विश्व विरासत दिवस: सरकार की ठोस नीति न होने से खंडहर हो रहीं प्रदेश की ऐतिहासिक विरासत
राज्य अभिलेखागार पुरातत्व व संग्रहालय विभाग ने संभाग की 29 धरोहरों को राज्य संरक्षित घोषित किया है इनमें राज्य के किले व कुछ मंदिर प्रमुख हैं।
जम्मू, अशोक शर्मा। सरकार की ठोस नीति के अभाव में राज्य में कई ऐतिहासिक विरासत अपना अस्तित्व खो रही हैं। देखरेख के अभाव में कई प्राचीन इमारतें खंडहर में तब्दील होती जा रही हैं। डोगरा शौर्य की प्रतीक मुबारक मंडी मध्यकालीन सांस्कृतिक विरासत समेटे हुए है। इसके जीर्णोद्धार का काम इतना धीमा है कि यह ऐतिहासिक विरासत अपना अस्तित्व खोती जा रही है। खासकर गोलघर, चाढ़की पैलेस पीछे की तरफ से धीरे-धीरे गिर रहा है। जो हिस्सा गिर रहा है, उसकी ओर कोई ध्यान नहीं है।
विरासत के संरक्षण पर कोई नीति न होने के कारण राज्य की अधिकतर ऐतिहासिक इमारतें अस्तित्व खोती जा रही हैं। सरकार मूकदर्शक बनी तमाशा देख रही है। मुबारक मंडी का जीर्णोद्धार शुरू हुए 14 वर्ष बीत गए। अभी तक मात्र हाईकोर्ट कांप्लेक्स का ही जीर्णोद्धार हो सका है। गोल घर, चाढ़की महल, तोषाखाना आदि महलों में अभी तक काम शुरू नहीं हो पाया है। अभी अमर सिंह पैलेस का जीर्णोद्धार जारी है। शहर के चार मुख्य गेट महेशी गेट, डेनिस गेट, गुम्मट गेट, जोगी गेट थे। अब इनमें से मात्र गुम्मट गेट ही सुरक्षित है। इस गेट को आज तक ऐतिहासिक स्मारक घोषित नहीं किया गया। इस कारण इसके साथ छेडख़ानी जारी है। राज्य सरकार ने श्रीनगर में 51, जम्मू में 29 और कारगिल में दो ऐतिहासिक स्मारक घोषित किए हैं। हालत यह है कि जिन स्थलों को ऐतिहासिक स्मारक घोषित किया गया है, उनका भी तरीके से संरक्षण नहीं हो रहा। बहुत से स्थल ऐसे हैं, जिन्हें ऐतिहासिक स्मारक घोषित किया जा सकता है, लेकिन इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाया जा रहा।
लद्दाख में एक भी स्थल संरक्षित नहीं : डिप्टी डायरेक्टर सेरिंग तोषी ने बताया कि उन्होंने 2008 में लद्दाख के 25 स्थानों को ऐतिहासिक स्मारक घोषित करने के लिए कहा था। उस दिशा में सरकार की कोई सहमति नहीं बनी। हालत यह है कि राज्य सरकार की ओर से लद्दाख में एक भी संरक्षित स्थल नहीं है। लद्दाख में कई ऐसे स्मारक हैं, जिन्हें जल्द संरक्षित करने की जरूरत है। अगर अभी सरकार ने इन स्मारकों को संरक्षित करने की ठोस नीति नहीं बनाई तो हमारी विरासत का बहुमूल्य खजाना बर्बाद हो जाएगा। संरक्षित स्मारकों के रखरखाव एवं संरक्षण पर कितना पैसा खर्च किया गया, इस सवाल पर उन्होंने कहा कि पूरा वर्ष विभाग के पास इन स्मारकों के संरक्षण के लिए कोई पैसा नहीं था। अंतिम समय में जब पैसा आया तो उस समय खर्च कर पाना संभव नहीं था।
