भारत की अर्थव्यवस्था में तेजी से हुआ सुधार
केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था में तेजी से सुधार हुआ है। आने वाले दशकों में भी जारी विकास दर कायम रहेगी।
जम्मू, राज्य ब्यूरो। केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था में तेजी से सुधार हुआ है। आने वाले दशकों में भी जारी विकास दर कायम रहेगी। आज पूरे विश्व की नजरें भारत पर टिकी हुई हैं। जिस प्रकार से चीन ने बीते दो दशकों में अपनी विकास दर को कायम रखा। अगले दो या तीन दशकों में भारत भी विकास दर को बरकरार रखने में सक्षम है। भारत अब चीन से आगे निकल चुका है।
केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली जम्मू विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह को संबोधित कर रहे थे। जनरल जोरावर सिंह सभागार में हुए समारोह में जेटली ने कहा कि किसी भी क्षेत्र में शीर्ष पर बहुत जगह है, लेकिन वहां वही काबिज हो सकता है जिसमें क्षमता हो। राज्य के युवा तेजी से बदल रही अर्थव्यवस्था का लाभ उठाकर अपने आपको इन्हीं बुलंदियों को छूने के लिए तैयार करें। जेटली ने आतंकवाद होने के बावजूद शिक्षा के स्तर में लगातार ऊंचाइयां छूने के लिए राज्य की सराहना की। शिक्षा सशक्त हथियार है जो सर्विस सेक्टर के विकास में अहम भूमिका निभा रही है।
जेटली ने कहा कि विश्व की अर्थव्यवस्था में जिस प्रकार से बदलाव आ रहे हैं, भारत के पास बहुत मौके हैं। आज भारत विश्वभर में किसी भी चुनौती से निपटने में अपने निशान छोड़ रहा है। जितने अवसर देश के युवाओं को मिलेंगे और किसी को नहीं होंगे। उन्होंने युवाओं से सिर्फ अपने राज्य में ही नहीं बल्कि देश-विदेश में रोजगार की संभावना तलाशने को कहा। उन्होंने युवाओं से कौशल विकास पर भी जोर दिया। जेटली ने कहा कि अगर आप विश्व और भारत की अर्थव्यवस्था में बदलाव को देखें तो नब्बे के दशक से पहले के उद्योग रेगुलेटरी थे। नब्बे के दशक के बाद बाजार पर निर्भर हैं। जिन्होंने ज्ञान और सृजनता का सही इस्तेमाल किया, वे आने वाले दिनों में और अधिक बढ़ेंगी। वह अक्सर सोचते हैं कि जम्मू कश्मीर में इन सबमें कहां खड़ा है। यहां पर सीमित जननसंख्या, अधिक जगह, खूबसूरत पर्यटक स्थल, बेहतर हैंडीक्रॉफ्ट, कृषि सब कुछ अच्छा है। दुर्भाग्यवश आतंकवाद ने जम्मू-कश्मीर को प्रभावित किया। यहां के फैकल्टी सदस्यों और विद्यार्थियों ने हर बार अच्छा प्रदर्शन किया। उनसे कई बार प्रतिनिधिमंडल मिलते हैं, लेकिन सबसे अधिक यहां के विद्यार्थी प्रभावित करते हैं। उन्होंने कहा कि राज्य में शांति लाना और विकास के पथ पर ले जाना ही अंतिम लक्ष्य है।
इच्छा शक्ति और आलोचना सहने की क्षमता होनी चाहिए---
हरियाली से भरा है विश्वविद्यालयजेटली ने कहा कि बहुत दशकों से इस विश्र्वविद्यालय को देखने का मौका मिला है। बहुत कम विश्वविद्यालय हैं जिन्होंने प्राकृति को इस तरह से अपने कैंपस में कैद किया है। अधिकांश में प्रशासनिक इमारतें और मान्यता प्राप्त कॉलेज फैले हुए हैं। इस प्रकार का वातावरण विद्यार्थियों के व्यक्तित्व को निखारता है। वाइस चांसलर के भाषण को विस्तार से पढ़कर लगा कि जम्मू विश्र्वविद्यालय ने अपने स्तर को किस तरह से बढ़ाया है। अपनी तारीफ तो सभी करते हैं लेकिन जब मान्यता प्राप्त एजेंसियां तारीफ करती है तो अच्छा लगता है।
भाषाओं में रुचि प्रभावित करती है-
जेटली ने कहा कि राज्यपाल और मुख्यमंत्री ने कहा कि छात्राओं ने बहुत अच्छा प्रदर्शन किया है। उन्हें इस बात ने प्रभावित किया कि यहां के विद्यार्थियों ने अपनी भाषाओं को प्राथमिकता दी है। पंजाबी, बुद्धिस्ट स्टडीज, डोगरा, कश्मीरी, पंजाबी में बहुत विद्यार्थियों ने पीएचडी की। यह समाज के लिए बहुत अहम है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी प्रतिस्पर्धा में भाग लेते हैं तो भी यह बहुत काम आती है। अपनी संस्कृति, भाषा बहुत अहम है।
समाज में दें अपना योगदान-
केंद्रीय वित्त मंत्री ने कहा कि डिग्री पास लेने के बाद नया करियर शुरू होता है। विद्यार्थी होने पर आप परिवार के सहारे होते हैं। वे आप पर निवेश करते हैं। यही नहीं सभी विश्वविद्यालय आपके टैक्स से चलते हैं। इसलिए पूरा देश आपको प्रायोजित करता है। यह ऐसा समय है जब युवा अपना भविष्य और मंजिल तय करते हैं। अब आपका दायित्व बनता है कि आप पर जो निवेश हुआ है, अब आप समाज को, देश को वे लौटाएं।
प्रतिस्पर्धा बढ़ी-
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि चुनौती यह है कि चुनौतियां बहुत हैं। प्रतिस्पर्धा बहुत अधिक है। जो अपने करियर को बीच में छोड़ देते हैं, वे पिछड़ जाते हैं। शिक्षा में जाति, परिवार मायने नहीं रखता। उन्होंने कहा कि पहाड़ी और उत्तर पूर्वी राज्यों में कुछ चुनौतियां हैं। कुछ को भौगोलिक नुकसान भी हैं। कई जगहों पर आतंकवाद है। इनमें धार्मिक स्थल, पर्यटक स्थल नहीं बदल सकते। अगर बदल सकते हैं तो इन क्षेत्रों में मिलकर आधारभूत ढांचे को मजबूत बनाना होगा। सरकार यहीं कर रहे हैं। मानव संसाधन में भी कौशल विकास और शिक्षा में निवेश करना होगा। केवल उपेक्षित केंद्रों को ही नहीं बल्कि सभी पर ध्यान देना होगा। सरकार ने राष्ट्रीय स्तर के संस्थान यहां बनाएं हैं। अब यह किस प्रकार से युवाओं को इनमें बेहतर तैयार करते हैं।