जागरण संवाददाता, जम्मू: विजयपुर इलाके में स्थित रांजड़ी आश्रम संत कबीर की शिक्षाओं को भारत के विभिन्न इलाकों में ही नहीं, विदेशों में भी प्रचार-प्रसार करने का प्रयास कर रहा है। रांजड़ी आश्रम के इसी प्रयास का परिणाम है कि अब तक यूरोप के विभिन्न मुल्कों के 3000 से ज्यादा लोग इस आश्रम से जुड़ चुके हैं।

वीरवार को रांजड़ी आश्रम में यूरोप के बाल्टिक क्षेत्र के लिथुआनिया देश के 20 नागरिकों ने आश्रम में दीक्षा लेकर संत कबीर के रास्ते पर चलने का संकल्प लिया। दीक्षा लेने के बाद वे भोपाल में स्थित रांजड़ी आश्रम घूमने के लिए निकल गए।

अध्यात्म और सत्य की खोज में आए थे सतगुरु के पास

सतगुरु मधु परमहंस ने उनको रवाना किया। संत कबीर की शिक्षाओं के प्रचार-प्रसार के लिए सतगुरु मधु परमहंस साहिब अक्सर विदेश दौरे पर जाते रहते हैं। वहां पर उनके प्रवचन में बड़ी भीड़ उमड़ती है। वीरवार को जिन लिथुआनिया के जिन 20 नागरिकों ने रांजड़ी आश्रम में कबीर पंथ की दीक्षा ली,

वे कुछ दिन पहले ही अध्यात्म और सत्य की खोज में सतगुरु मधु परमहंस साहिब के पास आए थे। तीन दिन तक वे आश्रम में रहकर साहिब के प्रवचन सुने। इस दौरान उनके मन में जो शंका या सवाल थे, साहिब ने उनका समाधान किया। उन्होंने आश्रम की संपूर्ण व्यवस्था, अध्यात्म, संत कबीर के ज्ञान और आश्रम में संगत के आपसी प्रेमभाव को जाना।

प्रभावित होकर की दीक्षा देने की विनती

मधु परमहंस ने विदेशी नागरिकों को जम्मू कश्मीर में साहिब बंदगी के अन्य आश्रमों का भी भ्रमण करवाया। इस बीच इन विदेशी नागरिकों को मधु परमहंस ने साहिब बंदगी के सात नियमों, सदा सच बोलना, मांस नहीं खाना, शराब नहीं पीना, परस्त्री गमन नहीं करना, नशा नहीं करना, जुआ नहीं खेलना और हक की कमाई ही खाने के बारे में समझाया।

इन सबसे ये विदेशी नागरिक साहिब जी के व्यक्तित्व और अध्यात्म के प्रति उनकी समझ से बहुत प्रभावित हुए और आखिरकार उन्होंने दीक्षा देने की विनती की। मधु परमहंस ने उन्हें दीक्षा देकर सदैव पंथ के नियमों पर चलने का संदेश दिया। उन्होंने कहा कि केवल सद्गुरु भक्ति से ही जीव इस संसार रूपी सागर से सदा-सदा के लिए पार हो सकता है और अमर पद की प्राप्ति कर सकता है।

Edited By: Jagran News Network