इलेक्शन ट्रैवल : चुनाव से गायब हुए रोजगार आैर विकास के मुद्दे
तपती गर्मी के बीच जम्मू से अरनिया जाने वाली बस जब वेयर हाउस यार्ड से निकल कर बिक्रम चौक पहुंची तो उसमें चंद ही लोग बैठे थे।
जम्मू, जागरण संवाददाता। तपती गर्मी के बीच जम्मू से अरनिया जाने वाली बस जब वेयर हाउस यार्ड से निकल कर बिक्रम चौक पहुंची तो उसमें चंद ही लोग बैठे थे। बिक्रम चौक से कुछ देर धीरे धीरे रेंगती हुई बस एशिया क्रासिंग के पास पहुंची तो उसमें बैठने वाले लोगों की संख्या बढ़ चुकी थी लेकिन इसके बाद भी काफी सीटें खाली थीं। गर्मी तेज थी जिस कारण बस में बैठे हुए लोग पसीने से तर बतर हो रहे थे जबकि बस का चालक धीरे धीरे उसे आगे बढ़ाते हुए सतवारी चौक की तरफ निकल गया।
बस में सवार होने वाला हर यात्री खिड़की के पास ही सीट तलाश रहा था ताकि बाहर से आने वाली हवा से कुछ राहत मिल सके। सतवारी चौक पहुंचने पर बस में कुछ और लोग भी सवार हुए जिनमें महिलाएं भी शामिल थीं। बस में सवार होते ही उनमें से एक महिला ने कहा कि चलो बैठने की जगह तो मिली, बाहर खड़े खड़े तो हम थक चुके थे। दोपहर का समय था, बस में सवार लोगों को भी जल्दी नहीं थी और न ही बस चालक का गाड़ी तेज चलाने का मन था। सतवारी चौक में कुछ देर बस को खड़ा करने के बाद चालक उसे लेकर जम्मू-पठानकोट हाइवे पर लेकर निकल गया।
बस में सवार होकर यात्रियों के साथ सफर करने का हमारा मकसद उनके साथ चुनावी चर्चा करना था, सो हमने भी अपने साथ बैठे हुए एक सज्जन सुभाष चंद्र से बातचीत शुरू कर दी। पूछने पर पता चला वह पंडोरिया के रहने वाले हैं जो एक सरकारी कार्यालय में सीनियर क्लर्क हैं। जब उनसे उनके क्षेत्र में चुनावी हलचल बारे पूछा तो उन्होंने कहा कि कांग्रेस, बीजेपी को छोड़ उनके इलाके में कोई नेता अभी तक नहीं आया। शायद छोटे नेता अपनी हार अभी मान चुके हैं। जबसे उनसे उनके क्षेत्र के मुद्दों बारे बात की तो उन्होंने कहा कि वे अभी वे वहीं हैं जो बरसों पहले थे। सड़कों का विकास नहीं हुआ, उच्च शिक्षा के लिए बच्चों को शहर जाना पड़ता है। बिजली ढांचा भी पुराना है। कुछ खास तो नहीं बदला।
इतने में बगल वाली सीट पर बैठा बिश्नाह निवासी युवक पंकज शर्मा बोला कि इस बार चुनावों में हर दल एक दूसरे पर कीचड़ फेंक रहा है लेकिन मुद्दों की बात कोई नहीं कर रहा। चुनावों में इस बार नौकरियां, विकास सब गायब है। ऐसा लगता है जैसे देश में सब कुछ है। लोगों को किसी चीज कोई जरूरत नहीं। इन बातों को सुन गांव दब्बड़ की महिला कौशल्या देवी भी चर्चा में शामिल हो गई। उसका कहना था कि उसका बेटा बीए. पास है। कई जगह पर नौकरियों के फार्म भरे लेकिन नौकरी नहीं मिली। बेटा अब जम्मू में एक शोरूम में सेल्समैन का काम करता है। शादी भी हो गई। बहु ने एम.ए की पढ़ाई की है। नौकरी उसे भी नहीं मिली। सरकार कहती हैं कि नौकरियां बढ़ी हैं लेकिन वे मिली किन्हें हैं। इस चर्चा के बीच बस बड़ी ब्राह्मणा पहुंच गई जहां चालक ने उसे बिश्नाह रोड की तरफ मोड़ कर कुछ देर के लिए बंद कर दिया।
इसी चर्चा में बस का सहचालक दिवेंद्र सिंह भी शामिल हो गया। उसका कहना था कि पेट्रोल डीजल बहुत महंगा हो चुका है। इस पर कोई बोल नहीं रहा। न ही सरकार और न ही विपक्ष को इसकी परवाह है। महंगाई बढ़ रही है। गरीब परेशान है। इस ओर भी कोई ध्यान दे तो कोई बात बने। सरकार उसी की बने जो महंगाई को कम करने का वादा करे इतने में बस बड़ी ब्राह्मणा से बिश्नाह की ओर बढ़ गई तो हमारी चर्चा तब भी जारी रहे। बस में बैठा अरनिया निवासी बुजुर्ग छज्जू राम जो काफी देर से शांत होकर हमारी बातों को सुन रहा था भी खुद को रोक नहीं पाया। उन्होंने कहा कि लोगाें को उसे ही अपना नेता चुनना चाहिए जो उनके संपर्क में रहे। अब तो ऐसे नेता आ रहे हैं जो जीतने के बाद दोबारा नजर ही नहीं आते। इसमें उनकी नहीं, हम लोगों की गलती है जो बार बार गलती करने से भी नहीं सीखते। इसी चर्चा में बस अरनिया पहुंच गई। इस दौरान कितने लोग चढ़े और कितने रास्ते में उतरे, कुछ पता ही नहीं चला।