Jammu Kashmir: बर्फ में 'जम' गए बिजली संयंत्र भी, चार हजार मेगावाट है क्षमता जम्मू कश्मीर में मात्र 400-500 मेगावाट हो रहा उत्पादन
हिमपात व कड़ाके की ठंड के कारण जम्मू कश्मीर के ज्यादातर जलस्रोतों के जम जाने से करीब 90 फीसद बिजली उत्पादन बंद हो गया है। प्रदेश में करीब चार हजार मेगावाट बिजली उत्पादन क्षमता है और बमुश्किल 400 से 500 मेगावाट उत्पादन हो रहा है।
जम्मू, जागरण संवाददाता: जम्मू कश्मीर में हाल ही में भारी बर्फबारी से बिजली का संकट गहरा गया है। हिमपात व कड़ाके की ठंड के कारण प्रदेश के अधिकतर जलस्रोतों के सूखने व जम जाने से करीब 90 फीसद बिजली उत्पादन बंद हो गया है। प्रदेश में करीब चार हजार मेगावाट बिजली उत्पादन क्षमता है और उसमें से मुश्किल से 400 से 500 मेगावाट उत्पादन हो रहा है।
अगर जनवरी माह में और बर्फबारी होती है तो बिजली उत्पादन और गिर सकता है। जम्मू कश्मीर में बिजली की मांग पूरी करने के लिए इस समय पड़ोसी राज्यों व राष्ट्रीय स्तर से बिजली खरीद हो रही है। इससे जम्मू व श्रीनगर पॉवर डिस्ट्रीब्यूशन कॉरपोरेशन पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ भी बढ़ रहा है।
जम्मू कश्मीर में बिजली उत्पादन के लिए नेशनल हाइड्रो पावर कारपोरेशन (एनएचपीसी) के अलावा प्रदेश सरकार की ओर से भी कई परियोजनाएं चलाई गई हैं। दूरदराज के क्षेत्रों में कई छोटी-छोटी परियोजनाएं भी हैं, जो क्षेत्रीय मांग पूरी करती हैं। भारी बर्फबारी के बाद इन परियोजनाओं से बिजली उत्पादन लगभग बंद हो गया है। मौजूदा समय में राज्य में एनएचपीसी की विभिन्न परियोजनाओं में 2457.96 मेगावाट बिजली उत्पादन की क्षमता है। वहीं, प्रदेश सरकार की करीब एक दर्जन पनबिजली परियोजनाओं की उत्पादन क्षमता करीब 1246 मेगावाट है।
राज्य में प्रतिदिन बिजली खपत करीब 2600 मेगावाट है। इसके बावजूद बर्फबारी के बाद इन बिजली परियोजनाओं में उत्पादन प्रभावित होने से नब्बे फीसद बिजली बाहर से खरीदनी पड़ रही है।
घाटी समेत डोडा, किश्तवाड़ में बिजली उत्पादन बंद : कश्मीर के अलावा जम्मू संभाग के डोडा, किश्तवाड़ व भद्रवाह में कई पनबिजली परियोजनाएं हैं, जो इस समय बंद पड़ी हैं, क्योंकि जल स्रोत जम गए हैं। कुछ एक परियोजनाओं में एनएचपीसी ने उत्पादन स्वयं बंद कर दिया है, ताकि मुख्य स्टेशन तक थोड़ा बहुत पानी पहुंच सके, जिससे उत्पादन जारी रहे।
चिनाब पर 900 मेगावाट की बगलिहार परियोजना से 100-150 मेगावाट ही बन रही बिजली : जम्मू कश्मीर में चिनाब दरिया पर सबसे बड़ी बिजली परियोजना बगलिहार है, जिसकी बिजली उत्पादन क्षमता 900 मेगावाट है, लेकिन इस समय वहां सिर्फ 100-150 मेगावाट ही बिजली उत्पादन हो रहा है। सलाल पावर प्रोजेक्ट की बिजली उत्पादन क्षमता 690 मेगावाट है, जिसमें 30-35 मेगावाट बिजली उत्पादन ही हो पा रहा है। इसी तरह उड़ी प्रोजेक्ट में करीब 100 मेगावाट बिजली का ही उत्पादन हो रहा है।
बंद पड़े प्रोजेक्ट उत्पादन क्षमता
- सेवा-टू 120 मेगावाट
- सेवा-थ्री 9 मेगावाट
- इकबाल 3.75 मेगावाट
- हंडर 0.40 मेगावाट
- समनूर 0.10 मेगावाट
- अप्पर सिंध 22 मेगावाट
- अप्पर सिंध-टू 105 मेगावाट
- पहलगाम 5 मेगावाट
- करनाह 2 मेगावाट
क्षमता से कम उत्पादन
उत्पादन क्षमता मौजूदा उत्पादन
- बगलिहार 900 मेगावाट 100-150 मेगावाट
- उड़ी-1 480 मेगावाट 50 मेगावाट
- उड़ी-2 240 मेगावाट 30-35 मेगावाट
- सलाल 690 मेगावाट 30-35 मेगावाट
- दुलहस्ती 390 मेगावाट शून्य
- झेलम 105 मेगावाट 40-50 मेगावाट
हर साल बर्फबारी के बाद बिजली उत्पादन गिर जाता है। इसके लिए हम गर्मियों में बिजली बचाते हैं। गर्मी के मौसम में हम बिजली बेचते हैं और सर्दी में खरीदते हैं। कॉरपोरेशन को हर हाल में बिजली खरीदनी ही पड़ती है, चाहे एनएचपीसी से या राज्य परियोजनाओं से। इस समय हम तीन रुपये प्रति यूनिट के हिसाब से बिजली खरीद रहे हैं। अच्छी बर्फबारी से इस समय उत्पादन भले कम हो गया हो, लेकिन गर्मी में इसकी वजह से ही उत्पादन काफी बढ़ जाएगा, तब हम इसे जमा करेंगे। - टीपी सिंह, एग्जीक्यूटिव इंजीनियर, जम्मू कश्मीर पावर डिस्ट्रीब्यूशन कारपोरेशन (JKPDC)