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कश्मीर वापसी के लिए एकराय बना रहे पंडित

तीन दशक बाद इन पंडितों को घाटी में जाकर रहने का सपना अब साकार होता नजर आ रहा है। अपनी मांग के लिए उनकी निगाह केंद्र सरकार पर है और इसके लिए उचित माहौल बनाने की दिशा में काम हो रहा है। इसलिए घाटी वापसी के फार्मूले पर कश्मीरी पंडित संगठन एकराय बनाने में जुटे हुए हैं।

By JagranEdited By: Published: Sat, 11 Jan 2020 07:17 PM (IST)Updated: Sat, 11 Jan 2020 07:17 PM (IST)
कश्मीर वापसी के लिए एकराय बना रहे पंडित
कश्मीर वापसी के लिए एकराय बना रहे पंडित

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केंद्र की मोदी सरकार द्वारा कोई न कोई रास्ता जरूर निकाले जाने पर जताया भरोसा

अनुच्छेद 370 हटने के बाद विदेशी राजनयिकों तक बात पहुंचाने से आशाएं हुई मजबूत

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जागरण संवाददाता, जम्मू : कश्मीरी पंडितों में घाटी में वापसी उम्मीदें फलीभूत होने लगी हैं। उन्हें अहसास होने लगा है कि केंद्र की मोदी सरकार उनके लिए कोई न कोई रास्ता जरूर निकाल लेगी। कश्मीरी पंडितों में यह आशा इसलिए और मजबूत हो रही है कि अनुच्छेद 370 हटने के बाद एक ही दिन पहले उन्होंने जम्मू कश्मीर के दौरे पर आए सोलह देशों के राजनयिकों से अपनी बात बड़े सलीके से रखी है। मसलन, उनकी आवाज अब केंद्र ही नहीं, देश बाहर विदेशों में सरकारों तक गूंजेगी। इसलिए कश्मीरी पंडितों के विभिन्न संगठन एकराय बनाने पर काम कर रहे हैं।

तीन दशक बाद इन पंडितों को घाटी में जाकर रहने का सपना अब साकार होता नजर आ रहा है। अपनी मांग के लिए उनकी निगाह केंद्र सरकार पर है और इसके लिए उचित माहौल बनाने की दिशा में काम हो रहा है। इसलिए घाटी वापसी के फार्मूले पर कश्मीरी पंडित संगठन एकराय बनाने में जुटे हुए हैं। 1990 के दौर में कश्मीरी पंडितों के सैकड़ों परिवार पलायन कर जम्मू और देश के दूसरे क्षेत्रों में चले गए थे। इन लोगों ने अपनी संस्कृति व भूमि से जुड़ने के लिए घाटी में सुरक्षित वापसी की मांग को शुरुआत से ही दोहराए रखा। अब चूंकि जम्मू कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश बन गया है, ऐसे में कश्मीरी पंडितों को पूरी आशा है कि केंद्र सरकार उनकी घर वापसी की कोई न कोई राह निकालेगी। घाटी वापसी के लिए अलग-अलग संगठनों की अलग-अलग राय है। अब एकराय बनाने के लिए भी इन संगठनों में बैठकें चल रही हैं।

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श्रीनगर के नजदीक बनें तीन कालोनियां

जगटी टेनमेंट कमेटी सोन कश्मीर संस्था का कहना है कि घाटी में कश्मीरी पंडितों के लिए श्रीनगर के नजदीक तीन कॉलोनियां बनाई जाएं। एक कॉलोनी अनंतनाग, कुलगाम, शोपियां व पुलवामा (सभी दक्षिणी कश्मीर) के मूलत: कश्मीरी पंडितों के लिए हो। दूसरी कॉलोनी बडगाम व गांदरबल (मध्य कश्मीर) के मूलत: कश्मीरी पंडितों के लिए बने। इसके अलावा तीसरी कॉलोनी कुपवाड़ा, बांडीपोरा और बारामुला (सभी उत्तरी कश्मीर) के मूलत: कश्मीरी पंडितों के लिए बनाई जाए। संस्था के प्रधान शादीलाल पंडिता का कहना है कि इस योजना को अमलीजामा पहनाया जाना चाहिए।

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उत्तर, दक्षिण और मध्य कश्मीर में बने तीन सैटेलाइट कॉलोनियां

यूथ आल इंडिया कश्मीरी समाज ने कहा है कि घाटी में तीन सैटेलाइट कॉलोनियां बनाई जाएं। एक घाटी के उत्तर में हो व दूसरी दक्षिण में बनाई जाए, जबकि एक सेंट्रल हो जो कश्मीर के मध्य में बने। इस राय पर केंद्र सरकार को काम करना चाहिए। युवा नेता अजय सफाया ने कहा कि नार्थ, साउथ व सेंट्रल जोन की इन कॉलोनियों में सभी कश्मीरी पंडित आ जाते हैं।

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एक ही सुरक्षित जगह बसाए जाएं

पनुन कश्मीर के चेयरमैन अजय चरंगु का कहना है कि घाटी में एक ही सुरक्षित जगह पर सभी कश्मीरी पंडितों को बसाया जाए। यह बात हमने विदेशी राजनयिकों के समक्ष भी रखी है। ऐसे में उम्मीद है कि केंद्र सरकार इसी थ्योरी पर काम करेगी।


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