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जम्मू नगर निगम: 17 सुपरवाइजरों पर 75 वार्ड का जिम्मा, कैसे होगा विकास

सिविल वर्क सेक्शन में कर्मचारियों की कमी का असर जम्मू शहर के विकास पर पड़ता है। गलियों नालियों के निर्माण समेत अन्य विकास कार्यो संबंधी फाइलें तक पूर्ण नहीं हो पातीं।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Wed, 17 Apr 2019 11:25 AM (IST)Updated: Wed, 17 Apr 2019 11:25 AM (IST)
जम्मू नगर निगम: 17 सुपरवाइजरों पर 75 वार्ड का जिम्मा, कैसे होगा विकास
जम्मू नगर निगम: 17 सुपरवाइजरों पर 75 वार्ड का जिम्मा, कैसे होगा विकास

जम्मू, अंचल सिंह। करीब 190 वर्ग किलोमीटर में फैले जम्मू शहर के 75 वार्डो में विकास के लिए जम्मू नगर निगम के सिर्फ 17 वर्क सुपरवाइजर हैं। इतना ही नहीं सिर्फ 14 जूनियर इंजीनियर हैं। इन मुट्ठी भर कर्मचारियों के सहारे जम्मू को स्मार्ट सिटी बनाने की घोषणाएं कैसे सार्थक होंगी, अंदाजा लगाया जा सकता है। यही नहीं, मेयर, डिप्टी मेयर व कॉरपोरेटर चुने महीनों बीतने के बाद न तो सरकार से फंड मिला, न ही निगम में नए पद ही सृजित किए गए।

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सिविल वर्क सेक्शन में कर्मचारियों की कमी का असर जम्मू शहर के विकास पर पड़ता है। गलियों, नालियों के निर्माण समेत अन्य विकास कार्यो संबंधी फाइलें तक पूर्ण नहीं हो पातीं। कहीं मुहल्लों में सड़कों के निर्माण के लिए कर्मी नहीं पहुंच पाते तो कहीं दफ्तरों में फाइलें लटक जाती हैं। नगर निगम बनने के बाद से नए कर्मचारियों की नियुक्ति नहीं हो पाई। न ही नए पद ही सृजित किए गए। नाम न छापने की शर्त पर कर्मचारी बताते हैं कि 1960 के समय से स्टाफ के पद चल रहे हैं। उसके बाद नए पदों का सृजन नहीं किया गया।

वर्ष 1983 के बाद वर्ष 2005 में जम्मू नगर पालिका को नगर निगम बना दिया गया। पहले शहर के 23 वार्ड थे। इस स्टाफ से काम चल जाता था। अब शहर के 75 वार्ड हो गए हैं। ऐसे में संभव ही नहीं हो पाता। इसके बावजूद इतने कम स्टाफ को साथ लेकर जैसे-तैसे व्यवस्था बनाई गई है। इतने कम कर्मचारियों के सहारे निगम कब तक चलेगा। बहुत से कर्मचारी अब रिटायरमेंट तक पहुंच गए हैं।

निगम के पुनर्गठन से होगा समाधान: वर्ष 2005 में नगर निगम के गठन के बाद से इसके पुनर्गठन की मांग की जा रही है। इसके लिए नए पद सृजित करने की जरूरत है। इस संबंध में कई बार निगम के कर्मचारी सिविक सफाई कर्मचारी यूनियन के बैनर तले प्रदर्शन भी कर चुके हैं। निगम प्रशासन ने पद सृजित करने के संबंध में राज्य सरकार को लिखा भी है। अभी तक प्रशासनिक विभाग से मंजूरी नहीं मिली है। अलबत्ता दो वर्ष पहले 600 सफाई कर्मियों को कैजुअल किया गया। वर्ष 2018 में 600 और पद सृजित करने की मंजूरी मिलने के बाद फाइल सचिवालय में घूम रही है।

कॉरपोरेटरों को लगाने पड़ रहे चक्कर: दिसंबर 2018 में नगर निगम के जनरल हाउस की पहली बैठक में प्रति वार्ड दस लाख रुपये के विकास कार्य करवाने की घोषणा की गई। चार महीने बाद भी ज्यादातर वार्डो में काम शुरू नहीं हो सके।

मौजूदा स्थिति

  • ज्वाइंट कमिश्नर वर्क : 1
  • एक्सईएन : 2
  • एईई : 4
  • जेई : 14
  • वर्क सुपरवाइजर : 17

निगम में स्टाफ की कमी है। लगभग सभी सेक्शन में इस कारण दिक्कतें हैं। हमने स्टाफ की कमी को दूर करने के लिए एनजीओ के माध्यम से कर्मियों की तैनाती का निर्णय लिया हुआ है। चुनाव आचार संहिता के खत्म होने के बाद कुछ ऐसी ही व्यवस्था से शहर के विकास को गति देंगे। सिविल वर्क सेक्शन के अलावा इलेक्ट्रिक सेक्शन में नए पद सृजित करवाए जाएंगे। - चंद्रमोहन गुप्ता, मेयर, नगर निगम, जम्मू 


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