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क्‍या यही है जन्‍नत कहे जाने वाले कश्‍मीर का हाल, बेटी की विदाई से पहले शहादत का जाम

रिफत हर रोज दुआ करती थी कि उसके अब्बू ठीक हो जाएं। जब वह डोली में बैठे तो वही उसे बैठाएं, लेकिन दुआ कुबूल नहीं हुई। उसके अब्बू आए, लेकिन तिरंगे में लिपटे हुए ताबूत में।

By Preeti jhaEdited By: Published: Sat, 23 Jun 2018 10:43 AM (IST)Updated: Sat, 23 Jun 2018 04:30 PM (IST)
क्‍या यही है जन्‍नत कहे जाने वाले कश्‍मीर का हाल, बेटी की विदाई से पहले शहादत का जाम
क्‍या यही है जन्‍नत कहे जाने वाले कश्‍मीर का हाल, बेटी की विदाई से पहले शहादत का जाम

श्रीनगर, नवीन नवाज। रिफत हर रोज दुआ करती थी कि उसके अब्बू ठीक हो जाएं। जब वह डोली में बैठे तो वही उसे बैठाएं, लेकिन दुआ कुबूल नहीं हुई। उसके अब्बू आए, लेकिन तिरंगे में लिपटे हुए ताबूत में। शादी की खुशियों और तैयारियों में जुटा परिवार बुधवार सुबह गम में डूब गया। 21 वर्षीय रिफत आरा की शादी की खुशियां उसके पिता हेड कांस्टेबल हबीबुल्ला की मौत से छिन गईं।

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हबीबुल्ला अपने एक अन्य साथी संग बीते शुक्रवार को 15 जून को श्रीनगर में डेंटल कॉलेज के बाहर आतंकी हमले मे जख्मी हो गए थे। जिंदगी और मौत के बीच करीब सात दिन जूझने के बाद हबीबुल्ला ने तड़के शेर-ए-कश्मीर आयुर्विज्ञान संस्थान में अंतिम सांस ली। शहीद हबीबुल्ला सोपोर के साथ सटे बोम्मई गांव के रहने वाले थे। परिवार में तीन बेटियां रिफत आरा, इंशा, रुबीना के अलावा दो बेटे गुलाम मोहिद्दीन व कैसर अहमद लोन के अलावा पत्नी और बुजुर्ग माता-पिता रह गए हैं।

शहीद का पार्थिव शरीर जैसे ही घर पहुंचा तो पहले से गमजदा माहौल और ज्यादा गमगीन हो गया। कोई ऐसी आंख न थी जो नम न थी। वहां मौजूद एक युवक ने कहा कि रिफत की शादी अगले सप्ताह होने वाली थी। सभी रोज दुआ करते थे कि हबीबुल्ला साहब ठीक हो जाएं। वही अपने परिवार में अकेले कमाने वाले थे। उनकी छोटी बेटी छठी कलास में और मझली बेटी दसवीं कक्षा की छात्रा है।

शहीद के पार्थिव शरीर को लेकर आए एक पुलिस कर्मी ने बताया कि हबीबुल्ला बहुत बहादुर थे। आतंकी हमले में जख्मी होने के बावजूद उन्होंने जवाबी फायर कर आतंकियों को भगाया। वह जख्मी थे और जब तक मदद पहुंचती, उससे पहले वह खुद अस्पताल पहुंचे थे।

उनकी शहादत पर हम सभी को नाज है। बस अफसोस है, कि वह अपनी बेटी को विदा करने के बजाय खुद आज इस दुनिया से रुखसत हो गए हैं।

पुलिस लाइन में दी गई श्रद्धांजलि

जिला पुलिस लाइन श्रीनगर में शहीद को अंतिम श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए राज्य पुलिस महानिदेशक डॉ. एसपी वैद, एडीजीपी आ‌र्म्ड एके चौधरी समेत राज्य पुलिस के सभी वरिष्ठ अधिकारी और जवानों के अलावा सीआरपीएफ व बीएसएफ के आलाधिकारी भी जमा हुए। उन्होंने तिरंगे में लिपटे शहीद के पार्थिव शरीर पर पुष्पचक्र और फूलमालाएं भेंट कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। 

