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Jammu Tourism: पर्यटकों के स्वागत को जम्मू तैयार, बस हालात सामान्य होने का है इंतजार

पर्यटन दृष्टि से जम्मू को आत्मनिर्भर बनाने के लिए कई अहम कदम उठाए।इस साल जम्मू संभाग में रिकार्ड संख्या में पर्यटक आएंगे उम्मीद थी पर कोरोना ने सारी उम्मीदों पर पानी फेर दिया।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Sat, 22 Aug 2020 03:07 PM (IST)Updated: Sat, 22 Aug 2020 03:20 PM (IST)
Jammu Tourism: पर्यटकों के स्वागत को जम्मू तैयार, बस हालात सामान्य होने का है इंतजार
Jammu Tourism: पर्यटकों के स्वागत को जम्मू तैयार, बस हालात सामान्य होने का है इंतजार

जम्मू, ललित कमार: सर्दियों में बर्फ से ढकी चोटियाें के दिलकश नजारें स्विटजरलैंड से कम नहीं और गर्मियों में जल खेल क्रीड़ा की आपार संभावनाएं। प्रभु के साक्षात दर्शन करने हो तो श्री माता वैष्णो देवी की पवित्र गुफा और शिवखौड़ी में विराजमान साक्षात शिव के अलावा शिव-पार्वती विवाह के साक्षी सुद्धमहादेव-मानतलाई। झीलों की सैर के लिए मानसर-सुरईंसर जैसी मनमोहक व एतिहासिक झीलें।

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भारत-पाक विभाजन का कहानी सुनाती सुचेतगढ़ की ऑक्ट्राय पोस्ट और पहली शताब्दी से तीसरी शताब्दी के दौरान बौद्ध धर्म के महत्वपूर्ण धार्मिक केंद्रों में से एक अखनूर की अंबारा पुरातन धरोहर। शायद ही कोई ऐसा क्षेत्र होगा जहां पर्यटन की इतनी विविध संभावनाएं होंगी। इसके बावजूद जम्मू संभाग को पर्यटन क्षेत्र में उसका उचित स्थान नहीं मिला। सत्तर सालों में किसी सरकार ने इन क्षेत्रों को बढ़ावा देने की दिशा में कदम नहीं उठाया और अब जबकि केंद्र में नई सोच के साथ जम्मू को पर्यटन की दृष्टि से आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में काम शुरू हुआ तो हालात ने पर्यटकों के इस ओर बढ़ते कदम रोक लिए।

चार साल पहले कश्मीर में पोस्टर ब्वाॅय बुरहान वानी के मारे जाने पर कश्मीर में फैली हिंसा के बाद पर्यटकों ने जम्मू की ओर रूख करना शुरू किया था। वर्ष 2018 में 1.60 करोड़ पर्यटकों ने जम्मू संभाग के विभिन्न पर्यटन व धार्मिक स्थलों का भ्रमण किया और वर्ष 2019 में अगस्त तक 1.56 करोड़ पर्यटक जम्मू की सैर करके जा चुके थे। इससे पहले कि यह आंकड़ा 2018 के आंकड़े को पार कर पाता, अनुच्छेद 370 व 35 ए हटाने से उपजे हालात से जम्मू से भी पर्यटक लौट गए।

वर्ष 2019 में केंद्र सरकार ने जम्मू को पर्यटन दृष्टि से आत्मनिर्भर बनाने के लिए कई अहम कदम उठाए और उम्मीद थी कि इस साल जम्मू संभाग में रिकार्ड संख्या में पर्यटक आएंगे लेकिन कोरोना महामारी ने सारी उम्मीदों पर पानी फेर दिया। अब हालात जल्द सामान्य होने की उम्मीद के बीच पर्यटन विभाग जम्मू कई महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट पर तेजी से काम कर रहा है ताकि आने वाले सालों में पर्यटकों की मेहमाननवाजी के लिए उचित बंदोबस्त किए जा सके।

जम्मू में पर्यटन को नई उड़ान देगी गंडोला की सैर: जम्मू पहुंचने वाले पर्यटकों के सफर को यादगार बनाने के लिए पत्नीटाप में केबल कार की सैर पिछले साल ही शुरू हो गई थी। इससे पत्नीटाप पहुंचने वाले पर्यटकों की संख्या में काफी वृद्धि भी हुई लेकिन इस साल सीजन शुरू होने से पहले ही कोरोना महामारी के चलते प्रोजेक्ट अभी तक बंद पड़ा है। जम्मू में भी बाहूफोर्ट केबल कार प्रोजेक्ट बन कर तैयार हो चुका है। पूर्व उपराज्यपाल जीसी मुर्मू जुलाई में इस प्रोजेक्ट के एक चरण का उद्घाटन भी कर चुके है लेकिन कोरोना महामारी के कारण इसे अभी पर्यटकों के लिए नहीं खोला गया। जम्मू शहर में केबल कार की सैर शुरू होने से पर्यटन उद्योग को नई दिशा मिलने की उम्मीद है। जम्मू शहर में पर्यटन की दृष्टि से यह सबसे अहम प्रोजेक्ट है जो सालों से लटका पड़ा था। पहले सियासी उठापठक के कारण इस पर ध्यान नहीं दिया गया लेकिन दिसंबर 2018 में जब यह बनकर तैयार हो गया तो जनवरी 2019 में इसे जनता को समर्पित करने से ठीक पहले मॉक ड्रिल के दौरान हादसे में दो श्रमिकों की मौत होने से प्रोजेक्ट जांच के घेरे में आ गया। इस हादसे ने प्रोजेक्ट को एक साल के लिए लटका दिया। देश व विदेश से कई टीमें आई और उन्होंने नए सिरे से प्रोजेक्ट की पूरी समीक्षा करने के बाद एनओसी जारी की। अब जम्मू में पर्यटकों को गंडोला की सैर करवाने की तैयारी पूरी है और कोरोना महामारी के बीच जैसे ही सरकार की ओर से हरी झंडी मिलती है, इसे पर्यटकों के लिए खोल दिया जाएगा।

