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Jammu-Kashmir News: हथियार समेत पकड़े गए लश्कर के सात आतंकी बरी, ठोस सबूत नहीं पेश कर पाई पुलिस

जम्मू कश्मीर-लद्दाख हाईकोर्ट ने लश्कर-ए-तैयबा के कथित सात आतंकियों को बरी करने के फैसले पर मुहर लगा दी और राज्य सरकार की अपील खारिज कर दी। पुलिस ने लगभग 19 वर्ष पूर्व 28 अगस्त 2004 को जम्मू के मांडा क्षेत्र में हथियार के साथ पकड़ने का दावा किया था।

By Jagran NewsEdited By: Nidhi VinodiyaPublished: Fri, 09 Jun 2023 12:13 AM (IST)Updated: Fri, 09 Jun 2023 12:13 AM (IST)
Jammu-Kashmir News: हथियार समेत पकड़े गए लश्कर के सात आतंकी बरी, ठोस सबूत नहीं पेश कर पाई पुलिस
Jammu-Kashmir News: हथियार समेत पकड़े गए लश्कर के सात आतंकी बरी, ठोस सबूत नहीं पेश कर पाई पुलिस

जम्मू, जागरण संवाददाता : जम्मू कश्मीर एवं लद्दाख हाईकोर्ट ने लश्कर-ए-तैयबा के कथित सात आतंकियों को बरी करने के फैसले पर मुहर लगा दी और राज्य सरकार की अपील खारिज कर दी। पुलिस ने लगभग 19 वर्ष पूर्व 28 अगस्त, 2004 को जम्मू के मांडा क्षेत्र में हथियार के साथ पकड़ने का दावा किया था।

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आरोप था कि यह आतंकी जम्मू में किसी बड़ी वारदात को अंजाम देने की फिराक में थे। अधिकतर गवाहों ने आरोपितों को कोर्ट में पहचानने से इनकार कर दिया और पुलिस अपनी कहानी की पुष्टि के लिए कोई ठोस सबूत नहीं पेश कर पाई।

हाईकोर्ट ने पुलिस की कहानी ठुकरा दी

हाईकोर्ट ने पुलिस की कहानी यह कहते हुए ठुकरा दी कि इस बात पर विश्वास करना कठिन है कि लश्कर जैसे आतंकी संगठन से संबंधित सात आतंकी मांडा जैसे सार्वजनिक क्षेत्र में बैठे थे और आराम से पुलिस का इंतजार कर रहे थे ताकि पुलिस आए और उन्हें पकड़ ले।

चुपचाप गिरफ्तार हुए थे आतंकी 

उनके पास हथियार व विस्फोटक भी थे, लेकिन उन्होंने कोई हरकत नहीं की और चुपचाप गिरफ्तार हो गए।हाईकोर्ट के अनुसार पुलिस ने पहले देशद्रोह का केस दर्ज किया था लेकिन चार्जशीट पेश करते हुए यह आरोप निकाल कर आर्म्स एक्ट के तहत चार्जशीट पेश की जो पुलिस केस पर सवाल खड़े करता है।

नहीं मिले निष्पक्ष गवाह

हाईकोर्ट ने पाया कि अधिकतर गवाहों ने आरोपितों को पहचानने से इनकार कर दिया और आरोपितों के कब्जे से हथियार व विस्फोटक बरामद होने का भी कोई निष्पक्ष गवाह नहीं है। ऐसे में पूरा केस ही संदेह के घेरे में था, लिहाजा ट्रायल कोर्ट ने आरोपितों को बरी करने का सही फैसला सुनाया जिसमें हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं।

यहां बता दें कि पहले ट्रायल कोर्ट ने भी इस मामले में सभी आरोपितों को बरी कर दिया था। बाद में प्रदेश सरकार ने इस फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी।


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