वायुसेना अधिकारियों की हत्या के मामले में गिरफ्तार जावेद को मिली जमानत
जावेद ने अगली पेशी में अदालत में हाजिरी का यकीन दिलाया और उन्हें जमानत पर छोड़ दिया गया।
राज्य ब्यूरो, श्रीनगर : जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) के पूर्व कमांडर जावेद मीर को करीब 30 साल पूर्व श्रीनगर के रावलपोरा में वायुसेना के अधिकारियों पर हमले व हत्या की वारदात के सिलसिले में सीबीआइ ने गिरफ्तार किया है। अलबत्ता, मीर ने अदालत से जमानत ले ली है। अब मीर संबंधित मामले की अगले सप्ताह होने वाली सुनवाई के समय अदालत में पेश होंगे। जेकेएलएफ के चेयरमैन मोहम्मद यासीन मलिक भी इस मामले में आरोपित है और इस समय वह तिहाड़ जेल में टेरर फंङ्क्षडग के सिलसिले में बंद है।
गौरतलब है कि 25 जनवरी 1990 को श्रीनगर के रावलपोरा इलाके में जेकेएलएफ के आतंकियों ने वायुसेना के अधिकारियों पर हमला किया था। इसमें स्कवाड्रन लीडर रवि खन्ना समेत चार वायुसेनाकर्मी शहीद हुए थे। आरोप है कि इस हमले में यासीन मलिक और जावेद मीर भी शामिल थे। जावेद मीर को जावेद नलका भी कहते हैं, क्योंकि 1989 में जेकेएलएफ का कमांडर बनने से पहले वह राज्य पीएचई (जलापूर्ति) विभाग में कार्यरत था। जावेद मीर को उन चार शुरुआती आतंकी कमांडरों में गिना जाता है जो सबसे पहले आतंकी बनने गुलाम कश्मीर गए थे।
अदालत ने जारी किया था वारंट : सूत्रों ने बताया कि वायुसेना अधिकारियों पर हमले और हत्या के मामले की सुनवाई जम्मू स्थित टाडा अदालत में चल रही है। जावेद मीर को अदालत में पेश होना था, लेकिन वह हाजिर नहीं हुए। इस पर अदालत ने उनके खिलाफ एक वारंट जारी किया था। इसी वारंट के आधार पर दो दिन पूर्व सीबीआइ की एक टीम ने जावेद मीर को श्रीनगर स्थित उनके घर से गिरफ्तार कर लिया। मीर को उसी समय स्थानीय अदालत में पेश किया गया, जहां उन्होंने जांच में पूर्ण सहयोग का यकीन दिलाते हुए बताया कि वह पांच अगस्त से अपने घर में नजरबंद थे। इसलिए जम्मू में पेशी के समय हाजिर नहीं हो पाए। उन्होंने बताया कि फोन और इंटरनेट भी बंद था। जावेद ने अगली पेशी में अदालत में हाजिरी का यकीन दिलाया और उन्हें जमानत पर छोड़ दिया गया।
जम्मू की टाडा अदालत में चल रही सुनवाई : सीबीआइ ने इस मामले में मलिक और मीर समेत छह लोगों के खिलाफ टाडा अदालत में आरोपपत्र दायर किया है। मामले की सुनवाई पर जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट की एकल पीठ द्वारा 1995 में स्टे प्राप्त किया था। इसके बाद वर्ष 2008 में यासीन मलिक ने विशेष अदालत में याचिका दायर कर अपनी सुरक्षा का हवाला देते हुए मामले की सुनवाई को श्रीनगर में स्थानांतरित करने का आग्रह किया था। अदालत ने 20 अप्रैल 2009 को फैसला सुनाते हुए सुनवाई को श्रीनगर में स्थानांतरित किया था। इस पर सीबीआइ ने अदालत में अपना पक्ष रखते हुए मामले की सुनवाई को जम्मू स्थानांतरित कराने के लिए याचिका दायर की थी। जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट ने 13 मार्च 2019 को सीबीआइ की याचिका को स्वीकारते हुए वायुसेना के अधिकारियों की हत्या और पूर्व मुख्यमंत्री स्व. मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रुबिया सईद के अपहरण संबंधी मामलों की सुनवाई को जम्मू ङ्क्षवग में स्थानांतरित करने का फैसला सुनाया था।