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Jammu: किरायेदार की वेरिफिकेशन न करवाने पर आपको हो सकती है जेल

जिला प्रशासन ने आदेश जारी किया है कि घर या दुकान पर किरायेदार रखने से पूर्व संबंधित पुलिस थाने में किरायेदार की वेरिफिकेशन जरूर करवाएं।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Sun, 27 Oct 2019 02:37 PM (IST)Updated: Sun, 27 Oct 2019 02:37 PM (IST)
Jammu: किरायेदार की वेरिफिकेशन न करवाने पर आपको हो सकती है जेल
Jammu: किरायेदार की वेरिफिकेशन न करवाने पर आपको हो सकती है जेल

जम्मू, दिनेश महाजन। दरवार मूव के साथ कश्मीर से जम्मू आने वाले लोगों के साथ आतंकी संगठनों के सदस्य मंदिरों के शहर जम्मू में अपना नेटवर्क मजबूत करने की फिराक में हैं। आतंकी संगठन अपना ओवर ग्राउंड वर्कर्स (ओजीडब्ल्यू) या स्लीपर सेल का नेटवर्क तैयार करने की कोशिशों में जुटे है, ताकि आतंकियों के मददगार उन्हें वारदात के बाद सहायता उपलब्ध करवा सकें। ऐसे में ओजीडब्ल्यू आम लोगों के बीच रह कर आतंकियों को हथियार उपलब्ध करवाए या उन्हें शरण दे।

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इतना हीं नहीं आतंकियों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर सुरक्षा बलों के बचा कर ले जाने का काम भी ओवर ग्राउंड वर्कर्स ही करते हैं। ऐसे कई मामले प्रकाश में आ चुके हैं कि आतंकियों के मददगार शहर में किरायेदार बन कर चोरी छुपे रहते हैं। ओजीडब्ल्यू या आपराधिक छवि वाले लोगों पर नजर रखने के लिए जिला प्रशासन ने आदेश जारी किया है कि घर या दुकान पर किरायेदार रखने से पूर्व संबंधित पुलिस थाने में किरायेदार की वेरिफिकेशन जरूर करवाएं।

ऐसा नहीं करने वाले व्यक्ति को जेल की हवा भी खानी पड़ सकती है। वरिष्ठ अधिकारियों को थाना स्तर पर उनके क्षेत्र में रहने वाले किरायेदारों का पूरा रिकार्ड रखने को कहा गया है। किरायेदारों की पुलिस वेरिफिकेशन प्रक्रिया सुरक्षा की दृष्टि से सबके लिए जरूरी है। अक्सर लोग किरायेदारों पर विश्वास कर लेते हैं, लेकिन उनका यह सोचना कई बार गलत साबित हो सकता है। सीमा पर सख्ती होने के बाद आतंकवादियों को वारदात का मौका नहीं मिल रहा है। इसलिए वह स्लीपिग सेल के रूप में अपने मंसूबे को कामयाब बनाने की फिराक में हैं।

गत वर्ष बारह मामले हुए थे : शहर के प्रत्येक पुलिस थाने में वेरिफिकेशन के रिकार्ड का रजिस्टर तैयार हैं। जो मकान मालिक जिला आयुक्त जम्मू के इस आदेश का पालन नहीं करता, उसके विरुद्ध मामला दर्ज होता है। गत वर्ष जम्मू पुलिस ने एक दर्जन के करीब मकान मालिकों पर किरायेदारों की वेरिफिकेशन ना करवाने के चलते थाने में मामले को दर्ज किया गया है। वेरिफिकेशन ना करने वाले लोगों के विरुद्ध सीआरपीसी की धारा 188 के तहत कार्रवाई की जाती है, जिसके तहत जुर्माने के साथ कैद भी हो सकती है।

