Lumpy Skin disease : लंपी बीमारी फैलने के बाद जम्मू जिले में 40 मवेशियों की मौत, 2500 मवेशी लंपी स्किन डिसीज की चपेट में
डेयरी चलाने वाले कुलभूषण खजुरिया ने कहा कि केंद्र सरकार को इस बीमारी को फैलने से रोकने के लिए युद्धस्तर पर काम करना होगा। गांव-गांव में सफाई अभियान भी चलाने की जरूरत है ताकि मक्खी-मच्छर नहीं पनपने पाएं क्योंकि यही लंपी के वायरस को फैलाने में वाहक बनते हैं।
जम्मू, जागरण संवाददाता : जम्मू कश्मीर में लंपी स्किन डिसीज (एलएसडी) फैलने के बाद से अब तक 40 मवेशियों की मौत हो चुकी है। हालांकि ये सभी मौतें लंबी वायरस के संक्रमण से ही हुई हैं, यह स्पष्ट नहीं है। बहरहाल, मवेशियों के लगातार बीमार होने के मामले अब भी सामने आ रहे हैं।
अब तक इसे रोकने के लिए सरकार की तरफ से टीकाकरण भी नहीं शुरू किया गया है। ऐसे में पशुपालक डरे हुए हैं। यह बीमारी सबसे ज्यादा दुधारू गायों में हो रही है। भैंसों में भी इसके लक्षण मिले हैं। यदि इसे जल्द नियंत्रित नहीं किया गया तो इसकी वजह से किसानों की आय पर असर पड़ सकता है, क्योंकि पशुपालकों का परिवार दुग्ध उत्पादन से होने वाली कमाई पर ही निर्भर है।
जम्मू के मुख्य पशुपालन अधिकारी सईद अल्ताफ ने बताया कि जब से लंपी बीमारी आई है, तब से जिले में 40 मवेशियों की जान जा चुकी है। हालांकि इसमें कुछ मामले प्राकृतिक मौत के भी हो सकते हैं। ऐसा अनुमान है कि अब तक जम्मू जिले में 2500 मवेशी लंपी स्किन डिसीज की चपेट में आए हैं, जिनमें से 1000 ठीक भी हो चुके हैं।
पशुपालन विभाग की तरफ से जिले से 30 सैंपल उठाए गए थे, जिनमें से दो ही पाजिटव आए हैं। विभाग की तरफ से ज्यादा से ज्यादा सैंपल एकत्र करने और हालात पर नजर रखने के लिए विभिन्न टीमों का गठन किया गया है। ये टीमें लंपी बीमारी के बारे में किसानों को जागरूक कर रही हैं। अल्ताफ ने कहा कि पशुपालकों को घबराने की जरूरत नहीं है। बीमारी से बचाव के लिए केंद्र सरकार की गाइडलाइन का पालन करना चाहिए।
पशुपालन विभाग ने बनाई टास्क फोर्स, गांव-गांव पहुंच रहे पशु चिकित्सक : लंपी बीमारी फैलने के बाद पशुपालन विभाग सक्रिय हो गया है। विभाग की तरफ से टास्क फोर्स का गठन कर हालात पर नजर रखी जा रही है। पशु चिकित्सक गांव-गांव पहुंचकर किसानों को इस बीमारी के बारे में जागरूक कर रहे हैं। भारत में नवंबर 2019 में पहली बार उड़ीसा में नौ मवेशियों में इस बीमारी के वायरस पाए गए थे। उसके बाद यह तेजी से फैलती जा रही है। इसके बावजूद अब तक इस बीमारी को रोकने के लिए बड़े स्तर पर टीकाकरण अभियान नहीं शुरू हो पाया है। यह बीमारी जम्मू-कश्मीर के आरएसपुरा, मढ़, कठुआ, अखनूर, ज्यौडिय़ां, खौड़ के अलावा सांबा, कठुआ, ऊधमपुर आदि जिलों में फैल चुकी है।
