जम्मू, जेएनएन : कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही भगवान शिव ने त्रिपुर राक्षस का वध किया था, त्रिपुर ने एक लाख वर्ष तक प्रयाग में भारी तपस्या कर ब्रह्मा जी से मनुष्य और देवताओं के हाथों ना मारे जाने का वरदान हासिल किया था। इसके बाद भगवान शिव ने ही उसका वध कर संसार को उससे मुक्ति दिलाई थी। इस दिन उपवास करने से हजार अश्वमेध और सौ राजसूय यज्ञ के बराबर का फल प्राप्त होता है।

इस बार पूर्णिमा तिथि 07 नवंबर सोमवार शाम 04 बजकर 17 मिनट पर शुरू होगी और 08 नवंबर मंगलवार को शाम 04 बजकर 32 मिनट पर समाप्त होगी, जो भक्त रात्रि पूर्णिमा का व्रत करते हैं वे सोमवार को व्रत करें, जो दिवा पूर्णिमा का व्रत करते हैं वे मंगलवार को करें।

श्री कैलख ज्योतिष एवं वैदिक संस्थान ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत रोहित शास्त्री ने व्रत की महत्ता के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि कार्तिक पूर्णिमा की रात को बछड़ा दान करने से शिव लोक की प्राप्ति होती है। जब चंद्रोदय हो रहा हो, उस समय शिवा, संभूति, संतति, प्रीति, अनुसूया और क्षमा इन छ: कृतिकाओं का पूजन करने से शिव जी का आशीर्वाद मिलता है क्योंकि ये स्वामी कार्तिक की माता है।

पवित्र माना जाता है कार्तिक महीना : कार्तिक महीना बहुत ही पवित्र माना जाता है, विशेषकर कार्तिक पूर्णिमा का दिन बेहद शुभ माना जाता है इस दिन स्नान और दान का बड़ा महत्व है,इस दिन गंगा नदी,नदी,सरोवर आदि में स्नान करने से सभी जन्मों के पापों से मुक्ति मिलती है इस दिन श्रद्धालु स्नान कर दीप, दान, हवन, यज्ञ, घी, वस्त्र, ब्राह्मण भोजन, तेल, तिल दक्षिणा दान करते हैं।

कार्तिक पूर्णिमा के दिन हुआ था गुरु नानक देव जी का जन्म : इस विशेष दिवस पर विधि-विधान से पूजा अर्चना करना ना केवल पवित्र माना जाता है बल्कि इससे समृद्धि भी आती है। इससे सभी कष्ट दूर हो सकते हैं, इस दिन पूजा करने से श्री लक्ष्मी नारायण, भगवान शिव और शनि देव की कृपा प्राप्त होती हैं। कार्तिक पूर्णिमा के दिन सिखों के गुरु नानक देव जी का जन्म हुआ था, अतः इसलिए इस दिन गुरू नानक जयंती भी मनाई जाती है,कार्तिक पूर्णिमा के दिन उत्तरी भारत का सबसे बड़ा मेला बावा जित्तो देव स्थान झिड़ी सामाचक में लगता है, जम्मू में अधितिकर कुल देव और देवी स्थानों पर मेले लगते है। पूर्णिमा के दिन घर के आस पास ज़रूरत मंद लोगों यथा शक्ति दान अवश्य करें। पौराणिक कथा के अनुसार, देवता अपनी दिवाली कार्तिक पूर्णिमा की रात को ही मनाते हैं।

जानें चंद्रग्रहण का समय : भीष्म पंचक 08 नवंबर मंगलवार को समाप्त होंगे। मंगलवार 08 नवंबर को जम्मू कश्मीर में चंद्रग्रहण शाम 05 बजकर 30 मिनट पर शुरू होगा और इसी दिन शाम 06 बजकर 20 मिनट पर समाप्त होगा। ग्रहण का सूतक 08 नवंबर मंगलवार सुबह 08 बजकर 30 मिनट पर शुरू होगा। पूजा पाठ 08 नवंबर मंगलवार सुबह 08 बजकर 30 मिनट के पहले कर ले या शाम 06 बजकर 20 मिनट के बाद करें। 

Edited By: Rahul Sharma