Jammu: बूढ़ी पाइपों के सहारे जम्मू शहर की सप्लाई, पानी की हो रही बर्बादी
सर्वे में भी यह बात सामने आई है कि पीएचई के खस्ताहाल ढांचे के कारण 40 से 45 फीसद पानी रोजाना नालियों में व्यर्थ बह जाता है।
जम्मू, जागरण संवाददाता। गर्मी शुरू होने के साथ ही शहर और इसके बाहरी इलाकों में पेयजल किल्लत भी बढऩे लगी है। पाइपें पुरानी हो गई हैं। जगह-जगह टूट-फूट से पानी व्यर्थ बह रहा है। जल संरक्षण की दुहाई देने वाला पीएचई विभाग दिल खोल कर पेयजल की बर्बादी कर रहा है। विभाग इस बात से भलीभांति अवगत है कि उनका खस्ताहाल बुनियादी ढांचा ही शहर तथा बाहरी क्षेत्रों में पानी की समस्या को बढ़ा रहा है। इसके बावजूद रोकथाम के लिए कोई गंभीरता नहीं दिखाई जा रही।
रोजाना 2 मिलियन पानी की कमी
जम्मू शहर में नियमित पेयजल सप्लाई के लिए प्रतिदिन 47 मिलियन गैलन पानी की आवश्यकता है। इसके एवज में 45 मिलियन गैलन पानी उपलब्ध हो पा रहा है। इन आंकड़ों के मुताबिक जम्मू में प्रतिदिन 2 मिलियन गैलन पानी की कमी है। पेयजल किल्लत के लिए बिजली कटौती भी जिम्मेदार है, परंतु विभाग द्वारा अपने तौर पर किए गए सर्वे में भी यह बात सामने आई है कि पीएचई के खस्ताहाल ढांचे के कारण 40 से 45 फीसद पानी रोजाना नालियों में व्यर्थ बह जाता है।
ईरा को सौंपा गया है पाइपें बदलने का काम
इसी सर्वे के आधार पर जम्मू-कश्मीर सरकार ने इकोनॉमिक रीकंस्ट्रशन एजेंसी को पचास साल पुरानी सप्लाई व्यवस्था को बदलने के लिए प्रोजेक्ट सौंपा है। ईरा ने काम शुरू भी कर दिया है परंतु अभी तक एजेंसी ने जिन इलाकों में काम पूरा किया है, वहां भी परिणाम सकारात्मक नहीं आए हैं। जम्मू पश्चिम के जानीपुर, सरवाल, विवेकानंद कॉलोनी, पुराने शहर के मल्होत्र मोहल्ला, नारायणी मोहल्ला, कनक मंडी आदि इलाकों में पाइपों में लीकेज की समस्या है। नतीजतन लोगों के घरों में दूषित पानी की आपूर्ति हो रही है। पीएचई विभाग के मुख्य सप्लाई ढांचे की बात करें तो वह भी पानी बर्बादी को बढ़ावा दे रहा है। शीतली फिल्ट्रेशन प्लांट, बोरिया फिल्ट्रेशन प्लांट, कंपनी बाग पंङ्क्षपग स्टेशन सहित अन्य स्टेशनों से इलाकों में बिछाई गई मुख्य पाइप लाइनों में लगे वाल्वस, प्रेशर गैंग भी खराब हो चुके हैं।
फिलिंग स्टेशन में सबसे अधिक बर्बादी, अधिकारी लापरवाह
शहर के साथ लगते इलाकों में पानी की सप्लाई को सुनिश्चित बनाने के लिए पेयजल की सेवा ली जा रही है। यह टैंकर कंपनी बाग, नरवाल, लाले द बाग, छन्नी, ग्रेटर कैलाश आदि इलाकों में स्थित फिलिंग स्टेशन से पानी भर लोगों तक पहुंचाने का काम कर रहे हैं। परंतु यहां भी पानी बचत पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। इन स्टेशनों पर तीन लाख गैलन से अधिक पानी रोजाना व्यर्थ बह रहा है। इसका कारण टैंकर भरने के बाद भी सप्लाई को बंद नहीं किया जाता। इतना ही नहीं टैंकर न होने के बाद भी इन फिलिंग स्टेशनों पर पंङ्क्षपग निरंतर जारी रहती है। पानी व्यर्थ बहने पर ध्यान नहीं दिया जा रहा।
- गर्मी में लोगों को पर्याप्त जलापूर्ति सुनिश्चित करने के प्रबंध किए जा रहे हैं। पानी की बर्बादी को रोकने के लिए पाइपों को बदलने के साथ लोगों से भी पानी का सदुपयोग करने की अपील की गई है। बिजली की कटौती समेत अन्य मुश्किलों को भी ध्यान में रखा जा रहा है। आपूर्ति को सुचारु रखने को कहा गया है। अधिकतर पाइपें बदल ली गई हैं। शेष पर काम जारी है। - अशोक गंडोत्र, चीफ इंजीनियर, पीएचई
