वर्षो बाद भी थानों व चौकियों में नहीं बन पाए जैव शौचालय
दिनेश महाजन, जम्मू स्वच्छ वातावरण हर किसी को पसंद है। स्वच्छ वातावरण तभी होगा, जब स्वच्छता
दिनेश महाजन, जम्मू
स्वच्छ वातावरण हर किसी को पसंद है, लेकिन यह तभी होगा जब स्वच्छता के प्रति सभी सजग होंगे। केंद्र सरकार ने वर्ष 2014 में स्वच्छ भारत अभियान शुरू किया था, जो पूरे देश में जोरशोर से चल रहा है। जम्मू कश्मीर पुलिस ने भी इस अभियान में शामिल होते हुए वर्ष 2015 में पुलिस चौकियों और थानों में जैव शौचालय स्थापित करने की योजना बनाई। लगभग साढे़ तीन वर्ष बीत जाने के बाद भी योजना सिरे नहीं चढ़ सकी, जिससे पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाता है।
वर्ष 2015 में जब पुलिस विभाग ने योजना बनाई तो तय किया गया कि राज्य के सभी थानों में जैव शौचालय स्थापित किए जाएंगे। मगर साढे़ तीन वर्ष बाद भी योजना विभागीय फाइलों में दबी हुई है। थानों में जैव शौचालय लगाने के लिए पहली बार टेंडर 18 अगस्त 2015 में जारी हुआ था। उसके बाद दो बार टेंडर की शर्तो में बदलाव किया गया। दिसंबर 2017 में फिर से ई-टेंडर जारी किया गया। मगर अभी तक किसी भी कंपनी को जैव शौचालय लगाने का काम नहीं सौंपा गया है। जैव शौचालय लगाने में देरी पर पुलिस अधिकारी भी कुछ नहीं बोल रहे बल्कि एक दूसरे को जिम्मेदार ठहरा कर पल्ला झाड़ रहे हैं। केंद्रीय गृहमंत्रालय जारी कर चुका है पैसा
वर्तमान में राज्य में कुल 215 पुलिस थाने हैं। इनमें 195 टेरिटोरियल, रेलवे पुलिस के 11, सीआइडी विंग के दो, टूरिस्ट पुलिस का एक और एंटी ह्यूमन ट्रैफि¨कग के चार पुलिस थाने हैं। इसके अलावा 296 पुलिस चौकियां भी हैं। हालांकि आने वाले दिनों में पुलिस थानों की संख्या बढ़ने जा रही है। जैव शौचालय लगाने का खर्च केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से पुलिस आधुनिकीकरण के तहत जारी होने वाली राशि में दिए गए हैं। करीब दो करोड़ रुपये जैव शौचालय बनाने पर खर्च होने का अनुमान है। शौचालय के साथ प्री-फेब्रिकेटेड शीट का शेड भी बनाए जाने की परियोजना है। 'थानों में जैव शौचालय लगाने का काम पुलिस मुख्यालय में तैनात एआइजी के पास है। जैव शौचालय की खरीद के लिए कुछ दिक्कतें आ रही हैं, जिन्हें दूर किया जा रहा है।'
-मनोज पंडित, एसपी एवं पुलिस प्रवक्ता
श्राइन बोर्ड कर रहा जैव शौचालय का प्रयोग
श्री बाबा अमरनाथ श्राइन बोर्ड वार्षिक अमरनाथ यात्रा के दौरान विभिन्न पड़ाव में जैव शौचालयों का प्रयोग कर रहा है। जैव शौचालय के प्रयोग से पर्यावरण प्रदूषित नहीं होता। इसके अलावा जम्मू से रवाना होने वाली विभिन्न रेलगाड़ियों में भी जैव शौचालय को प्रयोग में लाया जा रहा है। कैसे काम करते हैं जैव शौचालय
जैव शौचालय में एनारोबिक बैक्टीरिया की मदद से गंदगी को पानी और गैस में तब्दील किया जाता है। पानी क्लोरिन टैंक में जाने के बाद वहां से साफ पानी की तरह बाहर निकल आता हैं और गैस हवा में घुल जाती है। जैव शौचालय में हालांकि प्लास्टिक व पॉलीथिन नष्ट नहीं होता है। जैव शौचालय से प्रदूषण नहीं फैलता। कई पुलिस यूनिट में नहीं है शौचालय
गत वर्ष पुलिस मुख्यालय की सर्वे रिपोर्ट में कई यूनिट बिना शौचालय के होने की बात सामने आई थी। कश्मीर जोन में विभाग की 188 इमारतों में शौचालय ही नहीं है। जम्मू जोन में 166 इमारतों में शौचालय की सुविधा नहीं है। आर्म्ड पुलिस ¨वग में 156 इमारतों में शौचालय और 146 बाथरूम नहीं हैं। सिक्योरिटी ¨वग 13 इमारतों में शौचालय नहीं है। शेर-ए-कश्मीर पुलिस एकेडमी 05 इमारतों में शौचालय नहीं है। रेलवे पुलिस की कठुआ-जम्मू-ऊधमपुर के बीच दर्जनों पोस्ट पर शौचालय नहीं हैं।