JKCA Scam: डॉ फारूक अब्दुल्ला समेत अन्य आरोपित 11 फरवरी को विशेष अदालत में हों पेश
JKCA Scam जम्मू-कश्मीर क्रिकेट एसोसिएशन में हुए करोड़ों रूपये के घोटाले की जांच सीबीआई कर रही है। हाईकोर्ट में सीबीआई को छह महीने के भीतर जांच पूरी करने के निर्देश दिए थे। हालांकि सीबीआई ने जांच पूरी करने के लिए समय-समय पर हाई कोर्ट से अतिरिक्त समय भी मांगा।
श्रीनगर, जेएनएन: जम्मू-कश्मीर के बहुचर्चित करोड़ों रूपये के जेएंडके क्रिकेट एसोसिएशन घोटाले का ट्रायल अब मनी लॉर्डिग के मामले देख रही विशेष कोर्ट में होगा। चीफ जुडिशियल मजिस्ट्रेट श्रीनगर ने यह मामला इस कोर्ट को सौंप दिया है। चीफ जुडिशियल मजिस्ट्रेट श्रीनगर नगर गोहर मजीद दलाल ने यह मामला प्रमुख जिला सत्र न्यायाधीश श्रीनगर को सौंपा। इस कोर्ट को मनी लॉर्डिंग के केस देखने के लिए बनाया गया है।
इस घोटाले में डॉ. फारूक अब्दुल्ला का नाम भी सबसे ऊपर है।और उनके खिलाफ चीफ जुडिशियल मजिस्ट्रेट के समक्ष चार्जशीट भी दायर की जा चुकी है। इस समय डॉ. अब्दुल्ला इस मामले में जमानत पर हैं। इस मामले को विशेष अदालत में पेश किए जाने के बाद अदालत ने आदेश जारी किए हैं कि इससे जुड़़े सभी आरोपित 11 फरवरी को कोर्ट में जाहिर हों।
जम्मू-कश्मीर क्रिकेट एसोसिएशन में हुए करोड़ों रूपये के घोटाले की जांच सीबीआई कर रही है। हाईकोर्ट में सीबीआई को छह महीने के भीतर जांच पूरी करने के निर्देश दिए थे। हालांकि सीबीआई ने जांच पूरी करने के लिए समय-समय पर हाई कोर्ट से अतिरिक्त समय भी मांगा। इस मामले की जांच वर्ष 2018 में पूरी कर ली गई थी। जिसके बाद सीआई ने कोर्ट को बताया कि मामले की सभी औपचारिकताएं पूरी कर ली गई हैं और चालान भी कोर्ट में पेश कर दिया गया है। सीबीआई ने इस घोटाले से जुड़े 368 दस्तावेज भी श्रीनगर पुलिस से अपने कब्जे में लिए थे।
इस जांच में सीबीआई ने जम्मू-कश्मीर क्रिकेट एसोसिएशन के श्रीनगर कार्यालय, बीबीसीआई मुंबई, एचडीएफसी बैंक मोहाली, आइसीआइसीआइ बैंक चिन्नई, जम्मू-कश्मीर बैंक की जम्मू व श्रीनगर की विभिन्न शाखाओं में भी घोटाले से जुड़े दस्तावेज हासिल किए थे। इसके अलावा बीसीसीआई, जेकेसीए व बैंकों के 75 से अधिक लोगों से पूछताछ भी की गई। जांच में सामने आया था कि बीसीसीआई ने जेकेसीए को अप्रैल 2002 से लेकर 31 दिसंबर 2011 तक 112 करोड़ 33 लाख 4618 रूपये दिए थे। इस राशि से काफी सारा पैसा विभिन्न लोगों के खाते में चला गया जिनमें या तो वे लोग जेकेसीए के पदाधिकारी थे और कुछ का जेकेसीए से कोई नाता भी नहीं था।