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Jammu Coronavirus Effect: लॉकर में लॉक अस्थियां, मुक्ति का ‘मार्ग’ बंद

बिश्नाह के वार्ड नंबर चार के एडवोकेट सुमित शर्मा ने भी कहा कि उनकी भी माता जी का आकस्मिक निधन हो गया था। उनकी अस्थियां अभी तक गंगा में प्रभावित नहीं कर पाया।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Mon, 01 Jun 2020 02:07 PM (IST)Updated: Mon, 01 Jun 2020 02:07 PM (IST)
Jammu Coronavirus Effect: लॉकर में लॉक अस्थियां, मुक्ति का ‘मार्ग’ बंद
Jammu Coronavirus Effect: लॉकर में लॉक अस्थियां, मुक्ति का ‘मार्ग’ बंद

बिश्नाह, सतीश शर्मा। कोरोना सिर्फ जीवित लोगों के लिए बड़ा संकट नहीं है, यह मृत आत्माओं की मुक्ति का मार्ग भी जैसे रोक रखा है। दो महीने के दौरान जितने लोगों की मौत हुई हैं, उनमें से किसी की अस्थियों को गंगा में प्रवाहित नहीं किया जा सका है। किन्हीं की अस्थियां श्मशानघाट के लॉकर में लॉक हैं तो किसी की अस्थियां लोग अपने आंगन में लटका कर रखे हुए हैं। परिवार वाले यह सोच कर बेचैन हो उठते हैं कि आखिर कब तक वे परिवार के मृत आत्माओं के लिए मुक्ति का मार्ग खुलेगा और वह अपने दायित्व का निर्वहन कर पाएंगे।

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हिन्दू धर्म में मान्यता है कि जब तक मृतकों की अस्थियों को गंगा में प्रवाहित नहीं किया जाता, तब तक उन्हें मुक्ति नहीं मिलती है। जम्मू कश्मीर के लोग अस्थियों का विसर्जन करते के लिए हरिद्वार जाते हैं। वहां जाने के लिए एक मात्र हेमकुंठ ट्रेन है और बसें हैं। लॉकडाउन के साथ ही ये सेवाएं बंद हो गई। मजबूरन किसी मृतात्माओं की अस्थ्यिों को प्रभावित नहीं किया जा सका। हर लोग अपने-अपने तरीके से अस्थियों को कलश में सुरक्षित रखे हुए हैं।

आंगन में लटकी अस्थियां बेचैन करती हैंः बिश्नाह के वार्ड नंबर चार के एडवोकेट सुमित शर्मा ने भी कहा कि उनकी भी माता जी का आकस्मिक निधन हो गया था। उनकी अस्थियां अभी तक गंगा में प्रभावित नहीं कर पाया। बस यही सोच कर बेचैन हो जाते हैं कि आखिर कब वह पुत्र धर्म निभा पाएंगे। उन्होंने कहा कि जब भी वह बेडरूम से बाहर जाते हैं तो मुख्य द्वार पर लटकी माताजी की अस्थियां अक्सर जैसे सवाल करती हैं कि बेटा मुङो मां गंगा के चरणों में कब समर्पित करोगे। उन्होंने कहा कि उनकी तरह ऐसे कई लोग हैं जो अपने परिवार के मृतकों की अस्थियां प्रवाहित करने के लिए बेचैन हैं। प्रशासन या सरकार को सोचना चाहिए ताकि आत्मा को शांति मिल सकेगी।

..बस मां की आखिरी इच्छा जल्दी पूरी हो जाएः दैनिक जागरण से बातचीत में अंकुश भारद्वाज ने कहा कि उनकी मां सुनीता देवी की मृत्यु दो महीने पहले हुई थी। क्रियाकर्म तो पूरी निष्ठा और रीति-रिवाज से कर दी। पर उनकी अस्थियां अभी तक श्मशान घाट के लॉकर में रखी हुई हैं। इंतजार है कि हरिद्वार जाने के लिए कोई साधन खुले। मां की तमन्ना पूरी हो जाए। उनकी इच्छा थी कि उनकी अस्थियों को गंगा में प्रवाहित किया जाए। इसलिए प्रशासन से अपील है कि जिस तरह से श्रमिकों और विद्यार्थियों को दूसरे राज्यों से लाने के लिए बस सेवा और रेल सेवा शुरू की गई, उसी तरह अस्थियां विसर्जन की भी व्यवस्था भी की जाए।


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