वेरिफिकेशन को लेकर जारी की गई हिदायतें

  • किरायेदारों के वेरिफिकेशन का काम लोगों को अपने स्तर पर कराना होता है।
  • इसके लिए किरायेदारों से संबंधित वेरीफिकेशन फार्म प्रत्येक पुलिस थाने में उपलब्ध है।
  • फार्म भरकर किरायेदार की हर जानकारी के साथ इसे थाने में जमा करना होता है। जिसके साथ किरायेदार का सरकारी पहचान पत्र लगाना जरूरी है।
  • मकान मालिक द्वारा पूरी प्रक्रिया किए जाने के बाद पुलिस किरायेदार की पूरी जानकारी अपने स्तर पर पता कर लेती है।
  • मकान या दुकान किराये पर देने से पूर्व इन बातों का रखे ध्यान
  • किरायेदार से जुड़ी हरेक जानकारी इकट्ठा करने की मकान मालिक अपने स्तर पर कोशिश करें। अंजान शख्स को किराये का मकान नहीं दें।
  • किसी शख्स को किराये पर मकान देने से पहले उसके मूल पता और घर के लोगों के बारे में पता करें।
  • किरायेदार के आने के साथ ही उसकी पासपोर्ट फोटो और उसका आइडी प्रूफ उससे जरूर लें।
  • उसके मोबाइल नंबर के अलावा उससे जुड़े दो अन्य लोगों के मोबाइल नंबर अपने पास रखें।
  • किरायेदारी का एग्रीमेंट जरूर कराएं और हर साल उसे रिन्यू कराएं।
  • घर में किरायेदार की गतिविधियों पर नजर रखें।
  • यह देखना भी आपकी ही की जिम्मेदारी है कि कहीं किरायेदारों से मिलने संदिग्ध किस्म के लोग तो नहीं आते हैं।

अनिरुद्ध अपहरण कांड : शहर में किरायेदारों को मकान देने से पहले उनकी वेरिफिकेशन करवाने के लिए बेशक पुलिस ने कई बार मकान मालिकों को उनकी जानकारी देने के निर्देश दिए हैं, लेकिन मकान मालिक भी किराये पर मकान देने से पहले इस बात को गंभीरता से नहीं ले रहे। इस वजह से जम्मू-कश्मीर में अपराध और आतंकवाद अपने पैर पसार रहा है। ऐसी ही चूक बड़ी ब्राह्मणा थानांर्गत पुरमंडल मोड़ में भी सामने आई थी जब अनिरुद्ध अपहरण कांड हुआ था। अनिरुद्ध के पिता जोगेंद्र शर्मा अपने घर पर संजय कुमार नामक युवक को किराये पर मकान देने से पहले उसकी पृष्ठभूमि के बारे में पुलिस वेरिफिकेशन नहीं करवाई। संजय ने अपने मकान मालिक के बच्चे का अपहरण कर लिया था।

नए सिरे से वेरिफिकेशन का काम शुरू करती है पुलिस

आइजीपी जम्मू मुकेश सिंह का कहना है कि दरबार मूव के साथ कश्मीर से आने वाले लोगों के साथ आतंकियों के भी जम्मू आने की आशंका बनी रहती है। ऐसे में दरबार मूव के साथ जम्मू पुलिस किरायेदारों की वेरिफिकेशन को नए सिरे से शुरू कर देती है। बीट में तैनात पुलिस कर्मी की जिम्मेदारी होती है कि वह स्थानीय लोगों को किरायेदारों की वेरिफिकेशन के प्रति जागरूक करे।

छात्र के रूप में रह रहा था जैश का आतंकी

वर्ष 2007 में भी जानीपुर इलाके में जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादी जो स्लीपर सेल के रूप में रह रहा था, की मकान मालिक नहीं वेरिफकेशन नहीं करवाई थी। यह आतंकवादी अपनी एक महिला साथी के साथ छात्र में रूप में रह रहा था। हालांकि दिल्ली पुलिस को इसकी खबर लग गई थी और उन्होंने जम्मू-कश्मीर पुलिस को विश्वास में लिए बगैर ही आतंकवादी को मार गिराया था।


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