सरकार की कमजोर नीति : डोगरा सदर सभा के अध्यक्ष गुलचैन सिंह चाढ़क ने कहा कि हैरिटेज बिलिं्डग या स्थल घोषित करने में सरकार की कमजोर नीति के चलते जम्मू शहर के चार मुख्य गेट, महेशी गेट, डेनिस गेट, जोगी गेट तक संरक्षित नहीं किए जा सके। गुम्मट गेट के साथ खिलवाड़ जारी है। इसका भी तरीके से न तो संरक्षण हो रहा है और न ही इसे ऐतिहासिक स्मारक घोषित किया गया है। ऐसी शहर में बहुत सी इमारते हैं जिन्हें संरक्षित घोषित करने की जरूरत है। सरकार की इस ओर कोई सेाच नहीं दिखती। जब वह मंत्री थे तो उन्होंने गुम्मट गेट के गिराने के कार्य को बंद करवाया था लेकिन इसका जीर्णोद्धार तभी संभव है जब इसे ऐतिहासिक स्मारक घोषित किया जाए।
क्या होती है हैरिटेज बिल्डिंग
ऐसी बिल्डिंग जिसका निर्माण 75 से 100 वर्ष पुराना हो, जिससे कोई ऐतिहासिक घटना जुड़ी हो। जिससे पुराना शिल्प झलकता हो। आसपास शिल्प से जुड़ी कोई दूसरी बिल्डिंग न हो तो उस बिल्डिंग को हेरिटेज घोषित किया जा सकता है। शहर में आज बहुत सी ऐसी इमारतें हैं लेकिन सरकार के उदासीन रवैये के चलते उन्हें हैरिटेज बिल्डिंग घोषित नहीं किया जा रहा।
शहर के हैरिटेज स्मारक
अमर महल, टोपी बंगला, सतवारी हाउस, गैरिसन चर्च मोहल्ला अफगान मस्जिद, सुई सिंबली मंदिर, बुर्ज कानाचक्क, पुरानी मंडी श्री राम मंदिर, दीवान मंदिर, सतनारायण रानी मंदिर पंजतीर्थी, शीतली माता मंदिर धौंथली ढक्की, महेश्वरी गेट, बाहु मस्जिद, देवी गढ़, मंगला देवी फोर्ट, रणवीर लाइब्रेरी, रणवीर हायर सेकेंडरी स्कूल, जीजीएम सांइस कॉलेज, राज तिलक भवन आदि।
राज्य की संरक्षित घोषित धरोहर
राज्य अभिलेखागार, पुरातत्व व संग्रहालय विभाग ने संभाग की 29 धरोहरों को राज्य संरक्षित घोषित किया है, इनमें राज्य के किले व कुछ मंदिर प्रमुख हैं। जम्मू जिले में बाहु फोर्ट, मुबारक मंडी, रायल बाबली नंदनी, पीरमिट्ठा टांब, शाही मस्जिद, मस्त गढ़, जाफरेचक्क मस्जिद सांबा जिले में मानसर हवेली, माहौरगढ़ फोर्ट, ढेरगढ़ फोर्ट, भुपनेरगढ़ फोर्ट, सांबा फोर्ट, कठुआ जिले में जसरोटा फोर्ट व राजाओं के महल, ऊधमपुर में भीमगढ़ फोर्ट, सलाल फोर्ट, चराना देवता मंदिर, जोरावर सिंह हवेली रियासी, रामबन में बौद्ध स्थल घोड़ा गली, डोडा में प्राचीन अस्सर मंदिर, राजौरी जिले में चिंगस सराय, राजौरी फोर्ट, शाही मुगल मस्जिद नौशहरा, प्राचीन रघुनाथ जी मंदिर, राजौरी, पंजनारा मंदिर राजौरी, पुंछ फोर्ट राज्य संरक्षित हैं।
- विभाग और कई धरोहरों को राज्य संरक्षित घोषित करने में दिलचस्पी रखता है। इसके लिए पर्याप्त बजट नहीं मिल पाता। धरोहरों के संरक्षण के लिए काफी धन की आवश्यकता होती है। इसके लिए अलग से बजट होना चाहिए। राज्य की सभी संरिक्षत धरोहरों के लिए हर वर्ष पैसे की जरूरत होती है लेकिन राज्य सरकार इसे गंभीरता से नहीं लेती। आज घर में सफेदी भी करवानी हो तो हजारों रुपये की जरूरत होती है फिर विरासत का संरक्षण बिना पैसे के कैसे संभव है। - शेरिंग तोषी, सहायक निदेशक, पुरातत्व अभिलेखगार एवं संग्रहालय