फारूक-महबूबा बोले 'कश्मीर फाइल्स' के बाद बढ़ी हिंसा, कश्मीरी पंडितों का जवाब - सच हजम नहीं कर पा रहे
The Kashmir Files श्रीनगर में एक कार्यक्रम में महबूबा ने सीधे तौर पर केंद्र सरकार पर जम्मू कश्मीर के हालात बिगाड़ने का आरोप लगाते हुए कहा कि जम्मू कश्मीर में नेशनल कांफ्रेंस पीडीपी व कांग्रेस ने सुरक्षाबलों के साथ मिलकर माहौल बेहतर बनाया था।
श्रीनगर, राज्य ब्यूरो : आतंकियों की टारगेट किलिंग पर कश्मीरी हिंदुओं का हितैषी दिखने की कोशिश कर रहे डा. फारूक अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती ने अब आतंकी ङ्क्षहसा का दोष कश्मीर फाइल्स पर मढ़ दिया है। वह अब कह रहे हैं कि इस फिल्म से नफरत फैली। कश्मीरी पंडितों ने इसका जवाब देते हए कि कश्मीर फाइल्स ने इन नेताओं को आईना दिखाया और अब सच हजम नहीं कर पा रहे।
अनंतनाग में मीडिया से बातचीत के दौरान फारूक कट्टरपंथियों की तमाम साजिशों पर टिप्पणी से बचते हुए 'द कश्मीरी फाइल्स' को जिम्मेवार ठहराते दिखे। फारूक अब्दुल्ला ने आरोप लगाया कि फिल्म द कश्मीर फाइल्स और टेलीविजन चैनलों पर लगातार होने वाली हिंदू-मुस्लिम बहस के जरिये सांप्रदायिक उन्माद पैदा किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि अगर समुदायों के बीच की खाई को पाटना है तो फिल्म पर प्रतिबंध लगाना होगा।
श्रीनगर में एक कार्यक्रम में महबूबा ने सीधे तौर पर केंद्र सरकार पर जम्मू कश्मीर के हालात बिगाडऩे का आरोप लगाते हुए कहा कि जम्मू कश्मीर में नेशनल कांफ्रेंस, पीडीपी व कांग्रेस ने सुरक्षाबलों के साथ मिलकर माहौल बेहतर बनाया था। यही कारण है कि 2008, 2010 और 2016 के हिंसक प्रदर्शनों के दौरान कश्मीर में एक भी कश्मीरी हिंदू को किसी ने चोट नहीं पहुंचाई।
उन्होंने कहा कि फिल्म ने माहौल बहुत ज्यादा बिगाड़ा है, यह एक बेबुनियाद फिल्म है।' उन्होंने कहा कि मैंने उपराज्यपाल से पूछा है कि क्या यह सच हो सकता है कि एक मुस्लिम किसी हिंदू को कत्ल करे और फिर उसके खून से सने चावल उसकी बीबी को खिलाए?
उन्होंने कश्मीरी हिंदुओं का हितैषी होने का दावा करते हुए कहा कि हमने राहुल भट्ट की हत्या का मुद्दा उठाया है। हम कुलगाम भी जाना चाहते थे, जहां एक राजपूत की हत्या हुई है, हम बडग़ाम भी जाना चाहते थे, लेकिन अनुमति नहीं दी गई। जब हम एक दूसरे के दुख-सुख में शरीक नहीं होंगे, मजहबी भाईचारा कैसे मजबूत होगा।
लोगों के दिमाग में जहर भरा जा रहा : श्रीनगर में पत्रकारों से बातचीत में महबूबा ने कहा कि बीते चार-पांच साल से केंद्र सरकार ने कश्मीर में डर और नफरत का माहौल पैदा करना शुरू कर दिया है। कश्मीर फाइल्स फिल्म के बाद पूरे देश में मुस्लिमों के खिलाफ माहौल तैयार किया जा रहा है। कश्मीरी मुस्लिमों को लेकर लोगों के दिमाग में जहर भरा जा रहा है। उन्होंने कहा कि हमने उपराज्यपाल से कश्मीरी हिंदुओं की सुरक्षा पर बात की है। यहां गिरफ्तारियां और सरकारी मुलाजिमों की बर्खास्तगी से यहां हालात सुधरेंगे नहीं बल्कि और बिगड़ेंगे।
ज्ञानवापी मामले पर भाजपा पर तंज : ज्ञानवापी परिसर पर महबूबा ने कहा कि भाजपा को एकसाथ उन सभी मस्जिदों की सूची देनी चाहिए, जो उसे चाहिए। वह जगह-जगह मस्जिदों को गिराने की बात कर रहे हैं, इससे सिर्फ नफरत ही फैलेगी। महबूबा ने कहा कि भाजपा व उस जैसे अन्य दल मुगलों की विरासत को तबाह करने पर तुले हैं। केंद्र सरकार रोजगार, महंगाई और विकास के मुद्दे पर पूरी तरह नाकाम रही है, इसलिए वह लोगों का ध्यान बुनियादी मुद्दों से हटाने के लिए पूरे देश में नफरत का माहौल पैदा कर रही है।
सच सामने आने पर डर रहे : कश्मीरी हिंदू वेल्फेयर सोसाइटी के प्रवक्ता चुन्नी लाल ने कहा कि फारूक अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती को आज कश्मीर फाइल्स से डर लग रहा है। 1989-90 में यह फिल्म नहीं थी, तब कश्मीरी हिंदुओं के खिलाफ कश्मीर में नफरत का माहौल कैसे बना था। सच तो यह है कि द कश्मीर फाइल्स फिल्म ने इन्हें आईना दिखाया है। कश्मीर से पलायन न करने वाले कश्मीरी हिंदुओ के संगठन कश्मीर पंडित संघर्ष समिति के अध्यक्ष संजय टिक्कू ने कहा कि अब्दुल्ला, मुफ्ती और इन जैसे लोग ही कश्मीरी हिंदुओं पर अत्याचार के लिए जिम्मेदार हैं। इन्हें 1931, 1947 में कश्मीरी हिंदुओं में हुए हमले भले ही याद न हों पर 1986 के अनंतनाग के दंगे और 1989 की हिंसा तो याद होगी। उसके लिए कौन जिम्मेवार था। हमें राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक रूप से कमजोर किसने बनाया।