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शेक्सपीयर के नाटक ने आरुषि के प्रयोग से गुदगुदाया

विलियम शेक्सपियर के हास्य नाटक टवेल्वथ नाइट का मंचन नटरंग अब तक सैकड़ों नाटकों के हजारों शो कर चुका है।

By Edited By: Published: Tue, 15 May 2018 09:56 PM (IST)Updated: Wed, 16 May 2018 02:55 PM (IST)
शेक्सपीयर के नाटक ने आरुषि के प्रयोग से गुदगुदाया
शेक्सपीयर के नाटक ने आरुषि के प्रयोग से गुदगुदाया

जम्मू, जागरण संवाददाता। विलियम शेक्सपियर के हास्य नाटक टवेल्वथ नाइट का मंचन नटरंग नाट्य संस्था के 35 वर्ष पूरे होने पर शुरू हुए नाट्योत्सव में किया गया। नाटक का नाट्य रूपांतरण एवं निर्देशन आरुषि ठाकुर राणा ने किया। पहले से ही हास्य के लिए प्रसिद्ध इस नाटक को आरुषि ने लोकल पुट देकर जीवंत किया। नाटक की कॉमेडी में एक प्रेम त्रिकोण, पात्र और कई मोड़ हैं। हर दृश्य दर्शकों को लोटपोट करता दिखा।

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नाटक में जुड़वा भाई (सेबस्टियन) बहन (वायोला) बिछुड जाते हैं। बहन अकेली रह जाती है। वह वेश बदल कर डयूक के जहां काम करती है। उसे डयूक से प्यार हो जाता है। डयूक अपने प्रेम का प्रस्ताव लेकर उसे रानी के पास भेजता है। रानी को लड़के के वेश में वहां गई लड़की से प्यार हो जाता है। अंत में किसी तरह से सब ठीक हो जाता है और सुखद अंत के साथ नाटक संपन्न होता है।

नाटक का हर पात्र अपनी भूमिका से न्याय करता दिखा। युवा निर्देशक आरुषि ठाकुर के प्रयोग और संगीत का मिश्रण दर्शकों को गुदगुदाता दिखा। नाटक वायोला की भूमिका गौरी ठाकुर ने निभाई तो सेबस्टयन की भूमिका मासेस मार्टन ने निभाई। गौतम शर्मा, वृंदा शर्मा, अभि बरगोत्रा, गौतम कुमार, बृजेश अवतार शर्मा, गोपी शर्मा, मोहित कौल, सन्नी मुजू, संकेत भगत, सुशांत चाढ़क, महेशित  लंगेह ने अपने अभिनय की छाप छोड़ी। आदेश धर, अकाश भट्ट, आफिक खान, शिवम दत्त, राहुल गुप्ता ने अपनी भूमिका से न्याय किया। प्रकाश व्यवस्था शिवम ¨सह ने की। संगीत भीष्म गुप्ता का था।

सेट अंकुश लखनोत्रा, कास्टयूम दीपका बी ठाकुर ने डिजाइन किया। स्वागत भाषण में नटरंग के निदेशक बलवंत ठाकुर ने नटरंग के 35 वर्ष के सफर पर संक्षिप्त प्रकाश डालते हुए बताया कि अंतरराष्ट्रीय मंच पर पहुंचने के लिए नटरंग को किस तरह का संघर्ष करना पड़ा। उन्होंने बताया कि नटरंग अब तक सैकड़ों नाटकों के हजारों शो कर चुका है। इस दौरान सैकड़ों कलाकारों को मंच प्रदान किया गया। कई नए निर्देशक तैयार किए। ठाकुर ने कहा कि उन्होंने अपना जीवन रंगमंच को समर्पित कर रखा है। वह थियेटर रेजिडेंस, ऑडिटोरियम बनाना चाहत है। जम्मू के रंगमंच को शिखर पर देखने का सपना है।


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