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Jammu: 70 प्रतिशत ट्यूबवेल खराब, कैसे हो फसलों की सिंचाई; पानी के टैंकर खरीद कर धान की पनीरी को बचा रहे है किसान

किसान पानी के टैंकर खरीद कर धान की पनीरी विचार हैं अपने घरों से ट्रैक्टर-ट्रालियों में पानी लोड कर कर के खेतों में फेंक रहे हैं ताकि खेत में नमी बनी रहे और पनीरी जो है वह नष्ट ना हो।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Thu, 08 Jul 2021 12:06 PM (IST)Updated: Thu, 08 Jul 2021 12:06 PM (IST)
हजारों कनाल कृषि भूमि को सिंचाई का पानी नहीं मिल पा रहा है।

आरएसपुरा, संवाद सहयोगी: ट्यूबवेल सिंचाई विभाग द्वारा सीमांत क्षेत्र में सिंचाई के लिए लगाए गए ज्यादातर ट्यूबवेल इस समय खराब पड़े,जिससे किसानों को सिंचाई के लिए पानी नहीं मिल पा रहा है। सीमांत तहसील सुचेतगढ़ के दर्जनों गांव ट्यूबवेल खराब होने के कारण विशेष रूप से प्रभावित हैं। हालत यह है कि अधिकतर सिंचाई के लिए लगाए गए ट्यूबवेल बंद पड़े हैं। लोगों को कहना है कि जरूरत के समय उन्हें अक्सर ऐसी समस्या से दो-चार होना पड़ता है। जिसके कारण यहां इसका असर उत्पादन पर पड़ता है।

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वहीं उन्हें नुकसान भी उठाना पड़ता है। लोगों का कहना है कि राज्य की किसी भी सरकार ने किसानों को खेती के लिए पानी उपलब्ध कराने की कोई योजना नहीं बनाई। जिसके कारण अन्य राज्यों की अपेक्षा यहां किसान आज भी पिछड़ा हुआ है।स्थानीय किसानों का कहना है कि कई बार संबंधित विभाग के अधिकारियों को इस समस्या से अवगत करवा चुके हैं, पर समाधान नहीं हुआ। बात अगर सुचेतगढ़ क्षेत्र की करें तो ट्यूबवेल सिचांई विभाग की ओर से करीब 123 ट्यूबवेल भूमि की सिंचाई के लिए लगाए गए थे। जिससे 31802 कनाल कृषि भूमि की सिंचाई होती थी पर इस समय विभाग की लापरवाही के कारण को कुल 86 ट्यूबवेल बंद पडे़ हुई है। ऐसे में हजारों कनाल कृषि भूमि को सिंचाई का पानी नहीं मिल पा रहा है।

जानकारी के अनुसार बंद पड़े कुछ ट्यूबवेल में ऐसे भी हैं जिनका थोड़ा पैसा खर्च कर ठीक किया जा सकता है पर विभाग हर बार फंड की कमी का रोना रोकर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर लेता है। इस संबंध में किसान व युवा नेता पुपिंद्र सिहं पिंद्र का कहना है कि सुचेतगढ़ क्षेत्र की यह बदकिस्मती रही है कि जहां से राज्य सरकार में सिंचाई मंत्री सहित अन्य विभाग के मंत्री भी रहे है पर उन्होंने किसानों की इस समस्या पर कोई ध्यान नहीं दिया। उन्होंने बताया कि आज क्षेत्र में ज्यादातर ट्यूबवेल खराब पडे़ हुए है पर कोई बोलने वाला नहीं है। उन्होंने कहा कि आज इसके कारण सीमांत क्षेत्र का किसान रो रहा है। किसान परेशान है। समय पर उसकी कभी फसल नहीं लगी। पर ना तो विभाग ने इस ओर ध्यान दिया और ना ही किसी सरकार ने किसानों की इस समस्या पर ध्यान दिया।

गुस्साए किसानों ने सिंचाई विभाग सब डिवीजन कार्यालय में बैठे एईई को जबरन खेतों में ले गए: बिश्नाह कस्बे के बीचोंबीच बहने वाली रणवीर नहर की हालत इस कदर हस्त हो गई है कि अबकिसानों को अपने खेत की सिंचाई करने के लिए पानी के टैंकर खरीदने पड़ रहे हैं और उसी से वह अपनी धान की पनीरी को बचाने का प्रयास कर रहे हैं पर बार-बार सिंचाई विभाग सब डिवीजन बिश्नाह के एईई नसीब चंद को वह मौके पर बुलाकर सच्चाईदिखाना चाहते थे। लेकिन एईई नसीब चंद किसानों के साथ आंख मिचौली का खेल खेल रहे थे ।लेकिन गुस्साए किसानों ने सरपंच विजय सैनी की अध्यक्षता में बिश्नाह सिंचाई विभाग सब डिवीजन कार्यालय का घेराव किया और मौके पर मौजूद एईई के साथ खूब बहसबाज़ी करने के बाद किसान नहरी पानी की सच्चाई बताने के लिए एईई को गाड़ी में बिठा कर अपने साथ खेतों में ले गए। किसानों ने अक्लमंदी का काम करते हुए पुलिस को भी साथ ले लिया कि कल को एईई अगवाह करने का इलजाम ना लगा दें । इस तरह से घंटों खेतों में घमासान हुआ और किसानों द्वारा किए गए सैंकड़ों सवालों का एईई के पास कोई जवाब नहीं था।

किसान सरपंच विजय सैनी ने कहा कि सिंचाई विभाग इस बार किसानों को खुदकुशी करने पर मजबूर कर रहा है अगर हम लोग मौके पर नहीं होते तो किसान कुछ भी कर सकते थे। हमने तो खेतों में जाकर देखा है किसान पानी के टैंकर खरीद कर धान की पनीरी विचार हैं अपने घरों से ट्रैक्टर-ट्रालियों में पानी लोड कर कर के खेतों में फेंक रहे हैं ताकि खेत में नमी बनी रहे और पनीरी जो है वह नष्ट ना हो लेकिन सिंचाई विभाग के लोग कुंभकरण की ऐसी नींद सो रहे हैं कि उन्हें किसानों के जीने मरने की कोई प्रवाह नहीं है जिस वजह से हम दुखी होकर यहां पहुंचे है और एईई को यहां से अपने साथ ले खेतों में लेकर जा रहे हैं और हम बता देना चाहते हैं कि जब तक हमारा मसला हल नहीं होगा इन्हें बैठने नहीं देंगे ।


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