कश्मीरी पंडितों ने मांगा अपना क्षेत्र, अपना प्रतिनिधित्व
भाजपा नेता व पनुन कश्मीर के पूर्व अध्यक्ष अश्वनी चरंगु ने कहा कि कश्मीरी पंडितों ने पिछले तीन दशकों से गहरे कष्ट उठाए। इस कष्ट के साथ साथ कश्मीरी पंडितों ने अपने लिए संघर्ष भी किया।
जागरण संवाददाता, जम्मू : नए कश्मीर में कश्मीरी पंडितों को अपनी जमीं पर वापसी की उम्मीद फिर से जगी है। कश्मीरी पंडित इसके लिए तैयार भी हैं पर उन्होंने सरकार से पहले अपना विशेष क्षेत्र और सियासत में अपना प्रतिनिधित्व मांगा है। शनिवार को पनुन कश्मीर ने कश्मीरी पंडित सभा सभागार में आयेाजित कार्यक्रम में सरकार के समक्ष घर वापसी का मसौदा भी पेश किया।
इस दौरान पनुन कश्मीर का कहना था कि कश्मीरी पंडितों का घाटी में वापसी का मार्ग प्रशस्त होने लगा है। ऐसे में आवश्यक है कि उन्हें एक ही जगह पर बसाया जाए, ताकि वह अपनी संस्कृति, समाज से जुड़े रहें और सुरक्षित वातावरण में रह सकें।
28वें मार्गदर्शन दिवस पर अपनी बात रखते हुए कश्मीरी पंडितों ने कहा कि वापसी कश्मीरी पंडितों के अनुकूल होनी चाहिए, ताकि उनका सही ढंग से पुनर्वास हो सके। पंडितों ने कहा कि पिछले तीस साल से वे अपनी मातृभूमि से जुदा हैं। उनको अपने स्थल से जोड़ने के काम में अब तेजी से काम होना चाहिए।
भाजपा नेता व पनुन कश्मीर के पूर्व अध्यक्ष अश्वनी चरंगु ने कहा कि कश्मीरी पंडितों ने पिछले तीन दशकों से गहरे कष्ट उठाए। इस कष्ट के साथ साथ कश्मीरी पंडितों ने अपने लिए संघर्ष भी किया। इसी का नतीजा है कि नतीजे सामने आने लगे हैं। उन्होंने केंद्र सरकार के प्रयासों की प्रशंसा करते हुए कहा कि एक के बाद एक बड़े फैसले हो रहे हैं। अब कश्मीरी पंडितों की घाटी वापसी जरूर होगी और कश्मीरी पंडित जिस तरह से वापसी चाहेंगे, उसी अनुरूप उनकी वापसी होगी। चरंगु ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कश्मीरी पंडितों की घर वापसी का मार्ग प्रशस्त कर दिया है।
इस मौके पर भाजपा के संगठन मंत्री अशोक कौल को समाज के लिए किए गए काम को लेकर सम्मानित भी किया गया। कौल ने समाज को आश्वस्त किया कि उनके लिए वह हमेशा उपलब्ध रहेंगे। मौके पर प्रधान विरेंद्र रैना, संजय सरार्फ, आरएल भट्ट, नरेंद्र रैना, प्रेम सिंह ने भी अपनी बात रखी। मौके पर अश्विनी चरंगु द्वारा कश्मीर पर लिखी गई पुस्तिका का विमोचन भी किया गया।
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सात प्रस्ताव किए पास
मौके पर पनुन कश्मीर ने सात प्रस्ताव पारित किए गए। सभी उपस्थिति साथियों ने इन प्रस्ताव पर मुहर लगाई।
- कश्मीरी पंडितों की घर वापसी सुनिश्चित हो और उन्हें एक ही स्थान पर बसाया जाए।
- राज्य की विधानसभा में पंडितों के लिए पांच सीटें आरक्षित की जाएं।
- कश्मीरी पंडितों से हुई प्रताड़ना की जांच के लिए स्पेशल क्राइम ट्रिब्यूनल स्थापित किया जाए।
- मंदिरो और श्राइन के संरक्षण के लिए बिल या अध्यादेश लाए केंद्र सरकार।
- कश्मीरी पंडितों के युवाओं को छह हजार सरकारी दी जाएं।
- ओवरएज हो चुके लोगों को वरीयता देते हुए उनके उत्थान के लिए योजनाएं शुरू की जाए।
पनुन कश्मीर ने पेश किया जेनोसाइड एंड एट्रोसिटीज प्रीवेंशन बिल
जागरण संवाददाता, जम्मू : पनुन कश्मीर ने घाटी में हिदुओं पर हुए जाति संहार को लेकर प्रस्तावित बिल जारी किया है। संगठन की तरफ से कहा गया है कि भारत सरकार इसे अपनाए और संसद में पारित करवा कर जाति संहार के अपराध के खिलाफ कानून बनाए। इस बिल को पनुन कश्मीर ने जेनोसाइड एंड एट्रोसिटीज प्रीवेंशन बिल 2020 का नाम दिया गया है। मार्गदर्शन दिवस पर शनिवार को यहां हुए कार्यक्रम में कश्मीरी पंडितों ने कहा कि घाटी में कश्मीरी पंडितों के साथ जो कुछ गुजरा वह जाति संहार ही था। जेकेएलएफ पर प्रतिबंध लगाकर सरकार ने भी अब मानना शुरू कर दिया है। पनुन कश्मीर के चेयरमैन अजय चरंगु ने कहा कि अब तो केंद्र सरकार मानने लगी है कि कश्मीरी पंडितों के साथ जाति संहार हुआ था। ऐसे में भारत प्रतिबद्ध है कि वह नरसंहार पर कानून लाए। क्योंकि नरसंहार अपराध पर कानून के प्रस्ताव को लेकर 1948 में संयुक्त राष्ट्र की हुई बैठक का भारत ने भी पूरा समर्थन किया था। यहीं नही 1959 में संसद में भी भारत ने इस प्रस्ताव का अनुमोदन किया था। ऐसे में अब कानून बनाने में जरा भी देरी नही होनी चाहिए। ऐसा कानून बनाने से ही कश्मीर में कश्मीरी पंडितों के खिलाफ खेल रचने वालों को दंडित किया जा सकेगा। पनुन कश्मीर के संयोजक डा. अग्नि शेखर ने प्रधानमत्री नरेंद्र मोदी व गृहमंत्री अमित शाह द्वारा लिए जा रहे फैसलों की सराहना की। कहा कि जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 व 35 ए पहले ही खत्म की जा चुकी है। जम्मू कश्मीर व लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश बन चुके हैं। ऐसे में हमें पूरी उम्मीद है कि कश्मीरी पंडितों को इंसाफ मिलेगा और उसकी घाटी वापसी होगी। लेकिन जिन्होंने घाटी में नरसंहार किया, को कानून के दायरे में लाया जाना चाहिए। जेनोसाइड एंड एट्रोसिटीज प्रीवेंशन बिल 2020 को भारत सरकार पास कराए। मौके पर टीटू गंजू ने कहा कि कश्मीरी पंडित समुदाय एक कठिन संकट के दौर से गुजरा है। कश्मीरी पंडितों पर घाटी में जो जुल्म हुए, आज भी इन लोगों को याद है। अब कश्मीरी पंडितों की घर वापसी से ही इनका पुनर्वास होगा। मौके पर शैलेंद्र ऐमा ने भी अपने विचार रखे, जबकि हीरालाल भट्ट ने आए हुए मेहमानों का धन्यवाद किया।