश्मीर का प्रयागराज है गांदरबल का शादीपोरा, 12 वर्ष बाद हो रहे पुष्कर मेले में पहुंच रहे हैं श्रद्धालु

मंदिर में हवन भी आयोजित किया जाता है। इस मेले में भाग लेने वाले अधिकांश श्रद्धालुओं में वह कश्मीरी पंडित हैं जो दक्षिण भारत विशेषकर आंध्र प्रदेश में बसे हुए हैं। यह मेला इस माह के अंत तक चलेगा।

By Vikas AbrolEdited By: Published: Fri, 26 Nov 2021 07:32 AM (IST)Updated: Fri, 26 Nov 2021 07:32 AM (IST)
कश्मीर का प्रयागराज है गांदरबल का शादीपोरा, 12 वर्ष बाद हो रहे पुष्कर मेले में पहुंच रहे हैं श्रद्धालु
संगम के बीच टापू पर एक प्राचीन चिनार का पेड़ है। इसके अलावा संगम पर एक प्राचीन शिव मंदिर है।

श्रीनगर, राज्य ब्यूरो : गांदरबल जिले के शादीपोरा में करीब 12 वर्ष बाद हो रहे पुष्कर मेले में भाग लेने के लिए देश के विभिन्न हिस्सों से श्रद्धालु आ रहे हैं।

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शादीपोरा में वितस्ता (झेलम) और नाला-ए-सिंध दरिया का संगम है। संगम के बीच टापू पर एक प्राचीन चिनार का पेड़ है। इसके अलावा संगम पर एक प्राचीन शिव मंदिर भी है। कहा जाता है कि चाहे जितनी भी बाढ़ आए, चिनार को वह नहीं छूती। श्रद्धालु नदी में स्नान करने के बाद मंदिर में पूजा-अर्चना करते हैं। इस दौरान मंदिर में हवन भी आयोजित किया जाता है। इस मेले में भाग लेने वाले अधिकांश श्रद्धालुओं में वह कश्मीरी पंडित हैं, जो दक्षिण भारत विशेषकर आंध्र प्रदेश में बसे हुए हैं। यह मेला इस माह के अंत तक चलेगा।

इस स्थान को कश्मीर का प्रयागराज भी कहा जाता है। यहां वर्ष 2016 में करीब 75 साल बाद दशहरा महाकुंभ हुआ था, जिसमें हजारों की तादाद में देश-विदेश से श्रद्धालु़ओं ने भाग लिया था। यहां 12 साल बाद कुंभ और छह साल बाद अर्धकुंभ होता है। कश्मीरी पंडित इस जगह अपने दिवंगत स्वजनों की अस्थियां भी प्रवाहित करते हैं।  


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