6 माह में 320 बार हुआ संघर्ष विराम उल्‍लंघन, 25 से ज्‍यादा सुरक्षाकर्मी शहीद

वैसे भी, जानकारी हो कि सरहद पर लगातार शांति का स्‍वांग रचने वाले पाकिस्‍तान की करतूत अब पूरी दुनिया के सामने आ चुकी है। पड़ोसी मुल्‍क की कथनी और करनी में फर्क का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पिछले पांच वर्षों की तुलना में 2018 में जम्मू-कश्मीर में सीमा पार से गोलीबारी की घटनाओं में तीन सौ फीसद से ज्यादा की बढ़ोतरी हुई है। इसके चलते इस वर्ष सुरक्षा बल (बीएसएफ) के काफी जवान पाकिस्‍तान की फायरिंग में शहीद हुए।

इस साल अब तक जम्मू-कश्मीर में सीमापार से की गई फायरिंग में बीएसएफ के 11 जवान-अफसर शहीद हो चुके हैं। यह पिछले पांच साल में इस समयसीमा में बीएसएफ के शहीदों की सर्वाधिक संख्या है। इन्हें मिलाकर इस साल अंतरराष्ट्रीय सीमा व नियंत्रण रेखा के पार पाक फायरिंग में 51 लोगों की जान जा चुकी है। इनमें 25 सुरक्षाकर्मी हैं। करीब छह माह में संघर्ष विराम उल्‍लंघन की 300 से ज्यादा घटनाएं हो चुकी हैं।

पाकिस्‍तान ने शांति का रचा था नाटक

पिछले माह भारी गोलाबारी के मुंहतोड़ जवाब से घबराकर पाकिस्तान ने 29 मई को डीजीएमओ व चार जून को सेक्टर कमांडर स्तर के अधिकारियों की बातचीत व बैठक का स्वांग रचा और सीमा पर शांति का वादा किया था। भारतीय जवानों ने भी पहले गोली नहीं चलाने और गोली चली तो माकूल जवाब देने का वादा किया था, लेकिन पाकिस्तान बाज नहीं आया।

29 मई को भारत-पाक के सैन्य अभियान महानिदेशकों (डीजीएमओ) ने फोन पर बातचीत की थी। पाक ने शस्त्र विराम सच्चे ढंग से लागू करने का वादा किया। चार जून को जम्मू की ऑक्ट्राय चौकी पर 15 मिनट तक बीएसएफ व पाक रेंजर्स के सेक्टर कमांडर स्तर की फ्लैग मीटिंग हुई। इसमें पाक ने वादा किया कि वह सीमापार फायरिंग शुरू नहीं करेगा, बीएसएफ कमांडेंट ने कहा था कि जब उकसाया जाएगा तो ही वह बदला लेगा।

सीमापार फायरिंग का चार वर्षों का लेखाजोखा

2017 में सीमापार फायरिंग में कुल 111 घटनाएं सामने आई थीं, जबकि वर्ष 2016 में 204, 2015 में 350 और 2014 में 127 मामले सामने आए। पिछले साल गोलीबारी से सीमा सुरक्षा में लगे दो जवानों की मौत हुई थी, जबकि सात अन्य घायल हुए थे। 2016 में इसी तरह की घटनाओं में बीसीएफ के तीन जवान मारे गए थे, जबकि 10 अन्य घायल हुए थे।

इसी तरह 2015 मेँ एक बीएसएफ जवान की मौत हो गई थी और पांच घायल हो गए थे।  2014 में बीएसएफ को दो लोगों की मौत हो गई थी और 14 घायल हो गए थे। बीएसएफ ने जवाबी कार्रवाई के लिए रुस्तम, अर्जुन और भीम नाम से तीन अभियान शुरू किए थे।

 वर्ष   संघर्ष विराम उल्‍लंघन  शहीद सैनिक

- 2018 300  25

- 2017  111 02

- 2016 204 03

- 2015 350  01

- 2014 127  02


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