भारतीय सॉफ्टबॉल टीम खेल संसाधनों में अन्य देशों से काफी पीछे : आयुष
अगर भारत में सॉफ्टबॉल खेल के उत्थान में आने वाली सभी खामियों को दूर कर दिया जाए तो फिर भविष्य में भारत को सॉफ्टबॉल का चैंपियन बनने से कोई नहीं रोक सकता है।
जागरण संवाददाता, जम्मू : एशियन सॉफ्टबॉल प्रतियोगिता में भाग लेकर भारत और जम्मू-कश्मीर का नाम रोशन करने वाले बीरपुर के आयुष सिंह का भले ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश के लिए खेलने का सपना साकार हो गया है, लेकिन उन्हें मलाल है कि प्रतिभा होने के बावजूद भारतीय टीम खेल संसाधनों के मामले में अन्य देशों की तुलना में काफी पीछे है।
अगर भारत में सॉफ्टबॉल खेल के उत्थान में आने वाली सभी खामियों को दूर कर दिया जाए तो फिर भविष्य में भारत को सॉफ्टबॉल का चैंपियन बनने से कोई नहीं रोक सकता है। बीरपुर स्पोर्ट्स क्लब द्वारा रविवार को सांबा जिला के बीरपुर में अंतरराष्ट्रीय सॉफ्टबॉल खिलाड़ी आयुष सिंह के सम्मान में कार्यक्रम आयोजित किया गया। करीब 25 वर्ष पहले बीरपुर के प्रतिभाशाली खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से अशोक सिंह ने क्लब की स्थापना की थी जो आज एक बड़े परिवार का रूप ले चुकी है।
जब कभी भी बीरपुर के किसी प्रतिभाशाली खिलाड़ी के रास्ते में कोई बाधा आती है तो सभी सदस्य एकजुट होकर उसकी हर प्रकार से मदद करते हैं। इंडोनेशिया में गत 28 अप्रैल को संपन्न हुई 10वीं एशियन सॉफ्टबॉल प्रतियोगिता में बीरपुर के आयुष सिंह ने भारतीय टीम के अन्य दल के साथ अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में भाग लिया। उन्होंने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि भारतीय टीम ने अपना पहला मुकाबला थाईलैंड के खिलाफ खेलकर उसे करारी शिकस्त दी लेकिन ¨सगापुर से कड़ी चुनौती मिलने के कारण मुकाबला बराबरी पर छूटा।
कुल मिलाकर भारतीय टीम का प्रदर्शन बेहतरीन रहा लेकिन अगर भारतीय टीम को अंतरराष्ट्रीय स्तरीय सॉफ्टबॉल के खेल संसाधन उपलब्ध करवाएं जाए और फिर समय-समय पर को¨चग उपलब्ध करवाई जाए तो फिर आने वाले समय में भारतीय टीम इस खेल में वर्चस्व बना लेगी। आयुष इंटर यूनिवर्सिटी सॉफ्टबॉल प्रतियोगिता में भाग लेने के अलावा तीन नेशनल सॉफ्टबॉल प्रतियोगिता में भाग लेकर राज्य का नाम रोशन कर चुके हैं। बीरपुर स्पोर्ट्स क्लब के पदाधिकारियों ने आयुष की आर्थिक तौर पर मदद करने के लिए सुभाष सिंह और नाधान सिंह का विशेष रूप से आभार जताया है।
आयुष की तमन्ना है कि वह ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी कर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फिर से देश के लिए खेलकर भारत की झोली में पदक डालने में कामयाब रह सकें।