जम्मू-कश्मीर के सिखों ने मांगा अल्पसंख्यक का दर्जा, राज्यपाल के समक्ष उठाएंगे मामला
साल 2014 में विधानसभा चुनाव से पहले इस मामले को स्वर्गीय मुफ्ती मोहम्मद सईद के पास उठाया था तब हमे आश्वासन भी मिला। बाद में पीडीपी-भाजपा की सरकार बन गई लेकिन मामला लटकता ही रहा।
जम्मू, राज्य ब्यूरो। जम्मू कश्मीर में सिख समुदाय को अल्पसंख्यक समुदाय का दर्जा हासिल नहीं है। पिछले एक दशक से अधिक समय से कई बार सरकारों के समक्ष इस मुद्दे को उठाया गया। आश्वान भी मिले लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला है। सिख संगठनों ने अब इस मुद्दे को राज्यपाल सत्यपाल मलिक के समक्ष उठाने की तैयारी की है। राष्ट्रीय अल्पसंख्यक अयोग के क्षेत्राधिकार में जम्मू कश्मीर नहीं आता है। राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के गठन की मांग सिख समुदाय ने कई बार उठाई। पिछले विधानसभा चुनाव में कश्मीर व जम्मू के सिख संगठनों ने इस मुद्दे को पीडीपी, नेकां, भाजपा के समक्ष उठाया था। सिख समुदाय को पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद और स्वर्गीय पूर्व मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद ने भी इस पर आश्वासन दिया था लेकिन समाधान नहीं हुआ।
लंबे समय से उठाते आ रहे हैं यह मांग
आल पार्टीज सिख काेआर्डिनेशन कमेटी के चेयरमैन जगमोहन सिंह रैना ने कहा कि हम यह मामला लम्बे समय से उठाते आ रहे है। साल 2014 में विधानसभा चुनाव से पहले इस मामले को स्वर्गीय मुफ्ती मोहम्मद सईद के पास उठाया था, तब हमे आश्वासन भी मिला। बाद में पीडीपी और भाजपा की सरकार बन गई लेकिन मामला लटकता ही रहा। अब इस मामले को हम राज्यपाल के समक्ष उठाएंगे। नेशनल सिख फ्रन्ट के चेयरमैन वीरेंद्र जीत सिंह ने कहा कि जम्मू कश्मीर में अल्पसंख्यक आयोग के गठन का मामला लटका हुआ है। काफी आश्वासन मिल चुके है। हम चाहते है कि या तो राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग का क्षेत्राधिकार बढ़ाया जाए या राज्य के लिए अलग आयोग गठित कर दिया। इससे समुदाय को अल्पसंख्यक समुदाय का दर्जा हासिल हो जाए। इसके लिए जितने भी फायदें होंगे, वो भी मिलेंगे।
सिख समुदाय इस मांग पर एकजुट
जिला गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी जम्मू के सदस्य अवतार सिंह खालसा का कहना है कि इस मामले पर पूरा समुदाय एकजुट है। इस मामले को हम इकट्ठे होकर राज्यपाल के समक्ष उठाएंगे। राज्यपाल के पास सिख समुदाय की अन्य मांगों को भी उठाया जाएगा। शिरोमणि अकाली दल बादल के प्रधान जत्थेदार महेंद्र सिंह ने कहा कि सिख समुदाय को जम्मू कश्मीर में अल्पसंख्यक समुदाय का दर्जा दिलाने के लिए जरूरी है कि राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग का क्षेत्राधिकार जम्मू कश्मीर तक लाया जाए।
सिख समुदाय की लंबित मांगे
- - अल्पसंख्यक आयोग का गठन किया जाए
- - जम्मू विवि में गुरु गाेबिंद सिंह के नाम पर चेयर स्थापित की जाए
- - कुंजवानी चौक में बाबा बंदा सिंह बहादुर की प्रतिमा स्थापित की जाए
- - स्कूलों में पंजाबी भाषा लागूू करके पंजाबी के अध्यापकों की नियुक्ति की जाए
- - छठी सिंह पोरा नरसंहार की जांच करवाई जाए
- - गुलाम कश्मीर के रिफ्यूजियों को पर्याप्त मुआवजा देकर पुनर्वास किया जाए
- - प्रोफेशनल व तकनीकी संस्थानों में सिख विद्यार्थियों के लिए सीटें आरक्षित की जाएं
तख्त श्री पटना साहिब के जत्थेदार को हटाने की मांग
शिरोमणि अकाली दल बादल समेत विभिन्न सिख संगठनों ने श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार से अपील की है कि तख्त श्री पटना साहिब के जत्थेदार को हटाया जाए। संगठनों के प्रतिनिधियों ने कहा कि तख्त श्री पटना साहिब के जत्थेदार की दूसरी पत्नी बलजीत कौर ने जिस तरह से अपने पति पर गंभीर आरोप लगाए है। इसे देखते हुए सिख समुदाय को भावनाओं को ठेस पहुंची है। इस तरह से जत्थेदार साहिब की विश्वसनीयता को धक्का लगा है। यह सिख समुदाय के लिए ठीक नहीं है। शिरोमणि अकाली दल बादल के जम्मू कश्मीर प्रधान जत्थेदार महेंद्र सिंह, जिला गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी जम्मू के सदस्य अवतार सिंह खालसा, पूर्व सचिव सुरजीत सिंह, सदस्य मनमोहन सिंह, अन्य सिख प्रतिनिधियों तेजपाल सिंह, बाबू सिंह, अमनजीत सिंह अमन व अन्य नेताओं ने एक स्वर में कहा कि तख्त श्री पटना साहिब के जत्थेदार को हटाया जाए। पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए प्रतिनिधियों ने कहा कि तख्त श्री पटना साहिब के जत्थेदार इकबाल सिंह की दूसरी पत्नी मूल रूप से जम्मू की रहने वाली है। अकाली कोर सिंह नगर के गुरुद्वारा में बीबी बलजीत सिंह और जत्थेदार साहिब की शादी हुई थी। अब इस शादी को लेकर जत्थेदार साहिब सिख संगत को गुमराह कर रहे है। जम्मू कश्मीर का सिख समुदाय जत्थेदार साहिब का बहिष्कार करने जा रहा है।