कश्मीर के वकील वसीम बने मिसाल; शादी में नहीं की ‘बर्बादी’, भूखों का भर रहे पेट
वसीम ने कहा लॉकडाउन के चलते यहां फिलहाल शादियां टल गई हैं और जो हो रही हैं वह काफी सादगी से हो रही हैं। मुझसे प्रभावित कश्मीरी युवा भी अब इस मुहिम में जुड़ गए है।
श्रीनगर, रजिया नूर। अपनी शादी सादगी से कर पैसे की बचत की और अब उसी पैसे से भूखों का पेट भर रहे हैं। पेशे से वकील कश्मीर के इस बेटे के जोश और जज्बे को देखकर अन्य युवा भी इस मिशन में उसके साथ आकर योगदान दे रहे हैं। श्रीनगर से सटे हुमहामा इलाके के रहने वाले एडवोकेट वसीम अहमद अपनी टीम के साथ पूरा दिन जरूरतमंदों तक राशन-पानी पहुंचाने में लगे रहते हैं। पिछले डेढ़ महीने से रोज जरूरतमंदों के फोन कॉल पर उनका पता नोट करना और उसके बाद उन तक राशन पहुंचाया अब वसीम का मकसद बन गया है।
वसीम ने दैनिक जागरण से कहा, भूखे के मुंह में निवाला डालना ही सबसे बड़ी इबादत है। बताया, मेरा परिवार संपन्न है। घरवाले धूमधाम से मेरी शादी करना चाहते थे, लेकिन मैंने उन्हें मना कर दिया। मुङो शादियों पर होने वाली फिजूल खर्ची से बेहतर लगा कि जरूरतमंदों की मदद कर दी जाए। इससे नेक काम और क्या हो सकता है। हमारे यहां शादियों में पकाए जाने वाले कई तरह के वाजवान (गोश्त) पर ही दो से 10 लाख रुपये तक खर्च कर दिए जाते हैं। मैंने सादगी से शादी कर वाजवान पर खर्च होने वाले रुपये बचा लिए। अब वही पैसा संकट के दौर में गरीबों के निवाले के काम आ रहा है।
वसीम ने कहा, लॉकडाउन के चलते यहां फिलहाल शादियां टल गई हैं और जो हो रही हैं, वह काफी सादगी से हो रही हैं। मुझसे प्रभावित कश्मीरी युवा भी अब इस मुहिम में जुड़ गए है।
बकौल वसीम, मैंने कुछ जरूरतमंद लोगों को देखा, जिनके पास खाने तक की कमी थी। यह ऐसे लोग थे जो सुबह कमाते और शाम को खाते थे। मैंने अपने दोस्तों से बात कर ऐसे लोगों की मदद करने की ठानी। सभी तैयार हो गए। मैंने अपनी शादी से बचाए पांच लाख रुपये से खाने पीने की चीजें खरीदीं और खुद फूड किट (चावल, आटा, तेल, चीनी, नमक मिर्च, चाय आदि) बना जरूरतमंदों तक पहुंचाना शुरू कर दिया। यह सिलसिला अब भी जारी है। हमारी इस मुहिम में अब कुछ और युवा भी जुड़ गए हैं और सभी अपनी ओर से पैसे एकत्र कर मदद कर रहे हैं।
वसीम ने कहा, अभी तक हमारी टीम ने अनेक जरूरतमंद परिवारों में फूड किट बांटे हैं। उम्मीद है कि जब तक कोरोना का संकट है तब तक जरूरतमंद लोगों की मदद करते रहेंगे। इसके बाद समाज में गरीब परिवारों की बेटियों की शादी में भी मदद करने की मुहिम छेड़ी जाएगी।
मेरी सभी युवाओं से अपील है कि सादगी से शादी रचाएं। आपने शादी पर जितना भी बजट रखा है उससे पैसा बचाकर जरूरतमंद लोगों की मदद करें। शादियों में फिजूल खर्च करने से कोई लाभ नहीं होगा। वैसे भी कोरोना काल ने हमें काफी कुछ सिखा दिया है। इसलिए आगे आएं। यकीन मानिए, दूसरों की मदद करने में बेहद सुकून मिलेगा।