बार्डर टूरिज्म को दिया जा रहा बढ़ावा : जम्मू से करीब 35 किलोमीटर दूर अंतरराष्ट्रीय सीमा से सटे आरएसपुरा में लहलहाते खेत, विदेशों से आने वाले प्रवासी पक्षी और भारत-पाकिस्तान विभाजन की दास्तां बयान करती ऑक्ट्राय पोस्ट अपने आप में ही अद्भुत नजारा पेश करती है। आरएसपुरा से मात्र दस किलोमीटर की दूरी पर स्थित ऑक्ट्राय पोस्ट भारत-पाक सीमा पर स्थित है। यहां आजादी से पहले बने प्राचीन मंदिर व मजार का जीर्णोद्धार किया गया है। यहां सौ साल पुराना पीपल का पेड़ है जिसका आधा हिस्सा आज भारत व आधा हिस्सा पाकिस्तान में है। ऑक्ट्राय पोस्ट पर पर्यटकों की सुविधा के लिए टूरिस्ट रिसेप्शन सेंटर की स्थापना की गई है। यहां पर्यटकों के बैठने, खाने-पीने व ठहरने की व्यवस्था है। वीआइपी लोगों के लिए फैमिली सुईट भी है। पर्यटन विभाग की ओर से यहां 25 कनाल जमीन पर ढांचागत सुविधाएं उपलब्ध करवाई जा रही हैं। आरएसपुरा वो ऐतिहासिक क्षेत्र है जो जम्मू को पाकिस्तान के सियालकोट से जोड़ता था। जम्मू से सीधा सड़क मार्ग आरएसपुरा से होकर सियालकोट पहुंचता था। इसी मार्ग पर जम्मू-सियालकोट ट्रेन भी चलती थी। इसके निशान अभी भी आरएसपुरा में बाकी हैं। सामान्य हालात में यहां रोजाना सैकड़ों पर्यटक पहुंचते है लेकिन भारत-पाक सीमा पर लगातार तनाव के चलते बार्डर टूरिज्म प्रभावित हो रहा है। अब इसे भी अमृतसर के वाघा बार्डर की तर्ज पर विकसित करने के प्रयास जारी है।

बौद्ध धर्म से रिश्तों का प्रमाण है अंबारा: जम्मू से 28 किलोमीटर दूर दरिया चिनाब के किनारे बसे अखनूर में डोगरा इतिहास के साथ बौद्ध धर्म को जानने का मौका मिलता है। अंबारा को विश्व की पुरातन धरोहरों में से एक माना जाता है। बौद्ध धर्म गुरु दलाई लामा स्वयं यहां आए थे। यह स्थल जम्मू के बौद्ध धर्म से रिश्तों का प्रमाण है। वर्ष 1999 से 2001 के बीच एतिहासिक धार्मिक स्थल अंबारा की खोदाई के दौरान अवशेषों से मिले महत्वपूर्ण तथ्यों से अंबारा में कुषाण वंश के शासनकाल से गुप्त वंशजों के शासन तक बौद्ध के प्रचार-प्रसार के लिए किए गए प्रयासों का पता चलता है। पहली शताब्दी से तीसरी शताब्दी के दौरान बौद्ध धर्म का महत्वपूर्ण धार्मिक केंद्र होने से जुड़े तथ्यों को उकेरते अवशेष मिलने से अंबारा विश्व की पुरातन धरोहरों में मानी जाती है। ऐतिहासिक धरोहर में खोदाई के दौरान मिले बौद्ध स्तूप इस बात के संकेत देते हैं कि अंबारा स्थित ऐतिहासिक धरोहर बौद्ध धर्म का महत्वपूर्ण केंद्र था। वर्ष 2019 में केंद्रीय पर्यटन राज्यमंत्री प्रहलाद सिंह पटेल ने यहां का दौरा कर इस क्षेत्र को विकसित करने के लिए विशेष डीपीआर तैयार करने व इसका उचित प्रचार-प्रसार करने का निर्देश दिया था। इससे उम्मीद जगी है कि जल्द ही इस क्षेत्र को राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिल पाएगी।

