Move to Jagran APP

सदर-ए-रियासत न बनता तो डोगरों का नामों निशान मिट जाता

राज्य ब्यूरो, जम्मू : पूर्व सदर-ए-रियासत, पूर्व सांसद और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता डॉ. कर्ण ¨सह

By JagranEdited By: Published: Tue, 23 Oct 2018 02:37 AM (IST)Updated: Tue, 23 Oct 2018 02:37 AM (IST)
सदर-ए-रियासत न बनता तो डोगरों  का नामों निशान मिट जाता
सदर-ए-रियासत न बनता तो डोगरों का नामों निशान मिट जाता

राज्य ब्यूरो, जम्मू : पूर्व सदर-ए-रियासत, पूर्व सांसद और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता डॉ. कर्ण ¨सह ने कहा कि अगर मैं सदर-ए-रियासत नहीं बनता तो राज्य से डोगरों का नामों निशान मिट जाता। महाराजा हरि ¨सह के योगदान को जिस तरह से पेश करने की जरूरत थी नहीं किया गया। डोगरा शासकों की वीरता को इतिहास में जो जगह मिलनी चाहिए थी, नहीं मिली। जम्मू विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग, महाराजा गुलाब ¨सह रिसर्च सेंटर जम्मू और सेंटर फार वूमेन स्टडीज की तरफ से संयुक्त रूप से आयोजित दो दिवसीय सेमिनार को संबोधित करते हुए डॉ. कर्ण ¨सह

loksabha election banner

ने कहा कि महाराजा हरि ¨सह ने सामाजिक सुधार लाए। 1929 में हर समुदाय के लिए मंदिर खोले गए। शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में सुधार लाए। आज भले ही इतिहास की बात की जाती है और रिसर्च की जाती है लेकिन मै तो स्वयं ही इतिहास का साक्षी हूं। सेमिनार का विषय था महाराजा हरि ¨सह की जीवनी और योगदान का स्मरण दिलाना। उन्होंने कहा कि वर्ष 1846 में अस्तित्व में जम्मू कश्मीर में एक सौ वर्ष तक डोगरा शासन रहा जिसमें चार महाराजा हुए। गुलाब ¨सह, रणबीर ¨सह, प्रताप ¨सह और हरि ¨सह। महाराजा प्रताप ¨सह के शासन के समय कई मुश्किलें पेश आई। महाराजा हरि ¨सह को चार ताकतों ने घेर लिया था जिसमें ब्रिटिश सरकार, कांग्रेस, मुस्लिम लीग और शेख मोहम्मद अब्दुल्ला शामिल थे। उन्होंने जम्मू कश्मीर के विलय को लेकर महाराजा हरि ¨सह की तरफ से लार्ड माउंटबेटन को लिखे पत्र का जिक्र भी किया। जम्मू कश्मीर की सीमाओं की रक्षा करने में डोगरा शासकों का अहम योगदान रहा है। जम्मू कश्मीर की सीमाओं को मध्य एशिया तक पहुंचाया। उन्होंने अपनी पुस्तक का उल्लेख करते हुए कहा कि इस पढ़कर इतिहास के बारे में सारी जानकारी हासिल की जा सकती है।

जम्मू विवि के वीसी प्रो. मनोज धर ने कहा कि डॉ. कर्ण ¨सह स्वयं इतिहास के साक्षी रहे हैं। वह इस विषय पर अधिक नहीं बोल सकते। महाराजा हरि ¨सह के समाज सुधार के योगदान को हमेशा याद किया जाएगा। इससे पहले इतिहास विभाग के अध्यक्ष प्रो. श्याम नारायण लाल ने स्वागत भाषण में सेमीनार के बारे में जानकारी दी।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.