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Army in Kashmir: कश्मीर से आतंकवाद को खत्म करने के साथ यहां के बच्चों का भविष्य भी संवार रही सेना

Army Free Tuition Classes in Kashmir इन ट्यूशन सेंटर में पढ़ाने वाले अध्यापक स्थानीय ही हैं। अंग्रेजी सामाजिक विज्ञान गणित विज्ञान उर्दू सहित अन्य विषयों में विशाल अनुभव रखने वाले पांच स्थानीय शिक्षकों को इन बच्चों को पढ़ाने के लिए चुना गया है।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Fri, 08 Jan 2021 08:08 AM (IST)Updated: Fri, 08 Jan 2021 10:06 AM (IST)
Army in Kashmir: कश्मीर से आतंकवाद को खत्म करने के साथ यहां के बच्चों का भविष्य भी संवार रही सेना
बच्चों को बोर्ड परीक्षाओं के लिए भी तैयार किया जा रहा है।

श्रीनगर, जेएनएन। श्रीनगर के बाहरी क्षेत्र लावेपोरा में गत माह मुठभेड़ में तीन आतंकियों को मार गिराने वाली सेना की छवि को खराब करने के लिए इस समय राष्ट्र विरोधी तत्व जीतोड़ प्रयास कर रहे हैं। यही नहीं स्थानीय लोगों का समर्थन पाने का हर दम अवसर ढूंढने वाले कश्मीर केंद्रित दल भी इसको तूल देते नजर आ रहे हैं। वहीं इन झूठे आरोपों की परवाह न करते हुए कश्मीर में आतंकवाद के खिलाफ अपनी लड़ाई जारी रखते हुए सेना यहां के बच्चों का भविष्य संवारने में लगी हुई है।

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उत्तरी कश्मीर के जिला बारामूला में जरूरतमंद छात्रों के लिए सेना मुफ्त ट्यूशन सेंटर शुरू किया है। गरीबी रेखा से नीचे वाले परिवारों के मेधावी बच्चों के लिए सेना ने सोपोर के तारजू क्षेत्र में यह मुफ्त कक्षाएं सरकारी मिडिल स्कूल में शुरू की हैं। सोपोर के आस-पास के गांवों से करीब 50 बच्चे जिनमें 30 लड़कियां और 20 लड़के शामिल हैं, इस ट्यूशन सेंटर में पहुंच रहे हैं। इस ट्यूशन सेंटर में नौवीं से लेकर बारहवीं तक के बच्चों को पढ़ाया जा रहा है। 

नौवीं कक्षा की छात्रा नेलोफर रशीद ने कहा कि कोविड-19 महामारी के बाद से स्कूलों में पढ़ाई बंद होने के कारण उनकी पढ़ाई काफी प्रभावित हो रही थी। "हम सेना के शुक्रगुजार हैं कि उन्होंने हमें मुफ्त ट्यूशन प्रदान की। उन्होंने कहा कि सेना के इस ट्यूशन सेंटर में उन्हें नौंवी कक्षा की अधूरी रह गई पढ़ाई को पूरा करने के साथ-साथ बोर्ड परीक्षाओं के लिए भी तैयार किया जा रहा है।

यह पहल हैदरबेग सेक्टर में स्थित अपलोना राइफल्स बटालियन के निंग्ली आर्मी कैंप द्वारा की गई है। सैन्य अधिकारी ने बताया कि इस ट्यूशन सेंटर में पढ़ाने वाले अध्यापक स्थानीय ही हैं। अंग्रेजी, सामाजिक विज्ञान, गणित, विज्ञान, उर्दू सहित अन्य विषयों में विशाल अनुभव रखने वाले पांच स्थानीय शिक्षकों को इन बच्चों को पढ़ाने के लिए चुना गया है। हिलाल अहमद ने कहा, "मैं यहां उर्दू पढ़ा रहा हूं, यहां पढ़ने के लिए उन्हें किसी तरह की फीस नहीं देनी पड़ती। 

कोचिंग के दौरान बच्चों की समय-समय पर परीक्षाएं भी ली जाएंगी। यही नहीं कोर्स पूरा होने पर फाइनल टेस्ट लिए जाएंगे। सेंटर में आने वाले सभी बच्चों को सेना की ओर से मुफ्त स्टेशनरी भी प्रदान की जा रही है। कोरोना को लेकर जरूरी निशा-निर्देशों का भी यहां सख्ती से पालन किया जा रहा है। रोजाना तापमान की जांच की जाती है, फेस मॉस्क की व्यवस्था, हैंड सैनिटाइजर भी उपलब्ध करवाए गए हैं।

यही नहीं कक्षा आरंभ होने से पहले पूरी कक्षा को भी अच्छी तरह से सैनिटाइज किया जाता है। स्थानीय लोगों ने सेना के इस कदम की सराहना करते हुए कहा कि इन निशुल्क ट्यूशन सेंटर की वजह से क्षेत्र के गरीब व जरूरतमंद बच्चों को काफी लाभ पहुंच रहा है। इनमें अधिकतर ऐसे बच्चे हैं जो पढ़ाई में बहुत अच्छे हैं परंतु आर्थिक तंगी की वजह से उन्हें पढ़ाई जारी रखने में बाधा आ रही थी। सेना ने न सिर्फ उनके भविष्य को अंधकार में डूबने से बचाया है बल्कि उन्हें जीवन में सफलता की ओर बढ़ने का मौका प्रदान किया है।

वहीं सैन्य अधिकारी ने कहा कि कश्मीर में अशांति फैलाने वाले राष्ट्र विरोधी तत्वों के खिलाफ उनकी जंग जारी है परंतु इसके बीच वे सेना और आम लोगों के बीच के रिश्ते को मजबूत बनाने के लिए समय-समय पर ऐसे कदम उठाते रहते हैं। उन्होंने कहा कि लोगों के हित में किए गए इन कार्यों की वजह से सेना और आम लोगों के संबंध मजबूत हुए हैं। उनका प्रयास रहेगा कि वह आगे भी इसी तरह स्थानीय लोगों की मदद करते रहें।

उन्होंने कहा कि ट्यूशन कक्षाएं आयोजित करने का उद्देश्य घाटी के दूरदराज इलाकों में रहने वाले बच्चे जो ऑनलाइन कक्षाओं का लाभ नहीं उठा पाते हैं, उनकी पढ़ाई में बाधा न आए। इन कक्षाओं के आयोजन से उन्हें काफी लाभ पहुंचा है।

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