JK: अब पॉवर कॉरपोरेशन में चतुर्थ श्रेणी की होगी सीधी भर्ती, कर्मचारियों ने इसे धोखा बताया, कहा-आंदोलन करेंगे
एसआरओ-381 केवल बिजली विभाग में ही लागू है। पीडीडी में नियुक्ति प्रणाली को नियमित बनाने के लिए ही सरकार ने वर्ष 1981 में एसआरओ-381 को लागू किया था।
जम्मू, राहुल शर्मा। पॉवर डेवलपमेंट डिपार्टमेंट (पीडीडी) के स्थान पर कॉरपोरेशन बनाने के बाद सरकार ने अब दैनिक वेतनभोगियों को बड़ा झटका दिया है। सरकार ने इन कर्मियों की स्थायी होने की उम्मीदों को झटका देते हुए रिक्त पड़े चतुर्थ श्रेणी पदों पर सीधा नियुक्ति करने का निर्णय लिया है। इस संबंध में सरकार ने जेएंडके पॉवर कॉरपोरेशन, जम्मू पॉवर डिस्ट्रिब्यूशन कारपोरेशन, जेएंडके पॉवर ट्रांसमिशन कॉरपोरेशन के प्रबंध निदेशकों और चीफ इलेक्ट्रिक इंस्पेक्टर जम्मू-कश्मीर को आदेश जारी कर रिक्त पदों की सूची शनिवार सुबह तक भेजने के आदेश दिए हैं। इस पर चर्चा के लिए सचिवालय में बैठक बुलाई गई है। पॉवर कॉरपोरेशन जम्मू और कश्मीर में 60 फीसद कर्मचारियों के पद रिक्त हैं। ऐसे में दैनिक कार्यो के लिए भी डेलीवेजर, नीड बेस्ड कर्मियों की सहायता ली जा रही है। ये कर्मी लाइनमैन, फोरमैन, मीटर रीडर से लेकर रेवेन्यू क्लर्क का काम भी संभाल रहे हैं। सरकार के इस आदेश ने कर्मियों में रोष भड़का दिया है।
वर्ष 2013 में तत्कालीन मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के नेतृत्व वाली सरकार ने फैसला लिया था कि विभाग में फील्ड स्टाफ के पद रिक्त होने पर इन कर्मियों को नियुक्त किया जाएगा। यह प्रक्रिया शुरू भी हुई। पहले चरण में जम्मू संभाग में 321 और कश्मीर संभाग में 1600 कर्मियों को स्थायी किया गया। इसके बाद भी अस्थायी कर्मियों की नियुक्ति होती रही। राज्य में अनुच्छेद 370 के खात्मे से पूर्व जुलाई में भी 118 दैनिक वेतनभोगियों को स्थायी करने की सूची जारी की थी। वर्ष 2019 में ही जम्मू संभाग से करीब 600 कर्मियों को स्थायी किया गया। इस समय जम्मू संभाग में करीब 1489 डेलीवेजर और 3169 नीड बेस्ड कर्मी, जबकि कश्मीर संभाग में 2200 नीड बेस्ड कर्मी स्थायी होने का इंतजार कर रहे हैं। गत मार्च में बिजली विभाग में हजारों पद रिक्त हुए हैं।
कर्मचारियों से धोखा नहीं होने देंगे, जरूरत पड़ी तो आंदोलन भी करेंगेः जेएंडके सेंट्रल नान गजटेड इलेक्ट्रिकल इंप्लाइज यूनियन (जेकेसीएनजीईईयू) ने विरोध जताते हुए स्पष्ट चेतावनी दी कि इन नौकरियो दैनिक वेतनभोगियों, नीड बेसड कर्मियों के हित में नहीं है। विभाग में रिक्त पड़े पदों पर उनका हक है। यदि सरकार ने इन कर्मियों के हितों की अनदेखी की तो बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। यूनियन के राज्य महासचिव पुरुषोत्तम शर्मा ने कहा कि सरकार द्वारा जारी यह आदेश एसआरओ-381 का उल्लंघन है। हम इसे स्वीकार नहीं करते। लॉकडाउन में जहां सभी लोग सुरक्षित अपने घरों में बैठे हैं, ये अस्थायी कर्मी ही हैं, तो कई-कई महीनों से वेतन न मिलने के बावजूद राज्य में सप्लाई व्यवस्था को सुनिश्चित बनाए हुए हैं। उन्होंने लेफ्टिनेंट गवर्नर जीसी मुमरू, मुख्य सचिव बीवीआर सुब्रह्मण्यम व प्रधान सचिव रोहित कंसल से हस्तक्षेप की मांग भी की। शर्मा ने कहा कि यदि कारपोरेशन की किसी भी विंग में रिक्त चतुर्थ श्रेणी पदों पर सीधी नियुक्ति की गई तो राज्यव्यापी आंदोलन चलाएंगे और इसका असर बिजली सप्लाई पर भी पड़ेगा।
क्या है एसआरओ-381 : एसआरओ-381 केवल बिजली विभाग में ही लागू है। पीडीडी में नियुक्ति प्रणाली को नियमित बनाने के लिए ही सरकार ने वर्ष 1981 में एसआरओ-381 को लागू किया था। यह एसआरओ विभाग के इंचार्ज को अधिकार देता था कि वे रिक्त पद पर सीधी नियुक्ति कर सके। वर्ष 2012 में पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने पीडीडी में सालों से काम कर रहे दैनिक वेतनभोगियों को एसआरओ का लाभ देने की घोषणा की और पद रिक्त होते ही दैनिक वेतनभोगियों को स्थायी नियुक्ति मिलेगी।
ट्रांसमिशन लाइन का मरम्मत कार्य जल्द पूरा किया जाए: खान
उपराज्यपाल के सलाहकार बसीर अहमद खान ने राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के महाप्रबंधक को निर्देश दिए हैं कि बगलिहार किशनपुर बिजली ट्रांसमिशन लाइन का मरम्मत कार्य और टावर मजबूत करने के काम को तीस दिन के भीतर पूरा किया जाए। खान ने बिजली की ट्रांसमिशन लाइन को जल्द ठीक करने के मुद्दे पर बैठक की। बगलिहार हाइड्रो इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट के चीफ इंजीनियर ने बताया कि जम्मू श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग के विस्तारीकण के कारण बगलिहार किशनपुर ट्रांसमिशन लाइन के टावर नंबर 12 और 13 को नुकसान पहुंचा था। उपराज्यपाल के सलाहकार ने कहा कि इस लाइन के मरम्मत कार्य को शीघ्र पूरा किया जाए ताकि बिजली की सप्लाई बाधित न हो जाए। उन्होंने पीडीडी के सचिव से कहा कि वह नियमित तौर पर मरम्मत कार्यों की निगरानी करें और इसके लिए तकनीकी स्टाफ प्रोजेक्ट की तरफ से उपलब्ध करवाया जाए। इसकी तकनीकी रिपोर्ट और टावरों की सुरक्षा का प्रमाणपत्र भी उपलब्ध करवाया जाए। उन्होंने राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के महाप्रबंधक से कहा कि जिला प्रशासन, ट्रैफिक पुलिस और अन्य एजेंसियों को सहयोग देकर मशीनरी और स्टाफ उपलब्ध करवाया जाए ताकि यह कार्य निर्धारित समय के भीतर पूरा किया जा सके।