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मवेशी बीमार दिखे तो पशुपालन विभाग व स्कास्ट के टोल फ्री नंबर पर करें फोन

पशुपालन विभाग ने गठित किया काल सेंटर टोल फ्री नंबर 18001807205 भी जारी। स्कास्ट भी किसानों को सलाह देने के लिए टोल फ्री नंबर 18001807196 जारी किया।

By JagranEdited By: Published: Fri, 19 Aug 2022 07:07 AM (IST)Updated: Fri, 19 Aug 2022 07:07 AM (IST)
मवेशी बीमार दिखे तो पशुपालन विभाग व स्कास्ट के टोल फ्री नंबर पर करें फोन

संवाद सहयोगी, आरएसपुरा: जम्मू संभाग में मवेशियों में फैली लंपी बीमारी को लेकर कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके) आरएसपुरा, स्कास्ट के पशु चिकित्सा विभाग और पशुपालन विभाग की ओर से पत्रकार वार्ता का आयोजन किया गया। इसमें लंपी बीमारी की रोकथाम और बीमार मवेशियों के इलाज व उनकी देखरेख के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई। स्कास्ट के पशु चिकित्सा विभाग के डीन प्रो. एमएस भढवाल ने कहा कि पशुपालकों को इस बीमारी से बहुत नुकसान हो रहा है। उन्होंने बताया कि पशुपालन विभाग और स्कास्ट की तरफ से इस बीमारी की रोकथाम के बारे में पशुपालकों को जागरूक किया जा रहा है। भढवाल ने बताया कि विश्वविद्यालय ने किसानों को सलाह देने और उनकी मदद करने के लिए एक टोल फ्री नंबर 18001807196 जारी किया है। उन्होंने किसानों को सलाह दी कि वे घबराएं नहीं और किसी भी मदद के लिए इस टोल फ्री नंबर पर फोन कर सकते हैं।

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वहीं, जम्मू के मुख्य पशुपालन अधिकारी डा. अल्ताफ अली ने बताया कि लंपी बीमारी की निगरानी और रोकथाम के लिए ब्लाक में पशु चिकित्सकों की रैपिड रिस्पांस टीमों (आरआरटी) का गठन किया गया है। डेयरी चलाने वालों और पशुपालन से जुड़े किसानों को सलाह देते हुए उन्होंने कहा कि वे अपने मवेशियों को चराने के लिए इधर-उधर नहीं ले जाएं, क्योंकि इससे बीमारी फैल सकती है या स्वस्थ्य मवेशी भी इस बीमारी की चपेट में आ सकते हैं। डा. अल्ताफ ने कहा कि शेड में मवेशियों को अलग-अलग रखें और वहां साफ-सफाई रखें ताकि वहां मच्छर और मक्खी नहीं पनप पाएं। उन्होंने कहा कि किसानों को घबराने की जरूरत नहीं है। पशुपालन विभाग की तरफ से 34 ब्लाक में आरआरटी टीमों का गठन करने के साथ एक काल सेंटर भी स्थापित किया गया है। किसान इस काल सेंटर में टोल फ्री नंबर 18001807205 पर फोन कर मदद मांग सकते हैं। पंजीकृत पशु चिकित्सक से ही करवाएं उपचार

स्कास्ट के पशु चिकित्सा विभाग के प्रमुख डा. राजीव सिंह ने लंपी बीमारी के लक्षणों के बारे में बताते हुए कहा कि जिस मवेशी को यह रोग होगा, उसके शरीर में गांठ की तरफ फोड़े हो जाएंगे। वह लंगड़ाने लगेगा, बुखार होगा, दूध देना कम कर देगा, आंखों और नाक से स्त्राव शुरू हो जाएगा। इससे मवेशियों में गर्भपात भी हो सकता है। डा. राजीव ने बताया कि यह गांठदार त्वचा रोग पाक्सविरिडे परिवार के कैप्रीपाक्स वायरस के कारण होने वाला एक संक्रामक वायरल रोग है। यह वायरस मच्छर और मक्खियों के द्वारा एक जानवर से दूसरे जानवर में फैलता है। इससे संक्रमित मवेशियों में मृत्यु दर काफी कम है, लेकिन पशुपालकों को सजग रहने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि यदि किसी मवेशी में ऐसे लक्षण दिखें तो तुरंत टोल फ्री नंबर पर फोन कर परामर्श लें। इसके लिए पंजीकृत पशु चिकित्सक से ही इलाज करवाएं।

उबालकर ही पीयें दूध

शिविर में मौजूद पशु चिकित्सक डा. नीलेश शर्मा और डा. राजिदर भारद्वाज ने कहा कि संक्रमित मवेशियों के दूध को उबालने के बाद ही इस्तेमाल करें। हालांकि अब तक ऐसा कोई मामला सामने नहीं आया है, जिसमें लंबी बीमारी फैलाने वाला वायरस मनुष्यों में गया है, फिर भी एहतियात बरतने की जरूरत है। केवीके प्रमुख और मुख्य वैज्ञानिक डा. पुनीत चौधरी ने भी पशुपालकों को हर संभव मदद देने का आश्वासन दिया।


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