Jammu Kashmir: सीआरपीएफ के लापता जवान को मृत जान परिजनों को लाभ देने के निर्देश
लापता जवान की पत्नी की ओर से दायर याचिका में कहा गया कि उसके पति आशा राम सीआरपीएफ की 16वीं बटालियन में हैड कांस्टेबल के पद पर तैनात थे। बटालियन बन तालाब जम्मू में तैनात थी और जून 2010 को उसे कंपनी कमांडर का फोन आया
जम्मू, जेएनएफ । हाईकोर्ट ने सात साल से लापता सीआरपीएफ के एक जवान को मृत जानकर सीआरपीएफ अधिकारियों को जवान के परिजनों को नियमानुसार सभी लाभ देने के निर्देश दिए है। सीआरपीएफ ने जवान को भगौड़ा घोषित किया था जिसे हाईकोर्ट ने खारिज करते हुए जवान को मृत मानने का निर्देश दिया।
लापता जवान की पत्नी की ओर से दायर याचिका में कहा गया कि उसके पति आशा राम सीआरपीएफ की 16वीं बटालियन में हैड कांस्टेबल के पद पर तैनात थे। बटालियन बन तालाब जम्मू में तैनात थी और जून 2010 को उसे कंपनी कमांडर का फोन आया जिसमें उन्होंने बताया कि आशा राम सब्जी लेने बाहर गया था लेकिन लौट कर नहीं आया। उन्होंने अपने स्तर पर भी तलाश करने की कोशिश की लेकिन कहीं पता नहीं चला।
सीआरपीएफ ने वेतन भी बंद कर दिया
इसके बाद सीआरपीएफ ने उनके पति का वेतन भी बंद कर दिया जिससे उसके दो बेटों व बेटी का बोझ उस पर आ गया। आशा राम की पत्नी ने कहा कि उनके पति को ढूंढने में सहयोग करने की बजाय सीआरपीएफ की ओर से उन्हें एक पत्र भेजा गया जिसमें कहा गया कि आशा राम अगर ड्यूटी ज्वाइन नहीं करेगा तो उसके खिलाफ वारंट जारी किया जाएगा। इसी के चलते सीआरपीएफ ने आशा राम को भगौड़ा घोषित कर दिया।