जल्द निश्शुल्क टीकाकरण शुरू करवाए सरकार : डेयरी चलाने वाले कुलभूषण खजुरिया ने कहा कि केंद्र सरकार को इस बीमारी को फैलने से रोकने के लिए युद्धस्तर पर काम करना होगा। गांव-गांव में सफाई अभियान भी चलाने की जरूरत है, ताकि मक्खी-मच्छर नहीं पनपने पाएं, क्योंकि यही लंपी के वायरस को फैलाने में वाहक बनते हैं। खजूरिया ने कहा कि केंद्र सरकार को सभी मवेशियों का निश्शुल्क टीकाकरण करवाना चाहिए। यह जितनी जल्दी होगा, उतनी जल्दी बीमारी को रोका जा सकेगा।
बीमारी से लड़ेगा लंपी प्रो वैक टीका : लंपी स्किन डिसीज से बचाव के लिए देश में टीका तैयार हो गया है, लेकिन अब तक व्यापक स्तर पर टीकाकरण नहीं शुरू किया गया है। स्कास्ट के वरिष्ठ पशु चिकित्सक डा. नीलेश शर्मा ने बताया कि यह टीका संक्रमित मवेशी में मौजूद वायरस से ही तैयार किया गया है। इंडियन सेंटर फार वेटनेरी टाइप कल्चर (आइसीवीटीसी) और इंडियन वेटनेरी रिसर्च इंस्टीटयूट (आइवीआरआइ) ने इस टीके को बनाया है। यह टीका संक्रमण के प्रति मवेशी की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाएगा।
बीमारी के लक्षण
- जानवर के शरीर पर फोड़े बन जाते हैं और उसे तेज बुखार रहता है।
- चारा खाना बंद करने से मवेशी तेजी से कमजोर होने लगता है।
- दुधारू जानवर दूध देना कम कर देते हैं।
- बीमारी बढऩे पर मवेशी की जान भी जा सकती है।
- यह जानकारी मिली है कि लंपी बीमारी को रोकने के लिए देश में टीका बना लिया गया है, लेकिन इसको लेकर अब तक केंद्र सरकार की तरफ से हमारे पास कोई गाइडलाइन नहीं आई है। जब तक सरकार टीके को मान्यता नहीं देगी और इस संबंध में गाइडलाइन नहीं जारी करती, तक तक हम इसे नहीं मंगवा सकते हैं। इसलिए फिलहाल पशुपालकों को अभी इंतजार करना होगा। -कृष्णलाल शर्मा, निदेशक, पशुपालन विभाग, जम्मू
दूध को अच्छी तरह उबाल कर ही पीयें : मवेशियों में लंपी स्किन डिसीज (एलएसडी) के मामले सामने आने के बाद लोग संक्रमित मवेशी का दूध पीने से डरने लगे हैं। आमतौर पर भी लोग आशंकित रहते हैं कि जो दूध वे ग्वाले से ले रहे हैं, कहीं उसमें लंपी वायरस तो नहीं है। इस संबंध में शेर-ए-कश्मीर यूनिवर्सिटी आफ एग्रीकल्चर साइंसेज एंड टेक्नोलाजी (स्कास्ट) जम्मू के वरिष्ठ पशु चिकित्सक डा. नीलेश शर्मा ने बताया कि अब तक कोई भी ऐसा मामला सामने नहीं आया है, जिससे पता चले कि यह बीमारी मवेशियों से इंसानों में गई हो। फिलहाल एहतियात के तौर पर दूध को अच्छी तरह से उबाल कर ही पीना चाहिए। वैसे भी घरों में दूध को उबाल कर ही लोग पीते हैं। इसलिए डरने की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि पशुपालकों को यदि किसी मवेशी में संक्रमण दिखता है तो उसे तुरंत दूसरे मवेशियों से अलग कर देना चाहिए। उसका चारा और पानी सब अलग करना चाहिए, ताकि अन्य मवेशी इसकी चपेट में नहीं आने पाएं।