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रामनगर बच्चों की मौत का मामलाः जांच में सामने आया मृतक बच्चों की किडनी में आई थीं खरोंचे

रामनगर में दस बच्चों की मौत कहीं एक जैसी दवा खाने की वजह से तो नहीं हुई है। स्वास्थ्य विभाग इस पहलू के साथ अन्य पहलुओं को लेकर भी जांच कर रहा है।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Wed, 22 Jan 2020 10:57 AM (IST)Updated: Wed, 22 Jan 2020 10:57 AM (IST)
रामनगर बच्चों की मौत का मामलाः जांच में सामने आया मृतक बच्चों की किडनी में आई थीं खरोंचे

जम्मू, रोहित जंडियाल। ऊधमपुर जिला के रामनगर में 10 बच्चों की मौत और सात बच्चों के गंभीर रूप से बीमार होने के कारणों पर रहस्य बना हुआ है। सूत्रों के अनुसार, जांच में सामने आया है कि बच्चों कि किडनी पर खरोंचे आई थीं, जिसके बाद किडनी ने काम करना बंद कर दिया।

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स्वास्थ्य विभाग के सूत्रों के अनुसार स्वास्थ्य विभाग की एक टीम ने पीजीआइ चंडीगढ़ में भर्ती बच्चों की बायोप्सी भी करवाई थी। हालांकि इसकी रिपोर्ट में क्या आया, इस पर स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी कुछ भी नहीं कह रहे हैं, लेकिन यह सामने आया है कि बच्चों कि किडनी पर खरोंचे आई हुई थीं। एक से पांच साल तक के बच्चों की किडनी में ऐसी समस्या क्या पानी में किसी मेटल या अन्य कारणों से आई या फिर कोई दवाई खाने से ऐसा हुआ, इसकी जांच हो रही है। स्वास्थ्य विभाग की टीमें इस उलझन में भी है कि एक परिवार में एक बच्चे को ही बीमारी हुई है। ड्रग कंट्रोल विभाग ने पहले से ही दवाइयों के सैंपल उठा रखे हैं और इन्हें जांच के लिए लेबोरेटरी में भेजा गया है।

स्वास्थ्य निदेशक जम्मू डॉ. रेनू शर्मा का कहना है कि अभी तक बच्चों की मौत के कारणों का पता नहीं चल पाया है। ब्लड के अलावा दवाइयों और पानी के सैंपल भी लिए गए हैं। इन सभी की रिपोर्ट आने के बाद ही कुछ कहा जा सकेगा। वहीं, पीजीआइ चंडीगढ़ में भर्ती एक बच्चा अभी भी कोमा में है, जबकि एक इमरजेंसी में है।

एक और बच्चा एसएमजीएस अस्पताल पहुंचा : रामनगर ब्लॉक से मंगलवार को एक और बच्चे को श्री महाराजा गुलाब सिंह (एसएमजीएस) अस्पताल में भर्ती करवाया गया। यह बच्चा जीनू प्लासां गांव का रहने वाला है और इसकी भी किडनी खराब हो गई है। इस बच्चे ने भी पहले रामनगर में एक दुकान से दवाई खरीदी और फिर ऊधमपुर में एक बाल रोग विशेषज्ञ को दिखाया। इसके बाद बच्चे को पेशाब आना बंद हो गया। बच्चे को पहले कम्यूनिटी हेल्थ सेंटर रामनगर लाया गया। इसके बाद उसे एसएमजीएस अस्पताल जम्मू में भर्ती करवाया गया। दोपहर करीब दो बजे यह बच्चा अस्पताल पहुंचा। उसकी दोनों किडनी काम नहीं कर रही थी। बाद में उसका डायलिसेस हुआ। यह बच्चा बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. संजीव ढींगरा की यूनिट में भर्ती है। डॉ. ढींगरा का कहना है कि बच्चे को पेशाब नहीं आ रहा था। उसका डायलिसेस किया गया है। उसकी हालत में सुधार है। इससे पहले भी एसएमजीएस अस्पताल में दो, पीजीआइ चंडीगढ़ में दो और डीएमसी लुधियाना में दो बच्चे भर्ती हैं। सभी बच्चों की हालत गंभीर बनी हुई है। लगातार बीमार हो रहे बच्चो के कारण इस समय रामनगर में भय का माहौल है। कई लोग डरे हुए हैं और अस्पताल में अपने बच्चों के स्वास्थ्य की जांच करवा रहे हैं। वहीं, स्वास्थ्य विभाग ने भी लोगों को जागरूक करने के लिए अभियान चलाया हुआ है। लोगों से कहा जा रहा है कि अगर किसी बच्चे को बुखार है और उल्टियां आ रही हैं तो तुरंत अस्पताल पहुंच कर इसकी जांच करवाएं ताकि समय पर इलाज हो सके।

बच्चों की मौत की निष्पक्ष जांच हो : हर्षदेव

पैंथर्स पार्टी के चेयरमैन और रामनगर के पूर्व विधायक हर्षदेव सिंह ने रामनगर में बच्चों की मौत के लिए स्वास्थ्य विभाग को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने बच्चों की मौत के लिए जिम्मेदार स्वास्थ्य विभाग व प्रशासनिक अधिकारियों से त्यागपत्र की मांग की। हर्षदेव ने कहा कि अधिकारी उस समय जागे जब दस बच्चों की मौत हो चुकी थी। सिर्फ रामनगर के सीएचसी में ही नहीं बल्कि आसपास के गांवों में भी डॉक्टरों व पैरामेडिकल स्टाफ की कमी है।

