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अंतरराष्ट्रीय सीमा में बसे लोगों को मरहम की उम्मीद

अवधेश चौहान, जम्मू अतंरराष्ट्रीय सीमा (आइबी) पर बसे लोग रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के

By JagranEdited By: Published: Sun, 03 Feb 2019 03:09 AM (IST)Updated: Sun, 03 Feb 2019 03:09 AM (IST)
अंतरराष्ट्रीय सीमा में बसे लोगों को मरहम की उम्मीद
अंतरराष्ट्रीय सीमा में बसे लोगों को मरहम की उम्मीद

अवधेश चौहान, जम्मू

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अतंरराष्ट्रीय सीमा (आइबी) पर बसे लोग रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौरे को लेकर उम्मीद जगी है कि आए दिन होने वाली पाक गोलाबारी से नरकीय बनी उनकी ¨जदगी अब सुधर जाएगी। 14 साल पहले जब अंतरराष्ट्रीय सीमा पर तारबंदी की जद में हजारों एकड़ उपजाऊ भूमि किसानों की भूमि तार के दूसरी तरफ चली गई। अपनी जमीन होते हुए भी किसान खेतीबाड़ी से महरूम हैं। राज्य के प्रवेश द्वार लखनपुर से बांडीपोर के गुरेज तक कीरब सात सौ किलोमीटर अतंरराष्ट्रीय और नियंत्रण रेखा पर 314 गांव है, जो आए दिन पाक से होने वाली गोलीबारी से प्रभावित रहते हैं। सबसे ज्यादा अतंरराष्ट्रीय सीमा पर बसे किसानों की हालत पिछले कुछ वर्षो में दयनीय हे। किसानों की मांग है कि उन्हें सुरक्षित स्थानों पर पांच मरले जमीन दी जाए। जिससे की किसी भी अप्रिय घटना में सुरक्षित स्थानों पर चले जाएं। जम्मू के आरएसपुरा सेक्टर के साथ लगते अरनियां, त्रेवा और बैनग्लाड़ के किसानों से बातचीत की तो उन्हें यही मलाल है कि वे देश के बंटवारे के बाद से जम्मू के सरहदों की रक्षा कर रहे है, लेकिन तारों के आगे आई जमीन में खेतीबाड़ी नही हो पाती। जिससे उनकी आर्थिक स्थित और बच्चों की पढ़ाई बर्बाद होकर रह गई है। यहां तक कि गोलाबारी में जानमाल का नुकसान हुआ उसकी भरपाई न के बराबर है। उन्हें यह भी मलाल है कि पत्थरबाजों के पुनर्वास के लिए सरकार ने बड़ा कुछ किया लेकिन उनसे छल ही हुआ। जीरो लाइन पर बसे अरनिया गांव में रहने वाली सपना देवी का कहना है कि उनके पिता कस्बे में रेहड़ी लगाते हैं और वह आठवीं की छात्रा थीं, लेकिन गत जुलाई माह में पाकिस्तान की ओर से गोलाबारी में ¨जदगी बबार्द हो गई । घर के बाहर शैल गिरा जिसमें मकान तबाह हो गया और एक शेल उनके पैर में लगा। पढ़ाई वहीं रुक गई। सपना आगे कहती हैं, टांग में लगे शर्रे लगे, लेकिन इलाज के लिए कोई पैसा नही मिला। स्थानीय व्यापारी राकेश चौधरी ने पांच हजार दिए, फिर छर्रे को निकला गया। ऐसा ही हाल कुछ नीमा देवी पत्नी शमशेर कुमार निवासी त्रेवा का कहना है कि शरीर में कई जगह शर्रे लगें है। पति मजदूरी करते हैं, बच्चों को पालना मुश्किल है। प्रशासन ने इलाज के लिए रूपये घर उजड़ने के लिए कुछ नही दिया। जीरो लाइन पर बसे बैनगलाड में सुदेश कुमार 32 का खेतों में ट्रैक्टर चला रहे थे कि गोलीबारी में फंस गए। इसी दौरान बीएसएफ सब इंस्पेक्टर गोली लगने से गंभीर रूप से घायल हो गया, हिम्मत का परिचय देते हुए सुदेश ने किसी तरह गोली में घायल को तो बाहर निकाल लिया, लेकिन दुश्मनों की एक गोली उनकी पीठ में लगी जिसके इलाज के लिए वह मोहताज है। यहां तक कि प्रशासन ने उन्हें आश्वासन दिया कि उन्हें सरकारी नौकरी मिलेगी, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। मोदी के बार्डर के साथ विजयपुर में दौरे को देखते किसानों को काफी उम्मीद है कि उन्हें मोदी उन्हें सुरक्षित स्थानों पर पांच मरले प्लॉट की घोषणा करेंगे।


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