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अंतरराष्ट्रीय अंगदान दिवस: जम्मू कश्मीर अंगदान में सबसे पीछे, इक्का-दुक्का लोगों ने ही अब तक किया देहदान Jammu News

राजकीय मेडिकल कॉलेज अस्पताल जम्मू में नेफरोलॉजी विभाग के पूर्व एचओडी डॉ. एसके बाली का कहना है कि अंगदान के लिए लोग तब आगे आते जब यहां अंग प्रत्यारोपण के लिए सुविधा शुरू होती।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Tue, 13 Aug 2019 11:51 AM (IST)Updated: Tue, 13 Aug 2019 11:51 AM (IST)
अंतरराष्ट्रीय अंगदान दिवस: जम्मू कश्मीर अंगदान में सबसे पीछे, इक्का-दुक्का लोगों ने ही अब तक किया देहदान Jammu News

जम्मू, रोहित जंडियाल। अंगदान से बड़ा कोई दान नहीं, लेकिन सुविधाओं और जागरूकता के अभाव में जम्मू कश्मीर पीछे रह गया। धारा 370 के कारण जम्मू कश्मीर में नेशनल ट्रांसप्लांट ऑफ ह्यूमन आर्गेन एंड टिश्यू एक्ट लागू नहीं हो सका, जिससे अंगदान करने के लिए किसी ने अभियान नहीं चलाया। इक्का-दुक्का लोगों ने मेडिकल के विद्यार्थियों के लिए अपनी देह दान कर मिसाल जरूर कायम की।

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जम्मू कश्मीर में पहले आर्गन ट्रांसप्लांट के लिए एक्ट ही नहीं था, जिससे कोई चाहकर भी अंगदान नहीं कर सकता था। वर्ष 1997 में पहली बार अंग प्रत्यारोपण के लिए आर्गेन ट्रांसप्लांट एक्ट बना, लेकिन इसमें कार्निया ट्रांसप्लांट का जिक्र नहीं था। विवाद उत्पन्न हुआ कि कार्निया आर्गन नहीं टिश्यू है, जिस कारण कई सुविधाएं शुरू नहीं हो पाई।

लगभग 22 साल बाद स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग ने जम्मू कश्मीर में अंग प्रत्यारोपण के लिए इसी साल मई में जम्मू एंड कश्मीर ट्रांसप्लांट ऑफ ह्यूमन आर्गेन एंड टिश्यू एक्ट 1997 के एसआरओ 311 को जारी किया। यह केंद्र के एक्ट की तर्ज पर ही था। इससे जम्मू कश्मीर में अंग प्रत्यारोपण की सुविधा की उम्मीद बंधी, लेकिन अभी भी यह सुविधा जम्मू संभाग में शुरू नहीं हो पाई है। यहां पर लोग अंगदान के लिए आगे नहीं आते हैं। सरकारी स्तर पर कभी भी लोगों को अंगदान के लिए जागरूक नहीं किया गया। राजकीय मेडिकल कॉलेज अस्पताल जम्मू में नेफरोलॉजी विभाग के पूर्व एचओडी डॉ. एसके बाली का कहना है कि अंगदान के लिए लोग तब आगे आते, जब यहां अंग प्रत्यारोपण के लिए सुविधा शुरू होती। कुछ लोगों ने अंगदान की इच्छा जताई थी, लेकिन सुविधा न होने के कारण इसे पूरा नहीं किया जा सका।

लीवर ट्रांसप्लांट की सुविधा नहीं

राज्य में लीवर ट्रांसप्लांट की सुविधा स्किम्स में शुरू करने के लिए पांच साल पहले प्रक्रिया शुरू हुई थी, लेकिन अभी तक सफलता नहीं मिली है। अगर कोई लीवर ट्रांसप्लांट करवाना चाहता है तो उसे निजी अस्पताल में ही जाना पड़ता है, लेकिन वहां भारी भरकम खर्च के कारण जरूरतमंद लीवर ट्रांसप्लांट नहीं करवा पाते हैं।

कार्निया ट्रांसप्लांट की सुविधा

जम्मू में कार्निया ट्रांसप्लांट की सुविधा भी करीब एक साल पहले ही शुरू हुई। यहां पर कोई भी आई बैंक न होने के कारण कार्निया ट्रांसप्लांट नहीं होता था, लेकिन पिछले महीने यहां आई बैंक स्थापित होने के कारण मेडिकल कॉलेज अस्पताल में कार्निया ट्रांसप्लांट की उम्मीद बंधी है। कार्निया दान करने के लिए अभी तक सुविधा शुरू नहीं हो पाई है। कुछ लोगों के कार्निया ट्रांसप्लांट कर उन्हें फिर से जिंदगी के रंग देखने योग्य जरूर बनाया गया है।

किडनी ट्रांसप्लांट की सुविधा नहीं

जम्मू कश्मीर में सिर्फ श्रीनगर के शेर-ए-कश्मीर इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेस में अंग प्रत्यारोपण की सुविधा है। इस संस्थान में किडनी ट्रांसप्लांट की सुविधा वर्ष 1999 में शुरू हुई थी। स्किम्स में यूरोलॉजी और किडनी ट्रांसप्लांट यूनिट के प्रमुख डॉ. सलीम वानी के अनुसार संस्थान में ढाई सौ से अधिक किडनी ट्रांसप्लांट हो चुके हैं। जम्मू में यह सुविधा नहीं है। यहां सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में सुविधा शुरू करने के लिए कमेटी तो गठित हुई।

जम्मू में एक साल में दो लोगों ने की देहदान

जम्मू में एक साल में दो लोगों ने अपनी देह जरूर दान की है, लेकिन यह मेडिकल के विद्यार्थियों की पढ़ाई के लिए थी। इनमें एक निजी स्कूल के प्रिंसिपल तो दूसरे वरिष्ठ पत्रकार थे। 

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