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Jammu and Kashmir: सरकार की नीतियों के विरोध में लिखा तो जाएगी नौकरी, जानें क्या हो सकती है कार्रवाई

जम्मू कश्मीर में अब अगर कोई सरकारी कर्मचारी या अधिकारी इंटरनेट मीडिया पर सरकार की नीतियों की आलोचना में कुछ लिखता है तो उसे समयपूर्व सेवानिवृत्त कर दिया जाएगा। साथ ही भविष्य में किसी अन्य सरकारी सेवा के लिए उसे अयोग्य घोषित कर दिया जाएगा।

By Jagran NewsEdited By: Jagran News NetworkPublished: Sat, 25 Mar 2023 10:22 AM (IST)Updated: Sat, 25 Mar 2023 10:22 AM (IST)
सरकार की नीतियों के विरोध में लिखा तो जाएगी नौकरी

राज्य ब्यूरो, जम्मू: जम्मू कश्मीर में अब कोई भी सरकारी अधिकारी या कर्मचारी इंटरनेट मीडिया पर सरकार की नीतियों की आलोचना में लिख नहीं सकेगा। इसके अलावा वह किसी भी प्रकार की सरकारी जानकारी को बिना अनुमति के किसी अन्य के साथ साझा नहीं कर सकेगा। अगर कोई सरकारी कर्मचारी या अधिकारी ऐसा करता है तो उसे समयपूर्व सेवानिवृत्त कर दिया जाएगा। साथ ही भविष्य में किसी अन्य सरकारी सेवा के लिए उसे अयोग्य घोषित कर दिया जाएगा।

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हो रही नियमों की अवहेलना

हालांकि, अफवाहों को दूर करने, राष्ट्रविरोधी प्रचार को विफल बनाने, सरकारी नीतियों का समर्थन करने और जनता में इसके लिए जागरूक करने के लिए वह इंटरनेट मीडिया का इस्तेमाल कर सकते हैं। इस संबंध में महाप्रशासनिक विभाग ने शुक्रवार को सर्कुलर जारी किया है।

सर्कुलर के मुताबिक सभी सरकारी अधिकारियों व कर्मचारियों को इंटरनेट मीडिया के विभिन्न मंचों के इस्तेमाल के संदर्भ में सरकारी नियमों का पालन करने के लिए समय-समय पर सचेत किया जाता रहा है। इसके बावजूद नियमों की अवहेलना हो रही है। इसलिए एक बार फिर सचेत किया जा रहा है कि कोई भी अधिकारी या कर्मचारी, प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से इंटरनेट मीडिया पर ऐसी किसी भी जानकारी प्रकाशित, पोस्ट या जारी नहीं करेगा, जिसे गोपनीय माना जाता है या जो सार्वजनिक प्रसार के लिए नहीं है।

किसी भी सोशल प्लेटफॉर्म पर चर्चा नहीं

अधिकारी-कर्मचारी किसी भी आधिकारिक दस्तावेज या उसके किसी भी हिस्से को किसी ऐसे व्यक्ति या अधिकारी को नहीं दे सकेंगे जो संबंधित सूचना या दस्तावेज के लिए अधिकृत नहीं है। वह सरकारी दस्तावेज बिना अनुमति किसी को सूचना या प्रकाशन के लिए भी नहीं दे सकेंगे। इसके अलावा वह फेसबुक, ट्वीटर, इंस्टाग्राम, टेलीग्राम, वाट्एसएप समेत इंटरनेट मीडिया के किसी भी अन्य माध्यम पर सरकारी नीतियों, सरकार द्वारा किसी मामले में की गई कार्रवाई पर चर्चा या आलोचना नहीं करेगा।

समुदाय पर चर्चा से भी रहना होगा दूर

सर्कुलर में कहा गया है कि कोई भी सरकारी अधिकारी व कर्मचारी इंटरनेट मीडिया, फेसबुक, माइक्रोब्लाग या किसी समुदाय पर होने वाली किसी चर्चा या आलोचना में भी शामिल नहीं होगा। वह कोई भी राजनीतिक, पंथ निरपेक्ष विरोधी और सांप्रदायिक प्रकृति का न कोई ट्वीट या पोस्ट कर सकता है और न ही राष्ट्रविरोधी ब्लाग, ट्वीटर हैंडल, फेसबुक कम्युनिटी और ब्लाग में शामिल होगा। इसके अलावा कोई भी सरकारी कर्मचारी स्वयं या अपने भरण-पोषण के लिए उस पर निर्भर किसी व्यक्ति के माध्यम से या उसकी देखरेख या नियंत्रण में सोशल मीडिया पर ऐसी कोई गतिविधि नहीं करेगा जो सरकार के प्रति प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से विध्वंसक हो या केंद्र शासित प्रदेश व देश में स्थापित कानून के विरुद्ध हो।

नियमों को तोड़ा तो यह होगी कार्रवाई

सर्कुलर में कहा गया है कि नियमों का उल्लंघन करने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों को नोटिस जारी कर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। उन पर एक महीने के वेतन के बराबर तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। वेतन वृद्धि/पदोन्नति रोकी जा सकती है। निचले पद, निम्न समय-मान, समय-मान में पदावनत किया जा सकता है।

ऐसे कर्मचारियों की लापरवाही व उनके द्वारा आदेश के उल्लंघन से सरकार को हुई किसी भी आर्थिक हानि की पूर्ति उनके वेतन से आंशिक या फिर पूरी तरह से की जाएगी। इसके अलावा उन्हें आनुपातिक पेंशन पर समय पूर्व सेवानिवृत्त करने के साथ ही भविष्य में किसी अन्य सरकारी नौकरी के अयोग्य भी घोषित किया जा सकता है।

यह भी नहीं कर सकेंगेl

संवेदनशील डाटा चोरी होने का खतरा

सरकारी कर्मचारी इंटरनेट मीडिया पर सहकर्मियों या व्यक्तियों के बारे में कोई अश्लील, धमकी देने वाली, डराने वाली या कर्मचारियों के लिए निर्धारित आचरण व्यवस्था का उल्लंघन करने वाली पोस्ट नहीं कर सकते। कोई सरकारी कर्मचारी इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्म पर तथाकथित गिवअवे (लोगों को मुफ्त में कुछ देकर अपने उत्पाद को प्रमोट कराना) और प्रतियोगिताओं में जो वास्तव में घोटाला और फर्जीवाड़ा हैं, में भाग नहीं ले सकता क्योंकि इससे वह अनजाने में मेलवेयर फैला सकते हैं और संवेदनशील डाटा चोरी हो सकता है।


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