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New Industrial Policy J&K : जम्मू में 300 औद्योगिक इकाइयों के अस्तित्व पर संकट, उद्यमियों की भी मोटी रकम फंसी

New Industrial Policy in Jammu Kashmir उद्योग नीति के अनुसार जम्मू-कश्मीर के निवेश के प्रस्ताव को सरकार द्वारा मंजूरी मिलने के बाद सिडको या सिकाप उद्योग के लिए जमीन आवंटित करते हैं। जमीन आवंटन के बाद इन इकाइयों का अस्थायी पंजीकरण किया जाता है।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Wed, 03 Nov 2021 09:38 AM (IST)Updated: Wed, 03 Nov 2021 09:38 AM (IST)
New Industrial Policy J&K : जम्मू में 300 औद्योगिक इकाइयों के अस्तित्व पर संकट, उद्यमियों की भी मोटी रकम फंसी
यह कमेटी शीर्ष कमेटी की अगली बैठक से पूर्व रिपोर्ट पेश करेगी।

जम्मू, ललित कुमार : जम्मू कश्मीर के जम्मू, सांबा व कठुआ में स्थापित करीब 300 औद्योगिक इकाइयों के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है। इन औद्योगिक इकाइयों को जम्मू कश्मीर के पुनर्गठन से पूर्व लघु उद्योग विकास निगम (सिडको) और लघुस्तरीय उद्योग निगम (सिकाप) ने ही जमीन आवंटित की थी। कुछ ने इस पर निर्माण कर लिया और कुछ ने मशीनें भी लगा ली पर जम्मू कश्मीर के पुनर्गठन के बाद पैदा हुए हालात और कोरोना संक्रमण के कारण उत्पादन शुरू नहीं कर पाए। उत्पादन में देरी की वजह से उनका स्थायी पंजीकरण नहीं हो पा रहा।

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इस कारण एक ओर जहां करोड़ों का निवेश अटका है, वहीं उद्योगपतियों के भी सैकड़ों करोड़ फंस गए हैं। इनमें से अधिकतर औद्योगिक इकाइयां ऐसी हैैं, जिन्होंने इस वर्ष घोषित जम्मू-कश्मीर उद्योग नीति से पूर्व अस्थायी पंजीकरण करवाया था।

उद्योग नीति के अनुसार जम्मू-कश्मीर के निवेश के प्रस्ताव को सरकार द्वारा मंजूरी मिलने के बाद सिडको या सिकाप उद्योग के लिए जमीन आवंटित करते हैं। जमीन आवंटन के बाद इन इकाइयों का अस्थायी पंजीकरण किया जाता है। इस पंजीकरण के ढाई साल के भीतर उद्योगों को उत्पादन शुरू करना होता है। इसमें एक बार ही छह माह की अतिरिक्त मोहलत मिल सकती है। उत्पादन शुरू होने के बाद यह इकाइयां स्थायी पंजीकरण के लिए दावा करती हैं और उसके बाद ही केंद्र व प्रदेश सरकार की ओर से मिलने वाली रियायतों का लाभ मिल सकता है। बहुत सी इकाइयां कोरोना और जम्मू कश्मीर पुनर्गठन के बाद पैदा हुए हालात के चलते उत्पादन शुरू नहीं कर पाईं। इस कारण उनका स्थायी पंजीकरण लटक गया है।

शीर्ष कमेटी के पास है अधिकार: तीन साल के बाद अस्थायी पंजीकरण के नवीकरण का अधिकार मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली शीर्ष (एपेक्स) कमेटी के पास ही है। पिछले छह माह में इस कमेटी की दो बार बैठक हुई और उसमें इन इकाइयों के अस्थायी पंजीकरण के नवीकरण का मुद्दा आया भी, पर कोई निर्णय नहीं हो सका।

प्रदेश सरकार ने गठित की कमेटी : इन लंबित मामलों की समीक्षा व सुझाव देने के लिए उद्योग एवं वाणिज्य विभाग ने एक कमेटी बना दी है। विभाग के प्रमुख सचिव रंजन प्रकाश ठाकुर इस कमेटी के चेयरमैन हैं और विभाग के विशेष सचिव, कश्मीर व जम्मू के निदेशक, सिडको व सीकाप के प्रबंध निदेशक, उद्योग विभाग के वित्तीय व योजना निदेशक व अतिरिक्त सचिव कमेटी के सदस्य बनाए गए हैं। यह कमेटी शीर्ष कमेटी की अगली बैठक से पूर्व रिपोर्ट पेश करेगी।

  • अगस्त 2019 के बाद जम्मू-कश्मीर के हालात संवेदनशील थे। उसके बाद कोरोना ने कहर बरपा दिया। इस कारण काफी इकाइयां जमीन आवंटित होने के बावजूद उत्पादन शुरू नहीं कर पाईं। काफी उद्योगपति मशीनरी भी लगा चुके हैं और उन्हें सिर्फ पंजीकरण का इंतजार है, लेकिन सरकार ने अभी तक कोई फैसला नहीं लिया। अपेक्षा है कि सभी लंबित मामलों के लिए छह माह की अतिरिक्त समय मोहलत दी जाए। इन औद्योगिक इकाइयों में उत्पादन शुरू होने से हजारों को रोजगार भी मिलेगा और उद्योग का चक्का भी घूमेगा। -ललित महाजन, सह चेयरमैन फेडरेशन आफ इंडस्ट्रीज, जम्मू 

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