Jammu Kashmir: 16 साल बाद बजी मोबाइल की घंटी...थिरके लोग; LoC से सटे अनंतनाग जिले के 3 गांव मोबाइल नेटवर्क सेवा से जुड़े
कुपवाड़ा जिले के तीनों गांव जिला मुख्यालय यानी कुपवाड़ा मुख्य कस्बे से 67 किलोमीटर दूर हैं। दूरदराज होने के चलते ये गांव मोबाइल नेटवर्क से नहीं जुड़ पाए थे। यहां के लोगों को फोन करने के लिए करीब 15 से 20 किलोमीटर का दुर्गम सफर तय करना पड़ता था।
श्रीनगर, संवाद सहयोगी : पोशवारी गांव के लियाकत अली को मोबाइल पर कोलकाता से बेटे का फोन आया तो परिवार की खुशी का ठिकाना नहीं था। हर कोई बात करने को उत्सुक था। पहले बेटे का हाल जानने के लिए परिवार को कोसों दूर टेलीबूथ पर जाना पड़ता था। उत्तरी कश्मीर के कुपवाड़ा के दो अन्य गांव डूडी और मछिल में डेढ़ दशक बाद मोबाइल नेटवर्क से जुडऩे के बाद जश्न का माहौल था। ये गांव नियंत्रण रेखा से करीब 10 किमी. की दूरी पर हैं।
कुपवाड़ा जिले के तीनों गांव जिला मुख्यालय यानी कुपवाड़ा मुख्य कस्बे से 67 किलोमीटर दूर हैं। दूरदराज होने के चलते ये गांव मोबाइल नेटवर्क से नहीं जुड़ पाए थे। यहां के लोगों को फोन करने के लिए करीब 15 से 20 किलोमीटर का दुर्गम सफर तय करना पड़ता था। प्रशासन ने दो दिन पहले तीनों गांवों को संचार सुविधा से जोड़ दिया। इस पर लोगों ने नाच गाकर जश्न मनाया।
जिला विकास आयुक्त अंशुल गर्ग कहते हैं कि तीनों गांवों में मोबाइल सुविधा उपलब्ध कराने के लिए काफी समय से प्रयास जारी थे। आम नागरिक परेशान थे। विशेषकर मरीज व विद्यार्थी। इस दौरान एलओसी पास होने के कारण भी सुरक्षा कारणों का ध्यान में रखना पड़ा। सेना को भी विश्वास में लेना पड़ा। मैं संचार कंपनियों से भी लगातार संपर्क में रहा। उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने गत वर्ष नवंबर में कुपवाड़ा दौरे में इसे हरी झंडी दिखाई। एक कंपनी ने तीनों गांवों में मोबाइल टावर लगाए। दिसंबर के अंत तक टावर लग चुके थे। गर्ग ने कहा कि हमारा प्लान था कि मोबाइल सेवा नववर्ष के पहले दिन दी जाए, लेकिन वादी में हुई बर्फबारी के चलते ऐसा संभव न हो सका। मुझे खुशी है कि थोड़ा देर से ही सही, हमारा यह मिशन पूरा हो गया।
20 किमी. दूर एसटीडी बूथ पर जाना था : डूडी गांव के सरपंज मोहम्मद शफी ने कहा कि मोबाइल फोन सेवा न होने के चलते हमें काफी दिक्कतें झेलनी पड़ती थी। एक फोन काल करने के लिए हमें गांव से 20 किलोमीटर दूर जेड़ मोड़ पर एसटीडी बूथ पर जाना पड़ता था। किसी के बीमार होने पर सबसे अधिक दिक्कतें होतीं। पोशवारी के शफी मोहम्मद ने कहा कि मोबाइल चलाने तो हम खूब जानते हैं। मैंने भी खरीद रखा है। यहां मोबाइल नेटवर्क न होने के चलते वह डिब्बे में पड़ा रहता था। मैं जब किसी काम से कुपवाड़ा या दूसरे कस्बोंं में जाता था तो मोबाइल पर बातचीत करते लोगों को देखता तो अजीब सा लगता था। मछिल गांव के फरहत ने कहा कि मोबाइल सेवा शुरू होने से लगता है कि हमारा जम्मू कश्मीर विकास की रफ्तार बढ़ गई है। इसके लिए हम सब प्रशासन के आभारी हैं।