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कश्मीर में ऐसा स्कूल...जहां पढ़ाई के साथ बच्चे सीखते हैं जैविक खेती के गुर

अध्यापक मोहम्मद मकबूल ने बताया कि हमने सब्जियों की अलग-अलग क्यारियां बनाई हैं। हर क्यारी की देखभाल करने की जिम्मेदारी दो-दो बच्चों को सौंप दी है। अध्यापक जांच करते हैं। जो क्यारी सबसे अच्छी होती है उसकी देखरेख करने वाले बच्चों को पुरस्कृत भी किया जाता है।

By Jagran NewsEdited By: Rahul SharmaPublished: Sat, 01 Oct 2022 07:47 AM (IST)Updated: Sat, 01 Oct 2022 02:17 PM (IST)
अध्यापक मोहम्मद मकबूल ने बताया कि हमने सब्जियों की अलग-अलग क्यारियां बनाई हैं।

श्रीनगर, रजिया नूर : एक ऐसा स्कूल, जहां बच्चे अच्छी शिक्षा पाने के साथ जैविक खेती के गुर भी सीखें...इससे बेहतर और क्या हो सकता है। मध्य कश्मीर में बड़गाम जिले का सरकारी मिडिल स्कूल पुनुछगुंड का वातावरण ऐसा ही है। यहां के अध्यापकों ने बच्चों के लिए स्कूल परिसर में ही 250 फीट लंबा और तीन फीट चौड़ा किचन गार्डन तैयार किया है।

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यह गार्डन स्कूल में जैविक खेती की प्रयोगशाला बन गया है। इसमें बच्चों को फसल चक्र के बारे में बारीकी से बताया जाता है। इसका बच्चों ही नहीं, स्कूल को भी बड़ा लाभ मिल रहा है। किचन गार्डन से निकली ताजा सब्जियां मिड डे मील में पकाई जाती हैं, जिससे विद्यार्थियों की सेहत सुधार रही हैं। इससे मिड डे मील का जो पैसा बचता है, उससे स्कूल के छोटे-मोटे कार्य करा लिए जाते हैं।

स्कूल परिसर में ही बना दिया कीचन गार्डन : स्कूल के वरिष्ठ अध्यापक शब्बीर अहमद ने बताया कि यहां 80 छात्र-छात्राएं हैं। बच्चों के खेलने के लिए उपलब्ध मैदान के बावजूद जमीन का एक बड़ा हिस्सा बेकार पड़ा रहता था। हमने इस हिस्से को स्कूल के किचन गार्डन में बदल दिया। शब्बीर ने कहा, इस किचन गार्डन में हम बच्चों के साथ मिलकर आलू, प्याज, हरी मिर्च, कद्दू, लौकी, खीरा, मूली, गाजर, साग, बैंगन, पुदीना, धनिया आदि उगाते हैं और फिर उन सब्जियों का मिड डे मील में इस्तेमाल करते हैं। शब्बीर ने कहा, हमने गाडर्निंग सिखाने के लिए आधा घंटा रखा है और स्कूल के सब छोटे-बड़े ब'चे इसमें खास दिलचस्पी रखते हैं।

इस तरह करते हैं प्रोत्साहित : अध्यापक मोहम्मद मकबूल ने बताया कि हमने सब्जियों की अलग-अलग क्यारियां बनाई हैं। हर क्यारी की देखभाल करने की जिम्मेदारी दो-दो बच्चों को सौंप दी है। अध्यापक जांच करते हैं। जो क्यारी सबसे अच्छी होती है उसकी देखरेख करने वाले बच्चों को पुरस्कृत भी किया जाता है। हम बच्चों को जैविक खाद बनाना भी सिखा रहे हैं। इसके लिए किचन गार्डन के एक कोने में गड्ढा खोद रखा है। इसमें सब्जियों के कचरे को जमा कर खाद बनाई जाती है। इसका इस्तेमाल सब्जियों की खेती में होता है। इससे प्रेरित होकर कई ब'चों ने अपने घरों में भी किचन गार्डन तैयार किए हैं।

बच्चों को पढ़ाई में भी मिल रही मदद : सातवीं कक्षा के वाले रिहान ने कहा, गेम्स पीरियड के बाद आधा घंटा हमारा गार्डनिंग पीरियड होता है। इस साल मैंने और मेरे दोस्त ने हमारे हिस्से में आई क्यारी में मक्का बोई है। भुट्टे अच्छे से पक गए हैं। अध्यापकों ने हमारी क्यारी को बेस्ट क्यारी करार दिया। आठवीं कक्षा की छात्रा निदा अशरफ ने कहा, अपने सिलेबस में प्लांट ग्रोथ (पौधा उगाना और इसका बड़ा होना) के बारे में पढ़ा था, लेकिन अब हम अपने हाथों से पौधों को उगाते हैं और इस दौरान इसमें होने वाले तमाम बदलाव का खुद अनुभव करते है। इससे हम परीक्षा में आने वाले प्रश्नों का अ'छे से जवाब लिख सकते हैं। आगे जाकर हम कृषि क्षेत्र में अपना भविष्य भी बना सकते हैं। 


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