सामने चीन हो या पाकिस्तान, हाई है भारतीय सेना का जोश
Indian Army थलसेना प्रमुख जनरल एमएम नरवाने ने लद्दाख के दौरे कर सुनिश्चित किया है कि युद्ध थोपे जाने की स्थिति में इस बार चीन को कभी न भूलने वाला सबक सिखाया जाएगा।
विवेक सिंह, जम्मू। Indian Army: भारतीय सेना का जोश हाई है। अब सामने चाहे चालबाज चीन हो या मक्कार पाकिस्तान। या फिर दोनों। उत्तरी कमान के क्षेत्राधिकार में आने वाले जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी), नियंत्रण रेखा (एलओसी) और अंतरराष्ट्रीय सीमा (आइबी) पर दोनों दुश्मन देशों की नापाक हरकतों से एक साथ निपटने के लिए भारत ने भी पक्की तैयारी कर ली है। थलसेना प्रमुख जनरल एमएम नरवाने के सरहद पर लगातार दौरे सेना की तैयारियों को धार दे रहे हैं। यही वजह है कि जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में सेना की उत्तरी कमान की चार और पश्चिम कमान की एक कोर हाई अलर्ट पर है। पूर्वी लद्दाख के गलवन में चीन से हिंसक झड़प के बाद जनरल नरवाने ने पाकिस्तान व चीन से लगते इलाकों के तीन महीने में छह दौरे (लद्दाख के चार व जम्मू कश्मीर के दो) कर सेना को ऑपरेशनल मोड पर रखा है। सेनाध्यक्ष स्पष्ट कर चुके हैं कि सेना आरपार की लड़ाई लड़ने को तैयार है।
युद्ध थोपा तो चीन को देंगे न भूलने वाला सबक
जनरल नरवाने ने लद्दाख के दौरे कर सुनिश्चित किया है कि युद्ध थोपे जाने की स्थिति में इस बार चीन को कभी न भूलने वाला सबक सिखाया जाएगा। वहीं, दूसरी ओर सेनाध्यक्ष ने पाकिस्तान से लगते इलाकों में भी सेना को मजबूत बनाने के लिए अभियान जारी रखा है। नियंत्रण रेखा से सटे इलाकों में सेना की तैनाती व बेड़े में आधुनिक हथियार शामिल किए गए हैं।
उत्तरी कमान के पास है अधिकतर क्षेत्र की सुरक्षा का जिम्मा
जम्मू संभाग में कठुआ से लेकर अखनूर की चिनाब नदी तक 192 किलोमीटर आइबी की सुरक्षा सेना की पश्चिमी कमान की रायजिंग स्टार कोर के पास है। अखनूर में चिनाब नदी के पार से पुंछ में नियंत्रण रेखा की सुरक्षा सेना की उत्तरी कमान की सोलह कोर के पास है। कश्मीर में नियंत्रण रेखा की सुरक्षा उत्तरी कमान की 15 कोर व पश्चिमी लद्दाख के सियाचिन तक नियंत्रण रेखा व इससे आगे पूर्वी लद्दाख में चीन से लगती वास्तविक नियंत्रण रेखा की सुरक्षा का जिम्मा सेना की उत्तरी कमान की 14 कोर के पास है।
आर्मी चीफ के लगातार दौरे बढ़ाते हैं जवानों का हौसला
सेवानिवृत मेजर जनरल गोवर्धन सिंह जम्वाल का कहना है कि पाकिस्तान और चीन शांति नहीं चाहते। ऐसे में जम्मू-कश्मीर व लद्दाख में हर मोर्चे पर सेना का युद्ध की चुनौती का सामना करने के लिए तैयार रहना जरूरी है। चीन से युद्ध के हालात बने तो पाकिस्तान भी मौके का फायदा लेगा। ऐसे हालात में इन दोनों देशों को अपनी हद में रहने का स्पष्ट संकेत दिया जा रहा है। आर्मी चीफ के लगातार दौरे करने से जवानों का हौसला और भावी चुनौतियों का सामना करने के लिए सेना की सर्तकता का स्तर बढ़ता है।