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असुरक्षित सड़कों पर कैसे होगा सुरक्षित सफर, फ्लाईओवर पर जगह-जगह पड़े गड्ढे बने जानलेवा

बारिश के दिनों में तो ये गड्ढे और भी घातक बन गए हैं क्योंकि बारिश का पानी भरे होने के कारण इनका आभास नहीं होता और वाहन, खासकर स्कूटर-मोटरसाइकिल चालक अक्सर इसकी चपेट में आकर संतुलन खो बैठते हैं।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Thu, 07 Feb 2019 11:08 AM (IST)Updated: Thu, 07 Feb 2019 11:08 AM (IST)
असुरक्षित सड़कों पर कैसे होगा सुरक्षित सफर, फ्लाईओवर पर जगह-जगह पड़े गड्ढे बने जानलेवा
असुरक्षित सड़कों पर कैसे होगा सुरक्षित सफर, फ्लाईओवर पर जगह-जगह पड़े गड्ढे बने जानलेवा

जम्मू, जागरण संवाददाता। इन दिनों शहर में सड़क सुरक्षा सप्ताह मनाकर चालकों को ट्रैफिक नियमों का पाठ पढ़ाया जा रहा है लेकिन दूसरी तरफ शहर की सड़कें इस कदर घातक हो चुकी है कि दो पहिया वाहन चालकों के लिए जानलेवा साबित हो रही है। सड़कें तो दूर, शहर के फ्लाईओवर पर ही इतने गड्ढे हैं कि कोई भी असंतुलित होकर गिर कर जान गवां सकता है।

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तवी पुल को जोड़ते हुए ब्रिगेडियर राजेंद्र सिंह चौक तक बने फ्लाईओवर की हालत यह है कि इसके अधिकतर ज्वाइनिंग प्वाइंट में दरारें आ गई हैं जिनमें गड्ढे पड़ गए हैं। गड्ढे इतने घातक है कि दो पहिया वाहन चालक कभी भी इसकी चपेट में आकर हादसे का शिकार हो सकते हैं। ज्वाइनिंग प्वाइंट के अलावा भी फ्लाईओवर पर जगह-जगह गड्ढे पड़ गए है। आलम यह है कि बिक्रम चौक से कांवेंट स्कूल तक नवनर्मित फ्लाईओवर पर भी जगह-जगह गड्ढे पड़ गए हैं। बारिश के दिनों में तो ये गड्ढे और भी घातक बन गए हैं क्योंकि बारिश का पानी भरे होने के कारण इनका आभास नहीं होता और वाहन, खासकर स्कूटर-मोटरसाइकिल चालक अक्सर इसकी चपेट में आकर संतुलन खो बैठते हैं। शहर से गांधी नगर की ओर आने वाली ट्यूब इस समय गड्ढों से भरी पड़ी हैं लेकिन प्रशासन की तरफ से इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा।

  • -फ्लाईओवर पर गड्ढे काफी घातक है। इनकी जल्द मरम्मत होनी चाहिए। फ्लाईओवर पर वाहनों की रफ्तार भी सामान्य से अधिक रहती है, ऐसे में अगर वाहन असंतुलित होता है तो बड़ा हादसा हो सकता है। अगर कोई दो पहिया वाहन चालक असंतुलित होकर गिरता है तो पीछे से कोई तेज रफ्तार बड़े वाहन की चपेट में आ सकता है। इसे हल्के से नहीं लेना चाहिए। - दीपक
  • -फ्लाईओवर से मेरा रोज का आनाजाना है। दिन-प्रतिदिन ये गड्ढे गहरे होते जा रहे हैं। ये गड्ढे वहां है जहां फ्लाईओवर की दो प्लेट जुड़ती है। ऐसा लगता है कि शायद जोड़ हिल गए है जिनकी समय पर मरम्मत नहीं हुई। अगर यहीं हालत रही तो फ्लाईओवर खतरे में भी पड़ सकता है। विशेषज्ञों को इसकी जांच करनी चाहिए और समय रहते आवश्यक मरम्मत करनी चाहिए। -राजीव
  • -पुराना फ्लाईओवर तो गड्ढों से पटा ही है, नये फ्लाईओवर पर भी जगह-जगह गड्ढे पड़ गए हैं। इसे बने हुए अभी कुछ ही समय हुआ है। ऐसे में फ्लाईओवर पर तारकोल कैसे उखड़ी, इसकी जांच होनी चाहिए। सरकार को संबंधित एजेंसी के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए जिसने गुणवत्ता के साथ समझौता किया है। जनता के पैसे का दुरुपयोग हुआ है और इसके लिए दोषियों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। - रोहित
  • - सरकार सड़क सुरक्षा सप्ताह मनाकर चालकों को नियमों का पाठ तो पढ़ा रही है लेकिन अपनी व्यवस्था पर ध्यान नहीं देती। जब हादसा होता है तो हम जैसे चालकों को जिम्मेदार ठहराया जाता है लेकिन सरकार यह नहीं देखती कि सड़कों की हालत क्या है? जब सड़कों पर ही जगह-जगह गड्ढे होंगे तो बेचारा स्कूटर-मोटरसाइकिल चलाने वाला क्या करेगा? -विपुल

-फिलहाल सड़कों की मरम्मत संभव नहीं। बारिशों का सिलसिला थमने के बाद शहर की सड़कों का मुआयना किया जाएगा और उसके बाद ही मरम्मत कार्य शुरू होंगे। जहां तक फ्लाई ओवर पर गड्ढों की बात है तो इसके लिए भी संबंधित एजेंसी को जांच कर आवश्यक मरम्मत कार्य शुरू करने के लिए कहा जाएगा। - एनडी ख्वाजा, एसई पीडब्ल्यूडी