सतवारी क्षेत्र में कई जगह 15 मिनट की सप्लाई
जागरण संवाददाता, जम्मू : सतवारी के रानीबाग, पुंछी मोहल्ला व नरवाल वार्ड दो के इलाकों में पेयजल की बढ़ती किल्लत ने लोगों की परेशानियों को बढ़ा दिया है। इन इलाकों में नियमित पानी की आपूर्ति नहीं हो पा रही। कई बार तो दूसरे, तीसरे दिन पानी आता है और वो भी पूरे समय के लिए नहीं मिलता। लोगों का कहना है कि एक तो पुरानी समय की पाइपें बिछ़ी हुई हैं तो वहीं बिजली की बार-बार हो रही कटौती से लोगों को पानी नहीं मिल रहा। यहां स्थित पीएचई विभाग को छह इलाकों में घंटे घंटे की पानी की सप्लाई करनी होती है। मगर इन दिनों सप्लाई बार-बार प्रभावित हो रही है। एक घंटे की जगह कई इलाकों में लोगों को 15 मिनट तक नलों में पानी नसीब हो पा रहा। ऐसे में पानी के लिए कुछ लोगों को तो दूसरे क्षेत्र से जुगाड़ करना पड़ रहा है। पांच हजार की आबादी वाले इस क्षेत्र में बढ़ती पानी की किल्लत को लेकर लोग खफा हैं। उनका कहना है कि अभी तो अप्रैल का ही महीना है। अगर यही हाल रहा तो मई जून में पानी का बड़ा संकट इन क्षेत्रों में बनने वाला है। लोगों का एक शिष्टमंडल जम्मू छावनी परिषद के चुने हुए सदस्य राजेश बख्शी से भी मिला।
क्यों है पानी की समस्या
स्थानीय लोगों का कहना है कि पेयजल सप्लाई का यहां पुराना सिस्टम अपनाया जा रहा है। एक तो बोर वेल की मुख्य पाइप छोटी है जो कि क्षेत्र के लोगों की जरूरत का पानी पूरा नहीं कर सकती। वहीं सालों पहले पानी सप्लाई की बिछाई गई पाइपें जमीन में और नीचे हो चुकी हैं। ऐसे में पानी आपूर्ति की गति ऐसे ही धीमी हो जाती है। वहीं ओवर हेड टैंक नहीं हैं कि पानी को पहले स्टोर किया जाए और बाद में सप्लाई किया किया जाए। जमीन से सीधे पानी की सप्लाई की जाती है। क्षेत्र में बढ़ती आबादी के हिसाब से पीएचई ने पानी की आपूर्ति के सिस्टम में बदलाव नहीं किया। वहीं, मैकेनिकल डिवीजन पीएचई के जेई आरपी सिंह का कहना है कि पानी की नियमित आपूर्ति की जा रही है। समय पर काम हो रहा है।
पाइपें बदली जाएं
पिछले पांच सालों में यहां पर नए मकान बने हैं और ऐसे में अधिक पानी की जरूर आन पड़ी। इस हिसाब विभाग को पेयजल आपूर्ति की योजना बनानी चाहिए थी। मगर ऐसा नही किया गया। ओवर हेड टैंक बनाया जाए। बोर वेल की पाइप बड़ी किए जाने की जरूरत है। मोहल्ले में बिछी पाइपें बदली जानी चाहिए। मगर इस दिशा में काम नही हो रहा। अगर कुछ उपाय नहीं किए गए तो इन गर्मियों में क्षेत्र में पानी की किल्लत और बढऩे वाली है। - पंडित अशोक कुमार खजूरिया, समाज सेवक
नया टयूबवेल बनाया जाए
आबादी बढ़ गई है। एक टयूबवेल से काम नहीं चलेगा। या तो पुराने टयूबवेल को आज की जरूरत के हिसाब से तैयार किया जाए। या फिर एक ओर टयूबवेल स्थापित किया जाए। वहीं जो विभाग के ङ्क्षवग यहां कार्यरत हैं, में आपसी सहयोग की जरूरत है। यहां मोहल्ले घनी आबादी वाले हैं, बरसों पहले पाइपें बिछी थी, उनको बदला जाना चाहिए। - राजेश बख्शी, समाज सेवक व जम्मू छावनी परिषद के चुने हुए सदस्य