मंचन से समझाई मंटो की कहानियों की प्रासंगिकता
चर्चित लेखक सआदत हसन मंटों की जयंती के उपलक्ष्य में रंगयुग थिएटर की ओर से मंटो की कहानियों पर आधारित नाटक 'मंटोनामा' का मंचन किया गया। मंटो
By Edited By: Published: Sun, 13 May 2018 08:23 PM (IST)Updated: Mon, 14 May 2018 03:59 PM (IST)
style="text-align: justify;">जागरण संवाददाता, जम्मू : चर्चित लेखक सआदत हसन मंटों की जयंती के उपलक्ष्य में रंगयुग थिएटर की ओर से मंटो की कहानियों पर आधारित नाटक 'मंटोनामा' का मंचन किया गया। मंटो द्वारा लिखित तीन कहानियां 'मैं क्यों लिखता हूं', 'करामात' और 'सड़क किनारे' को मंचन के माध्यम से दर्शाया गया। रंगयुग स्टूडियो में मंचित इस नाटक में वरिष्ठ अभिनेता प्रीतम कटोच, शादी लाल और जूही मोहन ने मुख्य भूमिका निभाई। दीपक कुमार के निर्देशन में मंचित इस नाटक के माध्यम से सआदत हसन मंटो की कहानियों की आज के युग में प्रासंगिकता दर्शाने का प्रयास किया गया। मैं क्यों लिखता हूं? यह एक ऐसा सवाल है कि मैं क्यों खाता हूं.., मैं क्यों पीता हूं.., लेकिन इस दृष्टि से मु़खतलिफ है कि खाने और पीने पर मुझे रुपये खर्च करने पड़ते हैं और जब लिखता हूं तो मुझे नकदी की सूरत में कुछ खर्च करना नहीं पड़ता। पर जब गहराई में जाता हूं तो पता चलता है कि यह बात गलत है इसलिए कि मैं रुपये के बलबूते पर ही लिखता हूं। नाटक की यह कहानी किसी न किसी तरीके से आज के साहित्यकारों को भी प्रेरित करती है। लेखक के अनुसार, लोग कला को इतना ऊंचा रुतबा देते हैं कि इसके झंडे सातवें आसमान से मिला देते हैं। मगर क्या यह हकीकत नहीं कि हर श्रेष्ठ और महान चीज एक सूखी रोटी की मोहताज है? सडक के किनारे और करामात कहानियों के साथ कलाकारों ने न्याय किया। तीनों कहानियों को बडे़ अच्छे तरीके से नाट्य रूपांतरित किया गया था। उस पर से ऐसा लगता था जैसे तीनों कहानियों को कलाकारों ने आत्मसात किया हुआ हो। नाटक का संगीत प्रणव शर्मा का था। लाइट डिजाइ¨नग भानु शर्मा ने की। बैक स्टेज में शिवान गुप्ता का सहयोग रहा।
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