चालकों की मनमानी से करोड़ों रूपये के बनाए पैसेंजर शेड बने शोपीस

राज्य में जारी राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा सप्ताह मात्र कार्यक्रम आयोजित करवाने तक ही सीमित होकर रह गया है। शहर के विभिन्न रूटों पर यात्री वाहनों के चालक सरेआम नियमों को ठेंगा दिखाकर मनमानी कर रहे हैं और ट्रैफिक पुलिस इनके खिलाफ कोई भी कार्रवाई नहीं कर रही है। जम्मू शहर में 2500 मिनी बसें तीन दर्जन से अधिक रूट पर दौड़ती हैं। जम्मू नगर निगम द्वारा यात्रियों की सुविधा के लिए बाकायदा से शहर में 54 जगह पैसेंजर शैड करोड़ों रुपए खर्च कर बनाए गए हैं लेकिन न तो चालक और न ही सवारियां इनका इस्तेमाल कर रही हैं।

ऑलम यह है कि मिनी बसें और बसें तयशुदा स्टॉपेज और पैसेंजर शैड् पर न रुककर कहीं भी यात्री देखकर रुक जाती हैं। जम्मू नगर निगम द्वारा शहर में प्रत्येक पैसेंजर शैड के निर्माण में 1.50 से दो लाख रुपए की लागत आई है। कुल मिलाकर 54 पैसेंजर शैड के निर्माण में एक करोड़ रुपए से ज्यादा की राशि खर्च कर दी गई है लेकिन अब ये मात्र शोपीस बनकर ही रह गए हैं।गवर्नमेंट वीमेन कॉलेज गांधीनगरसे कुछ दूरी पर बनाया गया पैसेंजर शैड और एशिया क्रासिंग के पास बनाया गया पैसेंजर शैड इसके जीते जागते उदाहरण हैं। इन दोनों पैसेंजर शैड के पास स्टॉपेज का बोर्ड तो लगा है लेकिन न ही मिनी बस और न ही कठुआ, आरएसपुरा और अन्य राज्यों से आने वाले अंतर राज्यीय बसें इनके समीप रुकती हैं। बल्कि इससे कुछ दूरी पर आगे जाकर रुककर जाम की स्थिति पैदा कर रही हैं।

ऐसा नहीं है कि मनमाफिक जगहों पर रुकना केवल यात्री वाहनों के चालकों की आदत बन गई है। इसके लिए सवारियां भी उतनी ही जिम्मेदार हैं। सवारियां भी चालकों की इस अादत का नाजायज फायदा उठाकर कहीं से भी चढ़ और उतर लेती हैं। इससे हर समय दुर्घटना होने का भय और जाम की स्थिति पैदा हो जाती है। अक्सर सवारियां उठाने के चक्कर में मिनी बसों की एक-दूसरे से आगे निकलने की हाेड़ में आए दिन कोई न कोई राहगीर इसका शिकार होता रहता है।

सुझाव :-

  • मिनी बस, अंतर जिला, अंतर राज्यीय बसें निर्धारित स्टॉपेज पर रुकें।
  • यात्री वाहनों में सफर करने वाली सवारियां मनमाफिक जगह पर उतरने-चढ़ने की बजाय निर्धारित स्टॉपेज का ही इस्तेमाल करें।
  • यात्री पहले से ही तयशुदा सवारियां से अधिक ओवरलोड यात्री वाहनों में सफर करने से परहेज करें।
  • ओवरलोडिंग यात्री वाहनों में सफर करना खतरे से खाली नहीं है। इनका इस्तेमाल न करें।
  • राहगीर सड़क क्रॉस करते समय जैबरा क्रासिंग और सब-वे का इस्तेमाल करें।
  • चालक ड्राइविंग के दौरान मोबाइल फोन का इस्तेमाल न करें।

लाइसेंस आवेदकों को यातायात नियमों से अवगत करवाया

  • ट्रांसपोर्ट नगर नरवाल में जारी 30वें राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा सप्ताह के तीसरे दिन आरटीओ ने लाइसेंस के आवेदकों को यातायात नियमों के बारे में जानकारी दी।
  • आरटीओ दीपराज ने चालकों को बताया कि वे सड़क पर वाहन को लेकर उतरने से सबसे पहले इस बात की ध्यान रखें कि सड़क केवल वाहनों के इस्तेमाल के लिए ही नहीं अपितु राहगीरों के इस्तेमाल के लिए भी बनी हैं। इसलिए सबसे पहले राहगीरों की सुरक्षा के बारे में सोचना चाहिए। दोपहिया वाहन चालकों को हेलमेट पहनने और कार व अन्य वाहन चालकों से सीट बेल्ट बांधकर गाड़ी दौड़ाने, मोबाइल का इस्तेमाल नहीं करने और ओवर स्पीड से परहेज रखने की नसीहत दी। उन्होंने बताया कि देशभर में हर वर्ष 1.50 करोड़ मासूम जिंदगियां सड़क हादसों का शिकार होकर काल का ग्रास बन रही हैं। ऐसे में बेशकीमती जानों को बचाना हम सभी की पहली प्राथमिकता होनी चाहिए। जागरूकता के अभाव में यह सब संभव नहीं है। इसके लिए हम सभी को मिलकर योगदान देना होगा।

अाज क्या होगा?

वेव शापिंग मॉल में सुबह 10 बजे पेंटिंग प्रतियोगिता का आयोजन किया जाएगा। इसमें स्कूलों के विद्यार्थी भाग लेंगे। 


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