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Jammu : महिलाओं ने अपनी रचनाएं पढ़ कर देशभक्ति से ओतप्रोत किया, रचनाओं ने सभी का मन मोह लिया

डोगरी कहानीकार सुदेश राज ने महिला काव्य मंच के कार्यों की सराहना करते हुए कहा कि मंच महिलाओं को लिए काफी सराहनीय कार्य कर रहा है। खासकर इस मंच से महिलाओं को अभिव्यक्ति का काफी अच्छा मौका मिल रहा है।इससे कई नए रचनाकार सामने आए हैं।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Sun, 14 Aug 2022 01:30 PM (IST)Updated: Sun, 14 Aug 2022 01:30 PM (IST)
नए रचनाकार को जब मौका मिलता है तो वह प्रोत्साहित होता है

जम्मू, जागरण संवाददाता : महिला काव्य मंच जम्मू इकाई ने अपनी रचनाएं पढ़ कर 75वां आजादी का अमृत महोत्सव मनाया। डोगरी संस्था की ओर से आयोजित इस साहित्यिक गोष्ठी में महिला साहित्यकारों ने अपनी रचनाओं से समझाया कि आजादी के लिए भारतीयों ने किस तरह एक जुट होकर आजादी के लिए संघर्ष किया और आज हम सभी आजादी का जीवन जी रहे हैं।

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उनकी रचनाएं यह समझाती भी दिखी कि आजादी के बाद अब हमारा क्या दायित्व बनता है।कुछ साहित्यकारों की रचनाओं में स्वतंत्रता सेनानियों के संघर्ष को भी इतने अच्छे तरीके से उकेरा गया था कि उपस्थिति देश भक्ति के रंग में रंगे दिखे। देश भक्ति से ओतप्रेात रचनाओं ने सभी का मन मोह लिया।

कार्यक्रम में अपनी रचनाएं पढ़ने वालों में सवरम कोतवाल, अलका महाजन, मीनाक्षी महाजन, अमरजीत कौर, रश्मि गुप्ता, सुनीता गोज़ा, उमा बली, प्रणीता कपूर, कुसुम धर, सुमन पाल, गिरिजा शर्मा आदि शामिल थी। इस मौके पर महिला काव्य मंच जम्मू की संचालक सुमन पाल ने बताया कि महिलाओं का यह एकमात्र अंतरराष्ट्रीय साहित्यिक मंच है।जिसकी भारत के बाहर 65 इकाइयां हैं और भारत में लगभग सभी राज्यों में 155 इकाइयां हैं।उन्होंने संस्था द्वारा आयोजित कार्यक्रमों का विवरण देते हुए कहा कि आगे भी इस तरह के कार्यक्रम जारी रहेंगे।

विशेष अतिथि डोगरी कहानीकार सुदेश राज ने महिला काव्य मंच के कार्यों की सराहना करते हुए कहा कि मंच महिलाओं को लिए काफी सराहनीय कार्य कर रहा है। खासकर इस मंच से महिलाओं को अभिव्यक्ति का काफी अच्छा मौका मिल रहा है।इससे कई नए रचनाकार सामने आए हैं।

नए रचनाकार को जब मौका मिलता है तो वह प्रोत्साहित होता है और आगे उसकी लेखनी में निखार आने की संभावनाएं बढ़ती जाती हैं।उन्होंने कहा कि संयोजक सुमन पाल का प्रसारण का लंबा अनुभव है। उस दौरान भी उन्होंने कई युवाओं की प्रतिभा को निखारने में जो योगदान दिया है। उसके परिणाम आज भी साहित्य जगत में दिख रहे हैं।


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