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पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर पहुंचा भारतीय सेना का मददगार आइपीएमवी, पढ़ें-क्यों इसकी खूबियां जान चीन भी हुआ परेशान

भारत में ही निर्मित आइपीएमवी एक एटीवी (आल टेरेन व्हिकल) है जिसे जोकि छोटे पहाड़ों टीलों पथरीले रास्तों रेतीले इलाकों में इस्तेमाल किया जा सकता है। इसे प्रतिरक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने टाटा समूह के साथ मिलकर विकसित किया है।

By Vikas AbrolEdited By: Published: Sat, 25 Jun 2022 10:30 AM (IST)Updated: Sat, 25 Jun 2022 11:00 AM (IST)
पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर पहुंचा भारतीय सेना का मददगार आइपीएमवी, पढ़ें-क्यों इसकी खूबियां जान चीन भी हुआ परेशान
आइपीएमवी एक आल टेरेन व्हिकल है, जोकि छोटे पहाड़ों, टीलों, पथरीले रास्तों, रेतीले इलाकों में इस्तेमाल किया जा सकता है।

श्रीनगर, राज्य ब्यूरो : पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के अग्रिम और दुर्गम इलाकों में अब भारतीय जवानों की पहुंच और अधिक आसान हो गई है। सेना आवाजाही को आसान बनाने और मारक क्षमता को धार देने के लिए इनफैंट्री प्रोटेक्टिड मोबिलिटी व्हिकल्स (आइपीएमवी) आ चुका है। यह अग्रिम इलाकों में सैन्य गश्ती दलों का एक स्थायी साथी रहेगा। पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ भारत का सैन्य तनाव बीते दो वर्ष से जारी है। यह वाहन भारतीय सेना को और मजबूती देगा।

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भारत में ही निर्मित आइपीएमवी एक एटीवी (आल टेरेन व्हिकल) है, जिसे जोकि छोटे पहाड़ों, टीलों, पथरीले रास्तों, रेतीले इलाकों में इस्तेमाल किया जा सकता है। इसे प्रतिरक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने टाटा समूह के साथ मिलकर विकसित किया है। सेना की उत्तरी कमान के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने इसे विधिवत रूप से थलसेना में शामिल किया है। उन्होंने खुद इस वाहन को चलाया और परखा है। उन्होंने कहा कि यह वाहन लद्दाख में हमारे जवानों के लिए बहुत मददगार साबित होगा। कई इलाकों में हमारे जवानों को पैदल ही गश्त करने जाना पड़ता है और इसमे समय लगता है। आइपीएमवी की मदद से वह अब दिनों की दूरी चंद घंटों में पूरी करेंगे। यह वाहन लद्दाख के अग्रिम इलाकों की भौगोलिक परिस्थितियों के अनुकूल हैं।

छत पर हथियार लगाकर दुश्मन पर सटीक वार भी

आइपीएमवी की छत पर हथियार भी लगाए जा सकते हैं, जिन्हें वाहन के भीतर बैठा जवान आसानी से संचालित करते हुए दुश्मन पर सटीक प्रहार कर सकता है। इन वाहनों का चालक करीब 1800 मीटर की दूरी पर होने वाली किसी भी हरकत को देख सकता है। यह वाहन इसी वर्ष अप्रैल में सेना को उपलब्ध कराए गए हैं। इन्हें सेना में शामिल करने से पहले लद्दाख के पर्वतीय इलाकों में गहन परीक्षण हुआ है।

सीमा पर हर इलाके में पहुंच आसान होगी

लद्दाख में सेवाएं दे चुके कर्नल रैंक के एक अधिकारी ने बताया कि वास्तविक नियंत्रण रेखा पर कई इलाकों में पहुंचने के लिए हमारे गश्ती दलों को तीन से चार दिन का समय लगता रहा है, क्योंकि स्थानीय भौगोलिक परिस्थितियों के अनुकूल हमारे पास वाहन नहीं थे जबकि चीनी सैनिक आसानी से एलएसी पर पहुंच जाते रहे हैं और इसका कई बार उन्होंने फायदा उठाने की कोशिश की है। आइपीएमबी की उपलब्धता से एएलसी के हर इलाके में हमारे त्वरित पहुंच आसान हो गई है। इसके अलावा इन वाहनों का इस्तेमाल कुछ खास हथियारों के साथ भी हो सकता है जो एक तरह से सोने पर सुहागा है।

लद्दाख में सेना की आपरेशन तैयारियां जांचीं

लेफ्टिनेंट जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने शुक्रवार को पूर्वी लद्दाख में अग्रिम इलाकों में सेना की आपरेशनल तैयारियों का जायजा लिया। वह लद्दाख के चार दिवसीय दौरे पर हैं। उन्होंने फील्ड कमांडरों के साथ भी बैठक की और किसी भी स्थिति से निपटने की तैयारियों का जायजा लिया। उन्होंने चीन के मंसूबों को नाकाम बनाने के लिए अपनाई गई रणनीति में आवश्यक सुधार के निर्देश भी दिए। उन्होंने सेना में शामिल किए जा रहे हथियारों का निरीक्षण भी किया। उन्होंने वर्ष 1962 के भारत-चीन युद्ध में भाग ले चुके 84 वर्षीय सैन्य कुली त्सेतन नामग्याल को सम्मानित भी किया।


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