कम्यूनिटी हेल्थ सेंटर में नियुक्त किए गए तीन विशेषज्ञ डॉक्टर

स्वास्थ्य विभाग ने रामनगर के कम्यूनिटी हेल्थ सेंटर सहित सभी स्वास्थ्य केंद्रों में डॉक्टरों की कमी का संज्ञान लेते हुए मंगलवार को एक बाल रोग विशेषज्ञ सहित तीन विशेषज्ञ डॉक्टरों को नियुक्त करने के निर्देश दिए। तीनों ही डॉक्टरों ने तत्काल कम्यूनिटी हेल्थ सेंटर में ज्वाइन भी कर लिया। इनमें डॉ. सुभाष चंद्र, डॉ. पवन और डॉ. वरुण शामिल हैं। गौरतलब है कि रामनगर ब्लॉक में डॉक्टरों की कमी का मुद्दा दैनिक जागरण लगातार दो दिनों से उठा रहा था। लोगों ने इसके बाद प्रदर्शन भी किया। मंगलवार को स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग के वित्तीय आयुक्त अटल ढुल्लू के ओएसडी ने रामनगर का दौरा कर तीन डॉक्टरों को नियुक्त करने के निर्देश दिए। उन्होंने आश्वासन दिया कि जल्द ही रिक्त सर्जन के पद को भी भरा जाएगा। इस आदेश के बाद रामनगर के लोगों ने स्वास्थ्य विभाग और दैनिक जागरण का आभार जताया। सिटीजन काउंसिल के चेयरमैन सुभाष कुडियार, काउंसलर संजीव जंडियाल व पूर्व काउंसलर राकेश गुप्ता ने कहा कि रामनगर के लोगों की यह बहुत पुरानी मांग थी। इसे दैनिक जागरण ने सही तरीके से उठाया और स्वास्थ्य विभाग की निदेशक डॉ. रेनू शर्मा ने भी तत्काल कार्रवाई करते हुए डॉक्टरों को नियुक्त किया। उन्होंने उम्मीद जताई कि अस्पताल में सुविधाओं का विस्तार होगा।

दस में से सात बच्चों ने खाई थी एक जैसी दवा

ऊधमपुर, अमित माही। रामनगर में दस बच्चों की मौत कहीं एक जैसी दवा खाने की वजह से तो नहीं हुई है। स्वास्थ्य विभाग इस पहलू के साथ अन्य पहलुओं को लेकर भी जांच कर रहा है। केंद्रीय जांच टीम ने मंगलवार को दूसरे दिन भी रामनगर में प्रदेश की स्वास्थ्य जांच टीम के सहयोग से अपनी जांच को आगे बढ़ाया। रामनगर के दर्जन भर गांवों में अज्ञात रोग की वजह से दस बच्चों की मौत और छह के बीमार होने के मामले की जांच केंद्रीय टीम कर रही है। वह मृतक और बीमार बच्चों के घरों में जाकर परिवार के लोगों से पूछताछ कर जानकारियां एकत्रित कर रही है। टीम ने खून के नमूनों के साथ पानी और दवा के नमूने भी लिए हैं। सभी मरने वाले और बीमार हुए बच्चों के घर आपस में कई किलोमीटर की दूरी पर है। इसके चलते दूषित पानी या खाद्य पदार्थ के कारण संक्रमण के कारण रोग होने की आशंका कम है। जांच में प्रदेश स्वास्थ्य विभाग की टीम ने मरने वाले दस में सात बच्चों में समानता पाई है। वह यह कि इन सभी बच्चों ने एक रजिस्टर्ड मेडिकल प्रेक्टिशनर (आरएमपी) डॉक्टर से दवा ली थी। सातों बच्चे सर्दी, जुकाम और बुखार से पीड़ित होने के बाद इस आरएमपी डॉक्टर के पास आए थे। इसके बाद आरएमपी डॉक्टर ने बच्चों को पैरासिटामोल, एंटीबायोटिक दवा नोवामैक्स और सर्दी व खांसी के लिए कॉसोपिन दवा दी थी।

आरएमपी डॉक्टर से भी जानकारी ली : प्रदेश स्वास्थ्य विभाग ने उक्त मेडिकल प्रेक्टिशनर से मामले में जानकारी लेने के लिए उसे बुलाया। विभिन्न जांच टीमों के आने पर भी आरएमपी डॉक्टर को लगभग रोज ही बुलाया जा रहा है। इतना ही नहीं, ड्रग कंट्रोल से भी जानकारी ली गई। जिसमें ड्रग कंट्रोलर ने भी उसके पंजीकृत मेडिकल प्रेक्टिनशनर होने की बात स्पष्ट की है। बच्चों की मौत की वजह दवा का यह कांबिनेशन ही है, यह स्पष्ट नहीं है। मगर स्वास्थ्य विभाग मरने वाले दस बच्चों में से सात बच्चों के एक जैसी दवा खाने की समानता को लेकर अपनी जांच बढ़ा है। मगर इसके साथ अन्य थ्योरी पर भी जांच कर रहा है ताकि बीमारी का पता लगाया जा सके।

खून, पानी और दवाओं के सैंपल लिए गए हैं। इनको जांच के लिए भेजा जाएगा। केंद्रीय जांच विस्तृत जांच कर रही है, जांच रिपोर्ट आने और जांच पूरी होने के बाद कुछ भी स्पष्ट तौर पर कहा जा सकेगा। मरने वाले दस में सात बच्चों ने एक आरएमपी से एक ही जैसी दवा खाई थी। मगर यह बच्चों की मौत या बीमार होने की वजह है या नहीं, इसे लेकर जांच की जा रही है। अन्य सभी थ्योरियों को लेकर भी जांच की जा रही है। - डॉ. रेणु शर्मा, स्वास्थ्य सेवा निदेशक


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