भद्रवाह को पहचान की जरूरत नहीं: वर्ष 2016 के बाद से कश्मीर जाने वाले पर्यटकों ने जम्मू संभाग के भद्रवाह की ओर रूख किया है। इसे छोटे कश्मीर के नाम से जाना जाता है और वर्ष 2017-18 में यहां गर्मियों के सीजन में 5.89 लाख पर्यटक पहुंचे जोकि रिकार्ड संख्या थी। यहां पहुंचने के लिए पहले सड़क मार्ग खराब था जिस कारण यहां की खूबसूरती को कदरदान नहीं मिल पा रहे थे। सरकार की ओर से यहां फोर-लेन सड़क बनाने के बाद यहां पर्यटकों की संख्या लगातार बढ़ रही है।

पर्यटन का नया केंद्र बन रहा बसोहली-बनी: जम्मू संभाग में अब सरकार बसोहली-बनी को नए टूरिस्ट सर्किट के रूप में पेश कर रही है। कश्मीर की तरह जलवायु वाले बनी, सरथल, मशेडी, ढग्गर के अलावा डल लेक की तरह 84 किलोमीटर क्षेत्र में फैली रंजीत सागर झील कठुआ जिले में पर्यटन की दृष्टि से अहम स्थल हैं। यहां पर एक बार कोई आ जाता है तो वह बार-बार आने के लिए तरसता है, और तो और अब तो कुछ वर्षो से माया नगरी से बनी में शूटिंग के लिए निदेशक पहुंचने शुरू हो गए हैं। बीतें पाच साल में तीन फिल्मों की जहा शूटिंग सरथल में हो चुकी है और अब फिर कई निदेशक कोरोना संकट के बाद शूटिंग का प्लान कर रहे हैं।

84 करोड़ की लागत से विकसित हो रहा सुद्धमहादेव और मानतलाई: सुद्धमहादेव में भगवान शिव का एतिहासिक व प्राचीन शूलपाणोश्वर मंदिर है। इस मंदिर में भगवान शिव का विशालकाय त्रिशूल मौजूद है। इसे मां पार्वती का जन्म स्थान कहा जाता है। जिस अग्निकुंड के भगवान शिव ने मां पार्वती संग फेरे लिए थे, वहां आज बड़ा जल कुंड बना है। प्राकृतिक सौंदर्य से सराबोर मानतलाई में स्वामी धीरेंद्र ब्रह्मचारी का आश्रम भी है। इसके बावजूद आज तक यहां श्रद्धालुओं के लिए उचित ढांचागत सुविधाएं नहीं रही लेकिन पिछले साल केंद्र सरकार ने धार्मिक स्थल सुद्धमहादेव और मानतलाई के विकास के लिए 84 करोड़ रुपये की मंजूरी दी। हिमालयन सर्किट के तहत ये दोनों धार्मिक स्थल लिए गए और इसे मानतलाई-सुद्धमहादेव-पत्नीटॉप सर्किट के रूप में विकसित किया जा रहा है। मानतलाई में 82.16 करोड़ रुपये की लागत से लैंड स्केपिंग, सौंदर्यीकरण, लाइटिंग, सालिड वेस्ट मैनेजमेंट, सूचक बोर्ड, भीतर पॉथ-वे का निर्माण, पर्यटन सुविधा केंद्र, सुरक्षा बांध, अत्याधुनिक ओपन एयर एप्लीथियेटर, वॉकिंग व जागिंग ट्रैक, महिलाओं व पुरुषों के लिए अलग से शौचालय, सीसीटीवी कैमरे, गार्ड रूम, बारिश से बचने के लिए आश्रय, सोलर पॉवर प्लांट व अन्य बुनियादी सुविधाओं का निर्माण किया जा रहा है जबकि सुद्धमहादेव में 1.97 करोड़ की लागत से टूरिस्ट केफेटेरिया, हाल व प्रतीक्षा कक्ष, लैंड स्केपिंग व सोलर लाइटिंग समेत अन्य पर्यटन ढांचा विकसित किया जाएगा।

जल खेल क्रीड़ा केंद्र बन रहा रंजीत सागर डैम: पर्यटन विभाग जम्मू ने जम्मू-कश्मीर व पंजाब सीमा पर बने रंजीत सागर डैम को जल खेल क्रीड़ा केंद्र बनाने की दिशा में कदम बढ़ाना शुरू कर दिए है। इसके लिए विभाग ने वाटर स्‍पोट़र्स सेंटर का उद्घाटन भी कर दिया है। आने वाले दिनों में यहां जल खेल क्रीड़ा को लेकर आवश्यक ढांचा खड़ा किया जाएगा। इसके अलावा विभाग यहां पर एरो स्‍पोट़़र्स एकेडमी स्थापित करने की संभावनाएं भी तलाश करेगा। वहीं पर्यटकों की सुविधा के लिए क्षेत्र में हेेलीपैड बनाने तथा अटल सेतु से पुरथु बीच तक लेजर लाइट शो शुरू करने की संभावनाएं भी तलाशी जा रही है।


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