Jammu Kashmir : वित्त विभाग ने दिए निर्देश, सरकारी विभाग जल्द चुकाएं बिजली विभाग की देनदारी
Outstanding Power Dues In Jammu Kashmir वित्त विभाग ने यह आदेश आज सोमवार को जारी किया है। उन्होंने बकाया बिजली बिल तुरंत चुकाने का निर्देश दिया है। वित्त विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव अटल डुल्लू ने इस संबंध में एक सर्कुलर भी जारी किया।
श्रीनगर, जेएनएन: केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के लिए आर्थिक संकट पैदा कर रहे सरकारी विभागों को वित्त विभाग ने एक बार फिर बिजली विभाग की देनदारी चुकता करने के निर्देश दिए हैं। नियमित बिजली बिल की अदायगी न कर ये सरकारी विभाग प्रदेश पर आर्थिक बोझ बढ़ा रहे हैं। ऐसे में वित्त विभाग ने सभी सरकारी विभागों केे इंचार्ज को निर्देश दिए हैं कि वे हर माह आने वाले बिजली बिल की अदायगी करने के साथ-साथ वे देनदारी भी चुकता करें जो उन्होंने पिछले कई सालों से नहीं दी है। आपको जानकारी हो कि जम्मू-कश्मीर के विभिन्न सरकारी विभागों पर यह देनदारी 6000 करोड़ रूपये से भी अधिक की है।
वित्त विभाग ने यह आदेश आज सोमवार को जारी किया है। उन्होंने बकाया बिजली बिल तुरंत चुकाने का निर्देश दिया है। वित्त विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव अटल डुल्लू ने इस संबंध में एक सर्कुलर भी जारी किया। डुल्लू ने सर्कुलर में कहा कि वित्त विभाग के संज्ञान में आया है कि केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के विभिन्न सरकारी विभागों पर बिजली विभाग का करोड़ों रुपये का बकाया है। उन्होंने कहा कि अब से सभी विभाग के इंचार्ज हर महीने अपने कार्यालय का बिजली बिल भरने की व्यवस्था करें। इसके लिए वे कॉन्ट्रा-क्रेडिट और बुक एडजस्टमेंट का माध्यम भी चुन सकते हैं।
बकाया बिजली बिल भुगतान प्रणाली को कारगर बनाने पर बल देेते हुए अटल डुल्लू ने कहा कि अभी से सभी प्रशासनिक सचिव उनके अधिक आने वाले विभागों के इंचार्ज या फिर अन्य संबंधित अधिकारियों को इसी माह से बिजली बिल चुकाने के निर्देश दे दें। उन्होंने यह भी कहा कि प्रत्येक विभाग ऐसी व्यवस्था बनाए। यदि बजट आवंटन में कमी आती है तो वे उचित औचित्य के साथ अपनी बात संशोधित अनुमान 2021-22 बजट के दौरान रख सकते हैं।
आपको जानकारी हो कि जम्मू-कश्मीर के विभिन्न सरकारी विभाग, नौकरशाह बिजली विभाग के देनदार हैं। कई सालों से बिजली बिल न चुकाने की वजह से ये देनदारी 6000 करोड़ का आंकड़ा पार करने वाली है। इस देनदारी को चुकता करने के लिए जम्मू-कश्मीर की पूर्व सरकारों ने भी कई प्रयास किए परंतु साल दर साल ये देनदारी बढ़ती ही गई।