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कार्यालयों में महिला यौन शोषण के खिलाफ कानून बनाने वाला जम्मू कश्मीर पहला राज्य बना

राज्यपाल की अध्यक्षता में राज्य प्रशासनिक परिषद (सीएसी) की बैठक में भ्रष्टाचार रोकथाम संशोधन विधेयक व जम्मू-कश्मीर आपराधिक कानून संशोधन विधेयक, 2018 को मंजूरी दे दी है।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Sat, 15 Dec 2018 11:04 AM (IST)Updated: Sat, 15 Dec 2018 11:04 AM (IST)
कार्यालयों में महिला यौन शोषण के खिलाफ कानून बनाने वाला जम्मू कश्मीर पहला राज्य बना
कार्यालयों में महिला यौन शोषण के खिलाफ कानून बनाने वाला जम्मू कश्मीर पहला राज्य बना

जम्मू, जेएनएन : कार्यालयों में महिला यौन शोषण के खिलाफ कानून बनाने वाला जम्मू कश्मीर देश का पहला राज्य बन गया है। राज्य प्रशासन ने कार्यालयों में महिला कर्मियों को ब्लैकमेल कर उन पर यौन संबंध बनाने के लिए दबाव डालने के खिलाफ कानून बना दिया है। राज्यपाल सत्यपाल मलिक की अध्यक्षता में राज्य प्रशासनिक परिषद (सीएसी) की बैठक में भ्रष्टाचार रोकथाम संशोधन विधेयक व जम्मू-कश्मीर आपराधिक कानून संशोधन विधेयक, 2018 को मंजूरी दे दी है। इसके तहत रणबीर पेनल कोड की धारा 354-ई के तहत अपराधों को भी इसमें शामिल किया गया है।

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आपराधिक कानून की धारा 154 व 161 व एवीडेंट एक्ट की धारा 53 में संशोधन कर सेक्सटोरेशन को भी दंडनीय अपराधों की सूची में लाया गया है। ऐसा करने के लिए भ्रष्टाचार रोकथाम विधेयक में संशोधन किया गया है। इस कानून से कार्यालयों में महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित की जाएगी। कोई भी अधिकारी अपने पद का दुरुपयोग कर अगर महिला कर्मी का यौन शोषण करने की कोशिश करेगा तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी।

हाईकोर्ट भी जारी कर चुका था नोटिस

राज्य हाईकोर्ट ने भी कार्यालयों में महिलाओं के यौन शोषण संबंधी मामलों पर गत वर्ष गंभीरता से उठाते हुए इस पर अंकुश लगाने के लिए केंद्र सरकार के महिला एवं बाल विकास सचिव और राज्य के समाज कल्याण, स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा के सचिव को नोटिस जारी किया था। उच्च न्यायालय की दो जजों वाली खंडपीठ जिसमें जस्टिस बद्दर दुरेज अहमद व जस्टिस अलोक आराध्य शामिल थे, ने एक जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान यह नोटिस दिया था। याचिका में यौन शोषण को रोकने के लिए कानून का सख्ती से पालन करवाने की मांग की गई थी। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता वकील ने तर्क दिया कि कार्यालयों में महिलाओं का यौन शोषण उनके मौलिक अधिकारों का हनन है। यह जघन्य अपराध है। सामान्य अपराध की श्रेणी में नहीं आता। देश की संसद में कार्यालयों में यौन शोषण को रोकने के लिए कानून बना हुआ है, लेकिन यह राज्य में पूरी तरह से लागू नहीं था। याचिकाकर्ता ने न्यायालय से मांग की कि केंद्र सरकार को यह निर्देश दिए जाएं कि उनके अधीन आने वाले सभी बैंकों व अन्य विभागों में इस कानून का सख्ती से पालन हो।

राज्य में इन मामलों पर सुनवाई के लिए बनाई गई थी कमेटी

सरकारी कार्यालय में यौन शोषण के मामलों पर उच्च न्यायालय के निर्देश के बाद वर्ष 2015 में राज्य सरकार ने पांच सदस्यीय शिकायत कमेटी का गठन किया था। भारतीय प्रशासनिक सेवा की अधिकारी सरिता चौहान की अध्यक्षता वाली यह कमेटी राज्य सचिवालय में यौन शोषण की शिकायतों पर कार्रवाई करने के साथ सरकार को समय समय अपनी रिपोर्ट भी सौंपती थी। पांच सदस्यीय कमेटी के सदस्यों में शबनम कामली, नुजहत शाह भी शामिल थी। कमेटी को यौन शोषण की शिकायतों पर कार्रवाई करने के साथ हर तीन महीने व साल के अंत में जीएडी को एक्शन टेकन रिपोर्ट सौंपनी होती थी। अब इस संबंध में कानून बनने से इसे सख्ती से लागू करने में काफी सहायता मिलेगी।  


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