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New High Court Complex: इंसाफ के मंदिर के लिए 40 हजार पेड़ों पर संकट, बाहु रैका जंगल की 800 कनाल जमीन चिह्नित

यह कांप्लेक्स बनाने के लिए बाहु रैका के जंगल के लगभग 40 हजार पेड़ों को काटा जाएगा। इनमें कई पेड़ों की आयु कई वर्ष है।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Mon, 04 Nov 2019 10:59 AM (IST)Updated: Mon, 04 Nov 2019 10:59 AM (IST)
New High Court Complex: इंसाफ के मंदिर के लिए 40 हजार पेड़ों पर संकट, बाहु रैका जंगल की 800 कनाल जमीन चिह्नित
New High Court Complex: इंसाफ के मंदिर के लिए 40 हजार पेड़ों पर संकट, बाहु रैका जंगल की 800 कनाल जमीन चिह्नित

जम्मू, राज्य ब्यूरो। दिल्ली ही नहीं, देश के कई बड़े शहर जहां प्रदूषण की मार से जूझ रहे हैं। पर्यावरण पर अदालतें भी समय-समय पर सरकारों को आदेश जारी करती रही हैं। ऐसे में क्या जम्मू में 'इंसाफ का मंदिर' बनाने के लिए हजारों पेड़ों की बलि लेना उचित है। ऐसा तब जब प्रदूषण और ग्लोबल वार्मिंग से अपना जम्मू कश्मीर अछूता न हो। पहाड़ी राज्य होने के नाते पेड़ों को काटने की सोचना और भी चिंतनीय हो जाता है। जिस क्षेत्र में हाईकोर्ट कांप्लेक्स बनाया जाना है वह जम्मू के जनजीवन के लिए बेहद संवेदनशील है। वन सलाहकार समिति ने इस प्रोजेक्ट को अपनी सहमति दे दी है। अब यह प्रोजेक्ट नेशनल वाइल्डलाइफ बोर्ड के पास मंजूरी के लिए भेजा गया है।

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दरअसल, वर्तमान में हाईकोर्ट जम्मू जानीपुर में है। इसके अलावा यहां जिला एवं सत्र न्यायाधीश कोर्ट भी है। इस हाईकोर्ट को बाहु रैका में शिफ्ट किया जाना है। इसके प्रस्ताव पर लगभग मुहर लग गई है। यह कांप्लेक्स बनाने के लिए बाहु रैका के जंगल के लगभग 40 हजार पेड़ों को काटा जाएगा। इनमें कई पेड़ों की आयु कई वर्ष है। अगर ऐसा जारी रहा तो जम्मू में प्रदूषण दिल्ली जैसे हालात पर पहुंचने में समय नहीं लगेगा। फिलहाल, हाईकोर्ट कांप्लेक्स छह सौ कनाल से अधिक भूमि में बना है। इसके आसपास और भी क्षेत्र है।

सरकार सिर्फ दो हजार पेड़ काटने की बात कह रही

जिस जगह पर हाईकोर्ट कांप्लेक्स बनाने के लिए आठ सौ कनाल जमीन चिह्नित की गई है, उसे दायरे में करीब चालीस हजार पेड़ आते हैं। इन सभी पेड़ों पर कुल्हाड़ी चलने की आशंका बनी हुई है। हालांकि, सिर्फ दो हजार पेड़ काटने की बात कह रही है। फिलहाल सौ कनाल भूमि को साफ किया जा रहा है।

चंद क्षेत्रों में ही रह गए हैं पेड़

जम्मू में इस समय मांडा, सिद्दड़ा और बाहु रैका क्षेत्र ही हैं, जहां पर पेड़ रह गए हैं। इन क्षेत्रों के कारण ही जम्मू में पर्यावरण अभी अधिक प्रदूषित होने से बचा हुआ है। भठिंडी, नगरोटा, रूपनगर, बनतालाब, सुंजवां जैसे क्षेत्रों में कालोनियां बनने के कारण वन क्षेत्र पूरी तरह से खत्म हो गए हैं। जानीपुर क्षेत्र में भी वन होते थे, लेकिन अब वहां पर कंक्रीट के जंगल हैं। पेड़ कटने के कारण जम्मू में जनजीवन भी प्रभावित हुआ है। अगर अब बचे हुए वन क्षेत्रों की भी खत्म कर दिया जाता है तो आने वाला समय चुनौतीपूर्ण होगा।

  • जानीपुर से कोर्ट कांप्लेक्स बाहु रैका में शिफ्ट करने का फैसला पूरी तरह से गलत है। सरकार कह रही है कि सिर्फ दो हजार के आसपास ही पेड़ कटेंगे, लेकिन ऐसा नहीं है। इससे हजारों पेड़ कटेंगे और पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचेगा। यह फैसला वकीलों व अन्य लोगों के हित में भी नहीं है। कोर्ट शिफ्ट होने से जम्मू का हर नागरिक प्रभावित होगा। जानीपुर में भी कोर्ट के विस्तार की संभावना है। - अभिनव शर्मा, प्रधान बार एसोसिएशन जम्मू
  • जानीपुर से बाहु रैका में हाईकोर्ट कांप्लेक्स शिफ्ट करने का फैसला सही नहीं है। पहले भी जिस जगह पर कोर्ट कांप्लेक्स बना था, वहां पर पेड़ों को काटा गया था। अब जम्मू में कुछ ही क्षेत्र ही बचे हैं, जहां पर जंगल हैं। ऐसे में अगर कोर्ट कांप्लेक्स शिफ्ट होता है तो यह जम्मू के लिए सही नहीं होगा। जम्मू में आने वाले दिनों में जीना मुश्किल हो जाएगा। - मंजीत सिंह, पर्यावरणविद 

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